38 सप्ताह की गर्भवती होने पर मुझे इतनी थकान क्यों महसूस होती है?pregnancytips.in

Posted on Tue 11th Oct 2022 : 20:06

प्रेग्नेंसी में थकान क्यों होती है, कैसे करें इसे दूर?

प्रेग्नेंसी में थकान शारीरिक परिवर्तनों के कारण होती है। प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में ज्यादातर महिलाओं को थकान महसूस होती है। इस दौरान शारीरिक कमजोरी भी हो सकती है। कुछ महिलाओं को दूसरी तिमाही में आराम महसूस होता है थकान नहीं लगती। वहीं कुछ महिलाएं तीसरी तिमाही के दौरान अधिक थकान महसूस करती हैं। प्रेग्नेंसी के समय शारीरिक बदलाव के कारण कमजोरी और बेहोशी भी महसूस हो सकती है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि प्रेग्नेंसी में थकान कब ज्यादा महसूस होती है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए?
प्रेग्नेंसी में थकान क्यों महसूस होती है?
पहली तिमाही के दौरान महसूस होने वाली थकान
गर्भ में बढ़ते हुए बच्चे को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस दौरान रक्त उत्पादन भी अधिक होता है। ब्लड शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। प्रेग्नेंसी के कारण प्रोजेस्टेरोन का लेवल बढ़ जाता है जिस कारण नींद अधिक आती है। शरीर में होने वाले परिवर्तन के साथ ही भावनात्मक परिवर्तन भी कम ऊर्जा संचार का कारण बन जाते हैं। इस कारण महिलाओं को आलस आता है और प्रेग्नेंसी में थकान महसूस होती है।
बच्चे के बारे में चिंता
प्रेग्नेंसी में थकान का मुख्य कारण बच्चे को लेकर चिंता भी हो सकती है। प्रेग्नेंसी प्लान की गई हो या फिर अनप्लान्ड, मां को आने वाले बच्चे को लेकर कई प्रकार की चिंताएं सताती हैं। गर्भावस्था के दौरान शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान महिला अधिक थकान महसूस करती है।

