32 वीक प्रेगनेंसी इन हिंदी?pregnancytips.in

Posted on Wed 7th Nov 2018 : 08:33

Pregnancy 32nd Week में बेबी की मूवमेंट पर रखनी है नजर

32 week Pregnancy में होने का मतलब है कि बच्‍चे के जन्‍म में केवल एक महीना भर बचा है। ऐसे में आपके पहले के लक्षण तो बने ही रहेंगे लेकिन अब डिलिवरी के symptoms पर आपको ध्‍यान देना होगा।

Pregnancy 32nd Week
ये आपकी गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही चल रही है। शिशु के आने का आप बेसब्री से इंतजार कर रही हैं और जल्‍द ही आपका ये इंतजार खत्‍म होने वाला है। इस सप्‍ताह भी आपको कुछ लक्षण परेशान कर सकते हैं लेकिन घबराइए नहीं क्‍योंकि बहुत जल्‍द ही ये सब खत्‍म होने वाला है और आपका बच्‍चा आपकी गोद में आने वाला है।

आपकी प्रेगनेंसी का 32वां सप्‍ताह मतलब आप अपनी गर्भावस्‍था के आठवें महीने में चल रही हैं। अब बच्‍चे के जन्‍म में केवल एक महीना भर बचा है। ऐसे में आपके पहले के लक्षण तो बने ही रहेंगे लेकिन अब डिलीवरी के संकेतों पर आपको ध्‍यान देना होगा। इसलिए इस समय होने वाले लक्षणों और संकेतों को नजरअंदाज न करें।

प्रेगनेंट महिला के शरीर में बदलाव
आपके मसूड़े कमजोर हो सकते हैं या उनमें से ब्रश करते समय खून भी आ सकता है। इस तरह के कुछ बदलाव आपको इस सप्‍ताह देखने को मिलेंगें। मसूड़ों को मजबूत करने के लिए नमक के पानी से कुल्‍ला करें।
हार्मोनल बदलाव के कारण लिगामेंटस रिलैक्‍स हो सकते हैं और इन्‍हीं हार्मोंस का असर दांतों को पकड़ कर रखने वाले छोटे लिगामेंट्स पर भी पड़ सकता है। इसकी वजह से दांतों में ढीलापन महसूस हो सकता है। इम्‍यून सिस्‍टम के कमजोर होने के कारण मुंह में छाले हो सकते हैं।
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हर इंसान को गैस और पेट फूलने की प्रॉब्‍लम होती है। आम इंसान दिन में लगभग 12 से 14 बार गैस पास करता है। वहीं प्रेगनेंट महिलाओं में प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन लेवल के बढ़ते लेवल की वजह से शरीर की मांसपेशियां रिलैक्‍स हो जाती हैं।

इसका मतलब है कि पाचन मार्ग की सभी मांसपेशियां भी रिलैक्‍स हो जाती हैं जिससे पाचन धीमा पड़ जाता है। इससे पेट में गैस अधिक बनने लगती है।

प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन के बढ़ने के कारण न सिर्फ प्रेगनेंट महिलाओं को ज्‍यादा गैस बनती है बल्कि उन्‍हें पब्लिक प्‍लेस में भी अक्‍सर यह समस्‍या ज्‍यादा होती है।

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गर्भवती महिलाओं का पाचन पहले की तुलना में लगभग 30 फीसदी धीमा हो जाता है। इसके कारण अधिक गैस बनने लगती है और ये गैस डकार या गुदा मार्ग के जरिए शरीर से बाहर निकलती है।

वहीं, गर्भ में शिशु को जगह देने के लिए गर्भाशय का आकार बढ़ता रहता है जिससे पेट, आंतों, मूत्राशय और आसपास के हिस्‍सों पर दबाव पड़ता है। पाचन धीमा पड़ जाता है और गैस अधिक बनती है।

