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गर्भावस्था के तीसरे महीने में होने का मतलब है कि यह आपकी प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही का आखिरी महीना है। अपनी गर्भावस्था का सबसे जोखिम वाला समय आप कुशलतापूर्वक तय कर चुकी हैं। आइए जानें तीसरे महीने की गर्भवती होने का क्या मतलब है।
बच्चे का विकास
आपका बच्चा अब अविकसित भ्रूण से गर्भस्थ शिुशु में बदल चुका है। उसकी शुरुआत पोस्त के दाने के बराबर आकार से हुई थी लेकिन अब वह एक बड़े नीबू का साइज ले चुका है। उसके शरीर के सारे जरूरी अंग बन चुके हैं अब उनका विकास होना बाकी है।
वह अपनी मुट्ठियां खोलने, बंद करने लगा है। वह हिचकियां लेता है, अंगूठा चूसता है। हालांकि जरूरी नहीं कि आपको उसकी हलचल अभी महसूस हो।
जोखिम कम हुआ
जानकारों का कहना है कि औसतन 15 प्रतिशत प्रेग्नेंसी पहली तिमाही या पहले तीन महीनों कें दौरान गर्भपात के रूप में खत्म हो जाती हैं। तीसरे महीने के अंत का मतलब है कि अब इस जोखिम से कुछ समय के लिए राहत मिल गई है। डॉक्टर की सलाह पर छोटी-मोटी यात्रा की जा सकती है।
कुछ पुराने लक्षण खत्म हो जाएंगे
प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीनों में सबसे ज्यादा परेशानी मॉर्निंग सिकनेस या जी मिचलाने से होती है। सुबह उठते ही उल्टियां शुरू हो जाती हैं। खाने की किसी भी चीज को देखकर, उसकी महक सूंघकर यहां तक कि उसकी याद भर करके उल्टियां आने लगती हैं। ऐसा हॉर्मोंस में होने वाले बदलाव की वजह से होता है।
लेकिन खुशी की बात यह है कि तीन महीने पूरे होते-होते अधिकतर महिलाओं को इस मुसीबत से छुटकारा मिल जाता है। हालांकि कुछ नई परेशानियां शुरू हो जाती हैं फिर भी अगर तुलना की जाए तो पूरी गर्भावस्था में पहले तीन महीने सबसे मुश्किल भरे होते हैं। पर तीसरे महीने में आते ही कुछ राहत मिलने लगती है। पर थकान, कमर दर्द, कब्ज, पेट पर निशान, बार-बार यूरिन जाने जैसी समस्याएं जारी रहेंगी।
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