दूसरी बार मां बनने पर चिंता
महिलाएं जब पहली बार मां बनती हैं तो उन्हें आने वाले बच्चे को लेकर चिंता होती है वहीं दूसरी बार मां बनने पर अक्सर महिलाओं को दो बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी के साथ ही प्रेग्नेंसी के दौरान पहले बच्चे की देखभाल की वजह से भी थकान की समस्या हो सकती है। दूसरी बार मां बनने पर महिलाएं अपने आप को पूरा समय नहीं दे पाती हैं। उनके मन में अक्सर एक साथ कई ख्याल आते हैं और साथ ही पहले बच्चे को पूरा समय देने की कोशिश के चलते उन्हें थकान के साथ ही कमजोरी भी महसूस हो सकती है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। अगर आप समय के अनुसार सारे काम शेड्यूल कर लेंगी तो आपको ज्यादा थकावट महसूस नहीं होगी और साथ ही काम के दौरान आराम का समय भी मिल जाएगी।
ऐसा नहीं है कि प्रेग्नेंसी में केवल थकान ही महसूस होती है। प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही के दौरान ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है। इस दौरान महिलाएं किसी भी काम को करने के लिए खुद को एनर्जेटिक फील करती हैं। दूसरी तिमाही को हैप्पी ट्राईमेस्टर भी कहा जाता है, लेकिन ये बात सभी महिलाओं पर लागू नहीं होती है क्योंकि कुछ महिलाएं दूसरी तिमाही के दौरान भी थकान महसूस कर सकती हैं। अगर आप ऐसा कुछ फील नहीं कर रही हैं तो ये अच्छी बात है।
आखिरी महीनों में बढ़ सकती है समस्या
ऐसा कहा जाता है कि प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही और आखिरी तिमाही के दौरान कुछ समस्याएं बढ़ जाती है। प्रेग्नेंसी में थकान तीसरी तिमाही के दौरान फिर से महसूस हो सकती है। कुछ समस्याएं जैसे बार-बार यूरिन पास करना, पेट के बड़ा हो जाने के कारण उठने-बैठने या फिर सोने में समस्या होना आदि। इन कारणों से तीसरी तिमाही के दौरान महिलाओं को थकान का ज्यादा सामना करना पड़ जाता है।
बेहोशी भी आ सकती है
प्रेग्नेंसी में थकान होना आम बात है, लेकिन थकान जब ज्यादा हो जाती है तो बेहोशी जैसे लक्षण भी महसूस होने लगते हैं। ये शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण होता है। इस दौरान मस्तिष्क को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता है, इस कारण बेहोशी जैसा महसूस हो सकता है। नहाने के दौरान, खड़े होने के पर या फिर जल्दी से खड़े होने पर आपको बेहोशी जैसा महसूस हो सकता है।
बेहोशी से बचने के लिए क्या करें?
आप जब भी बैठी या फिर लेटी हुई हो, आराम से उठें, झटके के साथ उठने पर समस्या हो सकती है।
अगर खड़े होने के दौरान बेहोशी महसूस हो तो तुरंत पास की चेयर पर बैठ जाएं। हो सके तो करवट लेकर लेटना सही रहेगा।
मौसम गर्म है तो इस दौरान खूब पानी पीना आपकी सेहत के लिए अच्छा रहेगा।
प्रेग्नेंसी में थकान से बचने के लिए क्या करें?
हेल्दी खाने पर दें ध्यान
प्रेग्नेंसी के दौरान हेल्दी खाना बहुत जरूरी है। एक्सपर्ट के अनुसार सेटिस्फाइंग और एंटीइंफ्लमेटरी डायट प्रेग्नेंसी की थकान से लड़ने में मदद करती है। खाने में ताजी सब्जियां, फल आदि पौष्टिक आहार शामिल करें। प्रोसेस्ड फूड को जितना ज्यादा हो सके अवॉयड करें। आपको इस समय जल्दी पचने वाले कार्बोहाइड्रेड से दूरी बनाकर रखना चाहिए जैसे कि व्हाइट ब्रेड। क्योंकि इनको खाने से नींद बहुत ज्यादा आती है। आयरन और प्रोटीन की उच्च मात्रा लें और वसा का कम सेवन करें। इस दौरान पानी पीते रहना आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।
आप प्रेग्नेंसी में थकान से बचने के लिए एक साथ खाना न खाएं। एक साथ खाने से आपको आलस का एहसास या फिर अधिक नींद का एहसास भी हो सता है। एक बार में अधिक खाने से पेट में अधिक भारीपन का एहसास हो सकता है। खाने को दिन भर में छह से सात भर खाएं। ऐसा करने से आपको भारीपन का एहसास नहीं होगा और साथ ही खाना भी आसानी से पचेगी। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कब्ज की समस्या भी अधिक होती है। इस समस्या से बचने के लिए भी आप खाने को दिन भर में कई बार लें।
गर्भावस्था में थकान से बचने के लिए व्यायाम पर दें ध्यान
ये बात सही है कि प्रेग्नेंसी में थकान के कारण ज्यादा कुछ करने का मन नहीं करता, लेकिन आपको हल्का व्यायाम जरूर करना चाहिए। एरोबिक, थोड़ा तेज चलना आदि। डॉक्टर और ट्रेनर की हेल्प से आप हल्के व्यायाम को रोजाना कर सकती हैं। इससे आपकी थकान दूर हो जाएगी और नींद भी अच्छी आएगी।
अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान किसी प्रकार की कॉम्प्लीकेशन है तो एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टर से जानकारी लें। आपको अगर कॉम्प्लीकेशन नहीं है तो आप वॉक के साथ ही योगा भी कर सकते हैं तो शरीर की थकान से निजात दिलाने का काम करेगा। आप योगा एक्सपर्ट से भी जानकारी ले सकते हैं।
कैफीन का उपयोग संभलकर करें
कैफीन (200 मिलीग्राम या 1½ कप कॉफी प्रतिदिन) मिसकैरिज या प्रीटर्म बर्थ का कारण नहीं बनती, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान कैफीन युक्त बेवरेज का सेवन रेगुलर तौर पर नहीं करना चाहिए। अगर आप कैफीन का उपयोग करती हैं तो प्रेग्नेंसी के दौरान इसे लेना बंद कर दें या कम मात्रा में लें। कैफीन के प्रभाव से नींद उड़ जाती है जो थकावट को बढ़ाने का काम करती है। कई बार कैफीन मूड को भी प्रभावित करती है।
आराम करना न भूलें
प्रेग्नेंसी के दौरान बॉडी और माइंड पर असर होता है। आप ज्यादा ब्लड प्रोड्यूस कर रही होती हैं। हार्ट रेट बढ़ी रहती है। आप ज्यादा पानी और न्यूट्रिशियन का उपयोग कर रही होती हैं। दिमाग में कई सारे इमोशन उमड़ रहे होते हैं जो आपको अभिभूत कर देते हैं। यह समय है कि आप जी भरकर आराम करें। कुछ समय बाद बच्चा आपको रातभर जगाकर रखने वाला है। आपको कुछ समय के लिए शेड्यूल एडजस्ट करने और अपने प्लान को कैंसिल करने की जरूरत पड़ने वाली है।
गर्भावस्था में थकान से बचने के लिए पर्याप्त नींद जरूर लें
प्रेग्नेंसी में थकान से बचने के लिए पर्याप्त नींद जरूर लें। अगर रात में आपकी नींद पूरी नहीं हो पाती है तो दिन में जब भी मिले, थोड़ी सी झपकी लें। 15 से 20 मिनट की झपकी आपके शरीर को बहुत आराम देगी। इस तरह से आप प्रेग्नेंसी में थकान से राहत पा सकती हैं। अगर आप देर रात तक जागेंगी तो आपकी नींद पूरी नहीं होगी। आपको मोबाइल या अन्य डिवाइस से दूरी बनानी चाहिए जो आपकी नींद में दिक्कत पैदा कर सकती हैं। वर्किंग वुमन को अपनी नींद के प्रति अधिक सजग रहने की जरूरत है।
प्रेग्नेंसी में थकान ज्यादातर महिलाओं को होती है। इससे बचने के लिए आप ऊपर बताए गए उपाय अपना सकती हैं। अगर आपको लगातार थकान महसूस हो रही है तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। वे कुछ टेस्ट करवाकर ये पता लगाने की कोशिश करेंगे कि आप एनीमिया की समस्या या हाइपोथायरॉइड से पीड़ित तो नहीं है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल में प्रेग्नेंसी में थकान को दूर करने संबंधित दी गई जानकारी पसंद आई होगी। किसी प्रकार की अन्य जानकारी या परामर्श के लिए डॉक्टर से बात करें।
गर्भावस्था में वजन बढ़ना
यह टूल विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए तैयार किया गया है, जो यह जानना चाहती हैं कि गर्भावस्था के दौरान उनका स्वस्थ रूप से कितना वजन बढ़ना चाहिए, साथ ही उनके वजन के अनुरूप प्रेग्नेंसी के दौरान कितना वजन होना उचित है।
आप कितने सप्ताह की गर्भवती हैं?
आपका गर्भावस्था से पहले का वजन क्या था? (किलोग्राम)
आपकी हाइट क्या है? (सेमी)
आपका वर्तमान वजन कितना है? (किलोग्राम)
क्या आप जुड़वां बच्चों के साथ गर्भवती हैं?

