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खांसना एक स्वाभाविक क्रिया है जो कि बच्चे के वायुमार्ग को अवरुद्ध होने से बचाती है। खांसी इसलिए होती है क्योंकि:
1. गले और छाती में से श्लेम (म्यूकस), धूल या धुआं जैसे तकलीफ पैदा करने वाले तत्वों को बाहर निकाल सके
2. वायुमार्ग या फेफड़ों किसी इनफेक्शन की वजह से असहजता होने पर।
खांसी सूखी (जिसमें बलगम न आए) या गीली (जिसमें बलगम आए) हो सकती है। ये आमतौर पर किसी इनफेक्शन की वजह से होती है
सरसों के तेल से बलगम को सुखाने के गुण होते हैं. आप सरसों के तेल को शिशु के माथे, नाक के पास, ठोड़ी, छाती, पीठ पर कोमलता से लगाएं. ज्यादा जोर लगाकर मालिश न करें. अगर आप इसे और अधिक फायदेमंद बनाना चाहते हैं तो सरसों के तेल को हल्का गर्म कर उसमें लहसुन की कलियां डालकर तेल ठंडा होने के बाद इस तेल से शिशु की मालिश करें
अधिकांश खांसी घर पर थोड़ी देखभाल से अपने आप ठीक हो जाती हैं। शिशु की खांसी खुद ही ठीक हो जाएगी, मगर, शिशु को आराम पहुंचाने के लिए आप नीचे दिए गए उपाय आजमा सकती हैं:
उसे खूब आराम करने दें। इनफेक्शन से लड़ने या खांसी के दौरे हाने की वजह से शिशु को काफी थकान हो सकती है। शिशु को जितनी बार भी वह चाहे, आराम करने दें।
शिशु को जलनियोजित रखें। सुनिश्चित करें कि शिशु को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ मिलें। उसे अतिरिक्त बार स्तनपान कराएं। यदि वह फॉर्मूला दूध पीता है, तो उसे अतिरिक्त बार पानी भी पिलाएं। यदि शिशु की उम्र छह महीने से कम है, तो पानी को अच्छी तरह उबालकर और ठंडा होने के बाद ही शिशु को दें। यदि उसके गले में दर्द हो, तो इससे आराम मिलेगा।
उसका सिर ऊंचा उठा दें। यदि आपका बच्चा एक साल से बड़ा है, तो आप सोते समय आप उसका सिर थोड़ा ऊंचा उठा सकती हैं, ताकि उसे खांसी में आराम मिले। सिर उठाने के लिए तकियों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (एसआईडीएस) का खतरा होता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ऐसा करना सुरक्षित नहीं है, क्योंकि इससे एसआईडीएस का खतरा बढ़ सकता है।
कूल-मिस्ट ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें या बच्चे को भापयुक्त बाथरूम में ले जाएं। नम वातावरण में सांस लेने से वायुमार्ग की सूजन कम होने में मदद मिल सकती है, हालांकि, यह बात वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं है। बाथरूम में भाप बनाने के लिए गर्म पानी का शावर चला लें और शिशु को अंदर लेकर बैठ जाएं। दरवाजे को बंद कर लें और तौलिये से दरवाजे के नीचे की जगह भी सील कर दें। करीब 15 मिनट तक अंदर रहें। आप अपने साथ कुछ किताबें या खिलौने ले जा सकती हैं, ताकि अंदर बैठकर आप उसको कहानी सुना सकें या खेल सकें। बाहर आने के बाद उसके नम कपड़े उतारकर, सूखे कपड़े पहना दें।
एक साल से अधिक उम्र के बच्चे को शहद दें। शहद एक साल से कम उम्र के शिशुओं के लिए सुरक्षित नहीं है, क्योंकि इससे शिशुओं में बोटुलिज्म नामक दुर्लभ प्रकार की भोजन विषाक्तता हो सकती है। मगर बड़े शिशुओं के लिए शहद गले की खराश से राहत असरदार हो सकता है। अगर, आपके बच्चे की उम्र एक और पांच साल के बीच है, तो उसे रोजाना आधी छोटी चम्मच शहद दें। यदि आपका बच्चा छह से 11 साल की उम्र का है, तो उसे पूरी एक छोटी चम्मच शहद दें।
बुखार का उपचार करें। शिशु के डॉक्टर से सलाह के बाद उसे पैरासिटामोल सस्पेंशन की उचित खुराक दें। इससे बुखार तो कम होगा ही मगर बुखार के साथ होने वाले बदन दर्द से भी राहत मिलेगी। हालांकि, यदि शिशु तीन महीने या इससे बड़ा है, तभी ऐसा करें। शिशु को कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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