34 सप्ताह के समय से पहले पैदा होने वाला बच्चा है?pregnancytips.in

Posted on Sat 22nd Oct 2022 : 12:09

आमतौर पर, गर्भधारण के 38 सप्ताह के बाद बच्चे पैदा होते हैं।लेकिन, कुछ मामलों में, बच्चों का जन्म समय से पहले, 34वें सप्ताह में भी हो जाता है। प्रीमी या प्रीमैच्योर कहे जाने वाले इन शिशुओं को, अस्पताल और घर दोनों जगह पर विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।

34वेंं सप्ताह में शिशु के जन्म के कारण

समय से पहले होने वाले प्रसव के कारण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं:-

* जनन मार्ग का संक्रमण और बैक्टीरियल स्राव जो एम्नियोटिक थैली के आसपास की झिल्ली को कमजोर करते हैं, जिससे यह जल्दी फट जाती है
* प्लेसेंटा प्रिविया, प्लेसेंटा एब्डॉमिनल या प्लेसेंटा एक्रिटा जैसी प्लेसेंटा यानि गर्भनाल से जुड़ी समस्याएं
* अत्यधिक एम्नियोटिक द्रव की उपस्थिति
* गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) की संरचना में असामान्यताएं जैसे सर्विक्स की अक्षमता
* ओवरी सिस्ट, अपेंडिक्स या पित्ताशय की थैली को हटाने के लिए गर्भावस्था के दौरान पेट की सर्जरी

34वें सप्ताह में जन्मे शिशुओं में जटिलताएं

यहाँ कुछ ऐसी जटिलताओं के बारे में बताया गया है जो 34वें सप्ताह में पैदा हुए बच्चों में हो सकती हैं:

1. पीलिया-
प्रीमैच्योर बच्चों को पीलिया होने का खतरा होता है, क्योंकि उनमें पूरी तरह कार्यात्मक मेटाबोलिज्म प्रणाली की कमी होती है। रक्त का एक उत्पाद – बिलीरुबिन, शरीर में जमा हो जाता है, जिससे त्वचा और आँखों में पीलापन आ जाता है।

2. खून की कमी-
एनीमिया लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण होता है। ये कोशिकाएं शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन पहुँचाती हैं। समय से पहले जन्मे बच्चे में, पूरी तरह से विकसित होने के लिए पर्याप्त रक्त नहीं होता है और इसलिए बच्चे का शरीर कमजोर हो जाता है।

3. रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (आर.डी.एस.)-
समय से पहले जन्मे शिशुओं में श्वसन प्रणाली ठीक से विकसित नहीं होती है, जिससे उन्हें सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। ये बच्चे पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति भी संवेदनशील होते हैं और कोई भी परिवर्तन उन्हें सांस लेने में बहुत ज्यादा परेशानी पैदा कर देता है।

4. एपनिया-
एपनिया एक ऐसा विकार होता है जिसमें शिशु का शरीर सांस लेने का कोई प्रयास नहीं करता है; यह उनकी अविकसित श्वसन प्रणाली के कारण होने की संभावना होती है। शिशुओं को तब तक सांस लेने में तकलीफ बनी रहती है, जब तक उसका शरीर ठीक से परिपक्व नहीं हो जाता है और इसका इलाज दवा और अच्छे तरह देखभाल करके किया जाता है।

5. संक्रमण-
कमजोर इम्युनिटी के कारण शिशु अनेक तरह के संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं।

6. पेटेंट डक्टस आर्टेरियस-
यह वो धमनी होती है जो माँ से बच्चे को जोड़ती है। ऐसा हो सकता है कि यह जन्म के बाद ठीक से बंद नहीं हुई हो और इस कारण यह गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकती है।

7. ब्रोन्कोपल्मोनरी डिसप्लेसिया (बी.पी.डी.)-
यदि आपके शिशु में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी गंभीर रूप से विकसित होने लगे, तो उसे सांस लेने के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता हो सकती है।

8. ब्लड प्रेशर कम होना-
समय पूर्व जन्मे शिशुओं में ब्लड पूल और रक्त वाहिकाओं का निर्माण अच्छी तरह से नहीं हुआ होता है। इसलिए ब्लड प्रेशर को संतुलित रख पाना मुश्किल हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप जन्म के तुरंत बाद रक्तचाप कम हो जाता है।

9. नेक्रोटाइजिंग एंट्रोकोलाइटिस-
यह एक ऐसी खतरनाक स्थिति होती है जिसमें प्रीमैच्योर शिशु की आंतों की दीवारों पर बैक्टीरिया द्वारा आक्रमण होता है। अविकसित आंतों में होने वाले संक्रमण के परिणामस्वरूप पेट के अंदर मल का रिसाव होने लगता है।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
--------------------------- ---------------------------
+22

Author -> Poster Name

Short info