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अमूमन हर महिला को प्रेगनेंसी के दौरान इस परेशानी से गुजरना ही पड़ता है। हालांकि, आप अपनी जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव कर के गैस की समस्‍या को खत्‍म कर सकती हैं।

ब्रोकली और बींस ज्‍यादा गैस बनाते हैं इसलिए प्रेगनेंसी डायट में इनका कम ही इस्‍तेमाल करें। इसके अलावा बंदगोभी, फूलगोभी, कार्बोहाइड्रेट युक्‍त और कुछ डेयरी प्रोडक्‍ट भी गैस पैदा करते हैं। शुगर फ्री चीजें खाएं और कार्बोनेटेड ड्रिंक्‍स कम पिएं।



जैसा कि हमने पहले भी बताया कि गर्भावस्‍था में गैस बनने की शिकायत अधिक रहती है इसलिए इससे निजात पाने के लिए खूब पानी पिएं। पानी पाचन को तेज करता है और कब्‍ज होने से बचाता है।

एक ही बार में ज्‍यादा खाने की बजाया थोड़ा-थोड़ा करके खाएं। खाने को अच्‍छी तरह से चबाकर खाने से भी फायदा होता है। रोज एक्‍सरसाइज करें।


बच्‍चे का विकास
आपके बच्‍चे का आकार अब 15 से 17 इंच के आसपास होगा। उसका वजन भी लगभग 1.6 से 1.8 किलो के बीच होगा। देखने में वह अब एक नवजात शिशु जैसा ही लगेगा। उसके सभी प्रमुख अंगों का विकास हो चुका है फेफड़ों को छोड़कर। वह आपके गर्भाशय में हाथ-पैरों को सिकोड़े हुए नीचे की ओर सिर वाली पोजिशन में आ गया होगा। अगर वह इस‍ स्थिति में नहीं है तो आने वाले कुछ समय में ऐसी स्थिति में आ जाएगा।


आपके लक्षण
आप अपनी गर्भावस्‍था के अंतिम चरण में हैं। इस समय बच्‍चे का आकार ऐसा है कि उसने आपके गर्भाशय को घेर रखा है इसलिए वह अब पहले की तरह आपके पेट में उछल कूद नहीं कर सकता। अब उसके करवट लेने या हाथ-पैरों को हिलाने-डुलने की गतिविधियां होती रहेंगी।
अब आपको उसके मूवमेंट पर पूरा ध्‍यान रखना है। इनमें कमी या तेजी होते ही अपने डॉक्‍टर से संपर्क कीजिए। इसके अलावा कब्‍ज, चक्‍कर आने, पैरों में ऐंठन, पेट की त्‍वचा में खुजली वगैरह होती रहेगी, दुग्‍ध ग्रंथियों से स्राव भी होगा। अन्‍‍‍य लक्षण इस प्रकार हैं :

नकली लेबर पेन : इसे डॉक्‍टरी भाषा में Braxton Hicks Contractions भी कहते हैं। इनके होने का मतलब है कि आपका शरीर डिलीवरी की रिहर्सल कर रहा है। इस दौरान आपके गर्भाशय के ऊपरी हिस्‍से से संकुचन शुरू होकर नीचे की ओर बढ़ते हैं। ये 15 से 30 सेकंड तक रहते हैं कभी-कभी इससे ज्‍यादा भी।ऐसी स्थिति में आपको अपनी पोजिशन बदल लेनी चाहिए। मतलब अगर बैठी हैं तो खड़ी हो जाइए या कुछ कदम चलने लगिए। ये रुक जाएंगे। अगर ये न रुकें और समय के साथ बढ़ते जाएं तो समझ लीजिए आपके लेबर पेन की शुरूआत हो चुकी है। डॉक्‍टर से संपर्क कीजिए।
वजाइनल डिस्‍चार्ज : इस समय वजाइना से गाढ़ा पदार्थ निकलता है। यह आपको इन्‍फेक्‍शन से बचाने के लिए है। लेकिन अगर इसकी जगह पानी जैसा तरल निकलने लगे तो समझ जाइए कि डिलीवरी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसी स्थिति में बिना घबराए कोई सूती चादर या तौलिया इस तरह अपने पैरों के बीच लगा लीजिए कि पानी तेजी से न निकले और डॉक्‍टर के पास जल्‍द से जल्‍द पहुंचने की कोशिश करें।

