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Posted on Wed 12th Oct 2022 : 12:18

तीन महीने के बच्चे का विकास, गतिविधियां और देखभाल
6 months ago

तीन महीने के बच्चे का विकास, गतिविधियां और देखभाल

घर में बच्चे का जन्म मां-बाप के लिए सुखद अनुभूति लेकर आता है लेकिन इन खुशियों के साथ ही आप की जिम्मेदारियां भी पहले से ज्यादा बढ़ चुकी हैं। दरअसल बच्चों को काफी देखभाल की जरूरत होती है। जैसे जैसे वह महीने दर महीने बड़े होते हैं, उनका शारीरिक विकास होता है और उनकी गतिविधियां भी बदलती हैं। ऐसे में बदलाव के साथ देखभाल काफी जरूरी हो जाता है। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि आखिर तीन महीने के बच्चे का विकास और गतिविधियां क्या होती हैं। इसके अलावा आप ये भी जानिए कि 3 महीने के बच्चे की देखभाल किस तरह से करनी चाहिए।
3 महीने के बच्चे का विकास और उनकी महत्वपूर्ण गतिविधियां / Child development 3–6 months In Hindi

बच्चे के जन्म के बाद पहले और दूसरे महीने में उसके वजन और कद में मामूली बदलाव आता है, लेकिन तीसरे महीने में आते-आते बच्चे के शरीर में कई तरह के विकास होते हैं और वह कई गतिविधियां करता है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख बदलावों व गतिविधियों के बारे में।

देखने, सुनने व इंद्रीय क्षमताओं का विकास – इस महीने में आकर बच्चे के अंदर ये तीनों चीजें विकसित होना शुरू हो जाती हैं। शिशु अपने आसपास की चीजों को ध्यान से देखना शुरू करता है। वह उन चीजों व व्यक्तियों को दूर से ही पहचान जाता है। अपने सामने आने वाली चीजों को पकड़ने की कोशिश करता है। तीसरे महीने में बच्चे में सुनने की क्षमता भी अच्छे से विकसित हो जाती है। वह जानी-पहचानी आवाज को सुनकर हंसने लगता है। जिस दिशा से आवाज आती है, उस तरफ अपना सिर घुमाने लगता है। तीसरे महीने में बच्चे के अंदर इंद्रीय क्षमताएं भी विकसित हो जाती हैं। वह स्वाद और गंध को पहचानने लगता है। मीठी चीजें बच्चा आराम से खाता है, जबकि कड़वी चीज पर रोने लगता है। मां के दूध का स्वाद भी वह समझने लगता है। बच्चा अपने माता-पिता के शरीर के गंध को भी पहचानने लगता है।

पीठ के बल लेटने पर हाथ-पांव मारना – बच्चा तीसरे महीने में पीठ के बल लेटकर हाथ-पांव चलाने लगता है। यह बताता है कि उसका मूड ठीक है और वह खेल रहा है।

बात करने का प्रयास – तीन महीने के बच्चे के साथ जब कोई खेलता है या बात करता है तो बच्चा भी हाथ-पैर को हिलाकर और पलकों को झपकते हुए उनसे बात करने की कोशिश करता है।

वजन और लंबाई – डॉक्टरों के अनुसार, जन्म के बाद पहले और दूसरे महीने में बच्चे के कद और वजन में बहुत कम बदलाव होता है। पर तीसरे महीने के बच्चे में ये दोनों चीजें तेजी से बदलती हैं। तीसरे महीने में लड़की का सामान्य वजन 4.7 किलो से 6.3 किलो और लंबाई 59.8 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं लड़के का सामान्य वजन 5.1 किलो से 6.9 किलो तक और लंबाई 61.4 सेंटीमीटर तक हो सकती है। हालांकि यहां इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हर बच्चे का शारीरिक विकास व बनावट ऐक जैसी नहीं हो सकती है।

चेहरा पहचानना – तीसरे महीने में बच्चा साथ रहने वालों व आसपास के लोगों के चेहरे को पहचानने लगता है।

सिर उठाना – तीन महीने का बच्चा जब पेट के बल लेटता है, तो वह अपने सिर और सीने को हल्का-हल्का ऊपर उठाने की कोशिश करता है। कई बार वह ऐसा कर भी लेते हैं। आपको उसकी इन गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए।

