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शिशु की नींद संबंधी आवश्यकताएं – दिनचर्या
नींद शिशुओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। आमतौर पर, नवजात शिशु दिन और रात के दौरान नियमित अंतराल पर 16 से 18 घंटे सोता है।
बच्चे का नींद प्रतिरूप तीसरे महीने तक बदल जाता है क्योंकि तब तक शिशु का मस्तिष्क विकसित हो जाता है। अब बच्चा रात को सोएगा और दिन में 2-3 बार झपकी लेगा जो आमतौर पर सुबह, दोपहर और शाम के समय होगी। हम कह सकते हैं कि इस चरण में नींद के प्रतिरूप का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। बावजूद इसके, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि सभी शिशु अलग-अलग होते हैं और इसलिए उनका नींद की झपकी लेने का प्रतिरूप भी अलग-अलग होगा। अत: कुछ शिशुओं का दिन के समय अधिक देर तक न सोना सामान्य बात है।
बच्चा तीन महीने का हो जाने के बाद दिन के दौरान अधिक समय तक जागने लगता है। इस चरण में शिशु 2 से 3 घंटे की अवधि तक जागे हुए रह सकता है।
नींद की दिनचर्या
यह एक प्रमाणित सत्य है कि यदि शिशुओं अथवा नन्हें बच्चों के लिए एक नियमित दिनचर्या निर्धारित कर दी जाए तो वे स्वतंत्र रूप से सो सकते हैं। इस दिनचर्या को शिशु को अस्पताल से घर लाते ही शुरू कर देना चाहिए। शिशु दोहराव से सीखते हैं, अत: एक ऐसा प्रतिरूप निर्धारित करें जो अंतत: एक ‘दिनचर्या बन जाए।
आपके बच्चे का नींद का प्रतिरूप न केवल आपके बच्चे के लिए फायदेमंद होगा बल्कि यह आप और आपके पार्टनर के लिए भी अच्छा रहेगा। आपके पास आवश्यक नींद लेने का समय होगा।
आपके बच्चे का नींद का प्रतिरूप न केवल आपके बच्चे के लिए फायदेमंद होगा बल्कि यह आप और आपके पार्टनर के लिए भी अच्छा रहेगा। आपके पास आवश्यक नींद लेने का समय होगा।
बच्चे को प्रत्येक रात एक ही तरह के वातावरण में सुलाना महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा करने से शिशु आरामदेह और सुरक्षित महसूस करता है।
आपके लिए परिवार के सदस्यों, दोस्तों , पड़ोसियों को अपने नवजात शिशु को गोद में लेने से रोकना संभव नहीं है। यदि ऐसे समय में, आपको लगे कि आपके बच्चे को नींद आ रही है तो अपने बच्चे को सुलाने का प्रयास करने में उस व्यक्ति की मदद करें और उसे सुला दें। यदि कभी आपको उस व्यक्ति को दाई के रूप में रखने की आवश्यकता पड़ती है तो उनको मालूम होगा कि बच्चे को कैसे सुलाया जाए।
जब आपका बच्चा दिन के समय नींद से जागता है, तो पहले उसे खाना खिलाए और उसके बाद उसे खेलने दें। यदि आपको अपने बच्चे में थकान के लक्षण दिखाई दें तो उसे सुलाने के लिए सुलाने की तकनीकों का इस्तेमाल करें।
अपने बच्चे को शाम का खाना अथवा डिनर खिलाने के बाद, उन्हें आरामदायक स्नान कराएँ। अपने शिशु को छाती से लगाकर समय बिताएं या आप उसे एक-दो कहानियां भी सुना सकते हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि अपने शिशु को सोने से पहले अधिक उत्तेजित न करें। यह एक कल्पित कथा है कि यदि शिशु अधिक समय तक जागा रहता है तो वह थक जाएगा और तब उसे सुलाना ज्यादा आसान होगा। तथ्य यह है कि अधिक थके हुए बच्चे को सुलाना कठिन होता है।
नीचे दिया गया चार्ट यह जानने में आपकी मदद करेगा कि आपके बच्चे को कितनी देर तक सोना चाहिए।
शिशु तीन माह का हो जाने के बाद, दिन के दौरान जागकर अधिक समय बिताने लगता है। इस चरण में बच्चा एक बार में 2 से 3 घंटे तक जगा हुआ रह सकता है।
नीचे एक मार्गदर्शक दी गई है जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि आपके बच्चे को कितनी नींद लेनी चाहिए:
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