36 सप्ताह की गर्भवती होने पर मुझे क्या महसूस होना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Fri 21st Oct 2022 : 13:33

Pregnancy के 36 week में थकान सबसे ज्‍यादा रहेगी

इस समय आपको थकान ज्‍यादा रह सकती है इसलिए जितना हो सके आराम करें। ये आपकी प्रेगनेंसी के आखिरी दिन चल रहे हैं इसलिए इन्‍हें इंजॉय करने की कोशिश करें।
ये आपके लिए खुश होने का समय है क्‍योंकि जल्‍द ही आपका शिशु आपकी गोद में होगा। अब आपका एक एक दिन गिनकर गुजरने वाला है क्‍यों‍कि नन्‍हे मेहमान के आने का वक्‍त जो नजदीक आ रहा है।आप अपनी प्रेगनेंसी के 36वें सप्‍ताह में पहुंच गई हैं। बढ़े हुए पेट की असहजता, बढ़ा हुआ अपना वजन आपको परेशान कर रहा है। लेकिन परेशान होने की जरूरत नहीं है।यह समय आपके बच्‍चे के लिए बहुत अहम है, आपके पेट में बिताए गए एक-एक पल में उसका विकास हो रहा है। इसलिए थोड़ा इंतजार करने में कोई बुराई नहीं है। आइए देखते हैं इस हफ्ते आप और आपका बच्‍चा क्‍या महसूस करेंगे।प्रेगनेंट महिला के शरीर में बदलाव
फिलहाल आपको बहुत ज्‍यादा थकान महसूस होगी। आपके बच्‍चे को बाहर आने में अभी समय है। फुल टर्म प्रेगनेंसी 40 सप्‍ताह की होती है जिसमें अभी कुछ समय बाकी है। डिलीवरी और शिशु के स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर चिंता हो सकती है। अगर आपके मन में कोई सवाल है तो डॉक्‍टर से उसके बारे में जरूर बात करें।आपके बच्‍चे का विकास आपका बच्‍चा इस समय करीब 18 इंच के आसपास है इसका वजन सवा दो से पौने तीन किलो के बीच हो सकता है। बच्‍चा बाहरी दुनिया के लिए खुद को तैयार कर चुका है हां उसका पाचन तंत्र पैदा होने के लगभग साल भर तक विकसित होता रहेगा। बहुत मुमकिन है कि वह जन्‍म लेने की अपनी पोजीशन में आ चुका हो, मतलब सिर नीचे। अगर नहीं, तो परेशान न हों अभी समय है वह इस स्थिति में आ सकता है। प्रेगनेंसी के 36वें सप्‍ताह के लक्षण
बढ़ते वजन के सारे लक्षण पिछले हफ्तों जैसे ही रहेंगे इनमें पैरों में क्रैम्‍प्‍स पड़ना या ऐंठन, थकान के साथ चक्‍कर आना, कब्‍ज और बवासीर, नाक से खून आना, ब्रेस्‍ट से दूध आना वगैरह शामिल हैं। पर इस सप्‍ताह आपको जिन लक्षणों पर निगाह रखनी है वे हैं:
नकली लेबर पेन : इसे डॉक्‍टरी भाषा में Braxton Hicks Contractions भी कहते हैं। इनके होने का मतलब है कि आपका शरीर डिलीवरी की रिहर्सल कर रहा है। इस दौरान आपके गर्भाशय के ऊपरी हिस्‍से से संकुचन शुरू होकर नीचे की ओर बढ़ते हैं।ये 15 से 30 सेकंड तक रहते हैं कभी-कभी इससे ज्‍यादा भी। ऐसी स्थिति में आपको अपनी पोजीशन बदल लेनी चाहिए। मतलब अगर बैठी हैं तो खड़ी हो जाइए या कुछ कदम चलने लगिए। ये रुक जाएंगे। अगर ये न रुकें और समय के साथ बढ़ते जाएं तो समझ लीजिए आपके लेबर पेन की शुरूआत हो चुकी है। डॉक्‍टर से संपर्क कीजिए।
वजाइनल डिस्‍चार्ज : इस समय वजाइना से गाढ़ा पदार्थ निकलता है। यह आपको इन्‍फेक्‍शन से बचाने के लिए है। लेकिन अगर इसकी जगह पानी जैसा तरल निकलने लगे तो समझ जाइए कि डिलीवरी की प्रक्रिया शुरू हो गई है।ऐसी स्थिति में बिना घबराए कोई सूती चादर या तौलिया इस तरह अपने पैरों के बीच लगा लीजिए कि पानी तेजी से न निकले और डॉक्‍टर के पास जल्‍द से जल्‍द पहुंचने की कोशिश करें।
बच्‍चे का बर्थ कैनाल में नीचे उतरना : यह आपके लिए राहत की सांस हो सकती है, क्‍योंकि इससे आपको सांस लेने में जो दिक्‍कत हो रही है वह कम हो जाएगी। बच्‍चा आपकी पेल्विक केविटी या बर्थ कैनाल में नीचे की ओर सरक आता है। इससे आपके अंदरूनी अंगों पर दबाव कुछ कम हो जाता है। अब आप भोजन भी आराम से कर सकेंगी।
हां, इस दौरान भी बच्‍चे के मूवमेंट पर पूरी नजर रखें, कम मूवमेंट या जरूरत से ज्‍यादा मूवमेंट करने पर डॉक्‍टर से संपर्क करें। प्रेगनेंट महिलाएं क्‍या करें
अगर आपको पेट में संकुचन महसूस हो रहा है तो डॉक्‍टर को फोन करें या अस्‍पताल जाएं। वजाइनल ब्‍लीडिंग (योनि से खून आना) या पेट में तेज दर्द होने पर भी आपको डॉक्‍टर को बताना चाहिए।यदि शिशु की मूवमेंट में कमी महसूस हो रही है (एक घंटे में 10 से कम बार मूव करना) तो इस बारे में डॉक्‍टर को जरूर बताएं।

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