हाथों पर शरीर का वजन – तीसरे महीने में बच्चा पेट के बल लेटने के दौरान कभी-कभार अपने हाथों पर पूरे शरीर का वजन देकर शरीर को उठाने की कोशिश करता है।

मुंह में हाथ डालना – इस अवस्था में बच्चा मुंह में हाथ डालने लगता है। वह अपने अंगूठे को चूसना शुरू कर देता है। यह कई बार उसके भूख लगने का संकेत भी होता है।

खेल-कूद करना – तीसरे महीने में आकर बच्चा जोर-जोर से हाथ-पैर हिलाकर खेलना शुरू कर देता है। जान पहचान वाले चेहरों को देखकर वह उत्साहित होता है और इस तरह की गतिविधियां तेज कर देता है। अगर सामने वाला बच्चे के खेल पर ध्यान न दे, तो वह रोने भी लगता है।

खिलौने को पकड़ना – तीसरे महीने में बच्चा कुछ चीजों को पकड़ना सीख लेता है। उसके सामने अगर उसके पसंद के खिलौने रखे जाएं तो वह उन्हें पकड़ता है, खींचता है और फेंकने भी लगता है। इसके अलावा वह मुट्ठी को खोलना व बंद करना भी शुरू कर देता है।

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यूं तो शुरुआती 1 साल में बच्चे पर काफी ध्यान देना पड़ता है, लेकिन जन्म से लेकर 6 महीने तक बच्चे पर अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। तीसरे महीने में होने वाले कई बदलावों की वजह से मां-बाप के लिए बच्चे की देखभाल करना काफी जरूरी हो जाता है। आइए जानते हैं आखिर तीन महीने के बच्चे की देखभाल कैसे करें और क्या सावधानी बरतें।

बच्चे का खान-पान – तीन महीने के बच्चे के लिए मां का दूध सबसे बेहतर आहार है। मां के दूध में पानी की भी मात्रा भरपूर होती है। ऐसे में उसे स्तनपान कराना जारी रखें। उसे न पानी दें और न फलों का रस। हालांकि इस समय में शारीरिक विकास की वजह से उसे भूख अधिक लगती है। ऐसे में बच्चे को रोजाना 500 से 900 एमएल दूध की जरूरत होती है। उसे 24 घंटे में 8-12 बार स्तनपान करा सकती हैं। अगर किसी वजह से बच्चे को मां का दूध नहीं मिल पा रहा है, तो उसे फॉर्मूला दूध दिया जा सकता है। तीन महीने के बच्चे के लिए 177 एमएल फॉर्मूल दूध 5-6 बार दे सकते हैं।

नींद का ध्यान – तीसरे महीने में बच्चे का नर्वस सिस्टम मैच्योर होने लगता है। इससे उसकी नींद भी बढ़ती है। इस अवस्था में पैरेंट्स के लिए बच्चे की नींद का ध्यान भी रखना बहुत जरूरी है। बच्चे के लिए पर्याप्त नींद आवश्यक है। वैसे तो बच्चों के सोने का कोई तय समय नहीं होता है। पर तीन महीने का बच्चा औसतन 15 घंटे सो सकता है। रात को वह 9-10 घंटे और दिन में कम से कम 4-5 घंटे की नींद ले सकता है।

टीके का ध्यान – जन्म के बाद अगले कुछ साल तक बच्चे को कई टीके लगते हैं। तीसरे महीने में भी कई टीके बच्चे के लिए जरूरी होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि पैरेंट्स बच्चे को लगने वाले टीकों का ध्यान रखें। ताकि समय रहते उन्हें ये लग सकें। तीसरे महीने में बच्चे को जो टीके लगते हैं उनमें डीटी डब्ल्यू पी-2, आईपीवी-2, हिब-2, रोटावायरस-2 व पीसीवी-2 प्रमुख हैं। ये टीके कब-कब लगवाने हैं, इसकी जानकारी बच्चे के डॉक्टर से जरूर लें।

स्वास्थ्य का ध्यान रखें – शारीरिक विकास व मौसम की वजह से तीन महीने के बच्चे में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी जल्दी हो जाती हैं। ऐसे में इन समस्याओं पर अभिभावकों को ध्यान देना चाहिए और बच्चे की देखभाल करनी चाहिए। इस अवस्था में बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जो समस्याएं होती हैं उनमें सर्दी-जुकाम, कान का संक्रमण, स्किन प्रॉब्लम व कम वजन प्रमुख हैं। इनमें से कोई भी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