IVF को सक्सेसफुल बनाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान!
आईवीएफ (IVF) जिसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहते हैं ,ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से वे महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं, जिन्हें गर्भधारण में परेशानी आती है। आईवीएफ को सफल बनाना कहीं न कहीं आपके हाथों में होता है। दरअसल इस प्रॉसेस की मदद से महिला में दवाओं की मदद से फर्टिलिटी बढ़ाई जाती है जिसके बाद ओवम (अंडाणु/अंडों) को सर्जरी की मदद से निकाला जाता है और इसे लैब भेजा जाता है। लैब में पुरुष के स्पर्म (शुक्राणु) और महिला के ओवम को एक साथ मिलाकर फर्टिलाइज किया जाता है। 3-4 दिनों तक लैब में रखने के बाद फर्टिलाइज्ड भ्रूण (Embryo) को जांच के बाद महिला के गर्भ में फिर से इम्प्लांट किया जाता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार IVF के इस प्रॉसेस में 2 से 3 सप्ताह का वक्त लगता है। यूटरस (बच्चेदानी) में इम्ब्रियो इम्प्लांट होने के 2 सप्ताह बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट से महिला के गर्भवती होने की जांच की जाती है। आईवीएफ को सफल बनाना आसान है अगर कुछ जरूरी बातों पर ध्यान दिया जाए।
आईवीएफ को सफल बनाना: पहले जानिए IVF कितना सक्सेसफुल होता है?
रिसर्च के अनुसार भारत में 10 से 15 % मैरिड कपल्स इनफर्टिलिटी की समस्या से परेशान हैं। IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) से जुड़े जानकार मानते हैं की 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में IVF 40 प्रतिशत तक सक्सेसफुल होता है। वहीं 35 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं में IVF सक्सेस रेट कम हो सकती है।
आईवीएफ को सफल बनाना आसान है। इसे सफल बनाने के लिए सही वक्त का चयन करना जरूरी है। IVF एक्सपर्ट्स मानते हैं की जून, जुलाई और अगस्त महीना सबसे सही समय होता है। यही नहीं IVF (आईवीएफ) को सफल बनाने के लिए विटामिन-डी भी जरूरी है। इसलिए गर्मी का मौसम IVF को सफल बनाने के लिए यह समय सबसे सही माना जाता है। क्योंकि इस मौसम में धूप निकलती है जिससे नैचुरल तरीके से विटामिन डी बॉडी को मिलता है। अगर आप आईवीएफ (IVF) तकनीक का सहारा लेने की सोच रहे हैं तो IVF एक्सपर्ट से कुछ जरूरी सवाल अवश्य पूछें। इन सवालों में शामिल हैं-
आईवीएफ को सफल बनाना है, तो निम्नलिखित सवाल अपने IVF एक्सपर्ट से जरूर पूछें
आपकी स्थिति में IVF सफल होने की उम्मीद कितनी है?