प्रेगनेंसी में मीरा राजपूत को भी हुई थी ये समस्या, जानें इसका कारण

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हर इंसान को गैस और पेट फूलने की प्रॉब्‍लम होती है। आम इंसान दिन में लगभग 12 से 14 बार गैस पास करता है। वहीं प्रेगनेंट महिलाओं में प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन लेवल के बढ़ते लेवल की वजह से शरीर की मांसपेशियां रिलैक्‍स हो जाती हैं।

इसका मतलब है कि पाचन मार्ग की सभी मांसपेशियां भी रिलैक्‍स हो जाती हैं जिससे पाचन धीमा पड़ जाता है। इससे पेट में गैस अधिक बनने लगती है।

प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन के बढ़ने के कारण न सिर्फ प्रेगनेंट महिलाओं को ज्‍यादा गैस बनती है बल्कि उन्‍हें पब्लिक प्‍लेस में भी अक्‍सर यह समस्‍या ज्‍यादा होती है।
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गर्भवती महिलाओं का पाचन पहले की तुलना में लगभग 30 फीसदी धीमा हो जाता है। इसके कारण अधिक गैस बनने लगती है और ये गैस डकार या गुदा मार्ग के जरिए शरीर से बाहर निकलती है।

वहीं, गर्भ में शिशु को जगह देने के लिए गर्भाशय का आकार बढ़ता रहता है जिससे पेट, आंतों, मूत्राशय और आसपास के हिस्‍सों पर दबाव पड़ता है। पाचन धीमा पड़ जाता है और गैस अधिक बनती है।
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अमूमन हर महिला को प्रेगनेंसी के दौरान इस परेशानी से गुजरना ही पड़ता है। हालांकि, आप अपनी जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव कर के गैस की समस्‍या को खत्‍म कर सकती हैं।

ब्रोकली और बींस ज्‍यादा गैस बनाते हैं इसलिए प्रेगनेंसी डायट में इनका कम ही इस्‍तेमाल करें। इसके अलावा बंदगोभी, फूलगोभी, कार्बोहाइड्रेट युक्‍त और कुछ डेयरी प्रोडक्‍ट भी गैस पैदा करते हैं। शुगर फ्री चीजें खाएं और कार्बोनेटेड ड्रिंक्‍स कम पिएं।

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जैसा कि हमने पहले भी बताया कि गर्भावस्‍था में गैस बनने की शिकायत अधिक रहती है इसलिए इससे निजात पाने के लिए खूब पानी पिएं। पानी पाचन को तेज करता है और कब्‍ज होने से बचाता है।

एक ही बार में ज्‍यादा खाने की बजाया थोड़ा-थोड़ा करके खाएं। खाने को अच्‍छी तरह से चबाकर खाने से भी फायदा होता है। रोज एक्‍सरसाइज करें।


प्रेगनेंट महिलाएं इस समय क्‍या करें
अचानक वजन बढ़ना, लगातार सिरदर्द रहना, आंखों से धुंधला दिखाई देना, पेट के ऊपरी हिस्‍से या कंधे में दर्द और सूजन महसूस हो रही है तो यह प्रीक्‍लैंप्‍सिया के लक्षण हो सकते हैं। इस सप्‍ताह प्रेगनेंट महिलाओं में यह परेशानी उभर सकती है। इन लक्षणों के दिखते ही तुरंत डॉक्‍टर से बात करें।

बेबी की मूवमेंट पर नजर रखें और डायट में पौष्टिक चीजों को शामिल करना न भूलें। डॉक्‍टर की सलाह पर योग और एक्‍सरसाइज कर सकती हैं।

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