बच्चे व घर को साफ रखें – इस अवस्था में बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए उसकी और घर की सफाई पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है। बच्चे के डायपर का ध्यान रखें। गीला होते ही उसे फौरन बदल दें, ताकि उसे रैशेज न हों। बच्चे के नाक में गंदगी न रहने दें। नाक को रोजाना गीला कपड़ा लेकर हल्के हाथों से साफ करें। बच्चे खेलने के दौरान अक्सर खिलौनों को मुंह में लेते हैं। गंदगी होने की स्थिति में इससे संक्रमण का डर रहता है। ऐसे में जरूरी है कि आप खिलौनों को भी साफ रखें। इसके अलावा घर में भी गंदगी जमा न होने दें। इससे भी बच्चे को इन्फेक्शन हो सकता है। आपको अपनी सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए। बच्चे को छूने से पहले आपको अपने हाथ अच्छे से धोने चाहिएं।

खेल के साथ ये गतिविधियां भी आजमाएं – तीसरे महीने में बच्चे कई तरह की शारीरिक गतिविधियां करने लगते हैं। ऐसे में पैरेंट्स व घर के सदस्यों के लिए जरूरी है कि वह उसके साथ खेलें और कुछ अन्य गतिविधियां करें। आप बच्चे के सामने म्यूजिक चला सकते हैं। अलग-अलग तरह की आवाजें निकाल सकते हैं। इससे बच्चा ध्वनि पहचानेगा। हालांकि आवाज तेज न हो इसका ध्यान रखें। शिशु को पेट के बल लेटा दें और उसके सामने कोई खिलौना या चीज रख दें। बच्चा उस चीज को पकड़ने के लिए कोशिश करेगा और उसे पकड़ना सीखेगा। इसके अलावा बच्चे को बाहर की खुली हवा में जरूर घुमाएं।

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क्योंकि इस अवस्था में बच्चे बोलने में सक्षम नहीं होते, ऐसे में वह अपनी तकलीफ व जरूरतों को बता नहीं सकते। उनकी तकलीफ जानने के लिए आपको उनकी हर छोटी-बड़ी हरकतों पर ध्यान देना होगा। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ लक्षणों के बारे में जिन्हें देखकर आपको फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
तीसरे महीने में बच्चा काफी हद तक अपने सिर को संभाल लेता है। पर आपका बच्चा अगर सिर को नियंत्रित नहीं कर पा रहा है, तो यह स्थिति गंभीर है। आपको फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
दूध न पीए या दूध पीने के बाद बार-बार उल्टी करे।

कोई आवाज सुनकर बच्चा अगर प्रतिक्रिया न दे या फिर जान पहचान वाले चेहरों को देखकर भी कोई प्रतिक्रिया न दे। आंखों पर अचानक से रोशनी पड़ने के बाद भी पलकें न झपकाए, तो ये लक्षण भी बच्चे के लिए ठीक नहीं हैं। फौरन डॉक्टर को दिखाएं।

तीन महीने का बच्चा खिलौने व अन्य चीजों को पकड़ने में सक्षम हो जाता है। पर अगर आपका बच्चा किसी चीज को नहीं पकड़ पा रहा है तो यह गंभीर विषय है। उसे फौरन किसी बाल विशेषज्ञ डॉक्टर से दिखाएं।

अगर बच्चा लगातार रो रहा हो, चिड़चिड़ा हो जाए, दूध न पिए या फिर बेचैन हो जाए तो यह किसी शारीरिक समस्या के लक्षण हैं। आपको फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि नवजात शिशु पूरी तरह से आप पर निर्भर है तो आपको उसके रूटीन को अच्छे से समझकर उसकी देखभाल करनी होगी जैसे कि बेबी के सोने का टाइम क्या है, बेबी को किस समय में भूख लगती है। अगर आप भी अपना अनुभव अन्य मांओं के साथ शेयर करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपना विचार जरूर लिखें। अगर आपको ये ब्लॉग अच्छा लगा तो किसी साथी मां के साथ इस ब्लॉग को शेयर भी जरूर कर दें। अपना और अपने बेबी का ख्याल रखें।

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