IVF में कितना खर्च आएगा?

किन कारणों से इनफर्टिलिटी की समस्या हुई है?

IVF के साइडइफेक्ट क्या हैं?

IVF से जन्म लिए बच्चे का भविष्य कैसा रहेगा?

अगर IVF सक्सेसफुल नहीं हुआ फिर ऐसी परिस्थिति में क्या कोई और इलाज किया जा सकता है?

IVF के दौरान किन-किन बातों को ध्यान रखना चाहिए?
IVF को सक्सेसफुल बनाने के लिए क्या करें ?

आईवीएफ को सफल बनाना है, तो अपनाएं निम्नलिखित टिप्स

आईवीएफ को सफल बनाना है तो सबसे पहले सही IVF सेंटर का चुनाव करें।
IVF एक्सपर्ट से बात करें और प्रॉसेस को समझें। इस दौरान आपको किन किन जटिल प्रक्रियाओं से निकलना होगा इसे समझें। आईवीएफ को एक चक्र को पूरा करने में दो सप्ताह लगते हैं।
स्पर्म काउंट पर ध्यान दें या डॉक्टर से स्पर्म काउंट बढ़ाने का उपाय पूछें।
40 साल से ज्यादा उम्र है, तो डॉक्टर से जरूरी गाइडलाइन पूछें और उसे पूरी तरह फॉलो करें ।
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आपके हॉर्मोन किस तरह बदलेंगे इसकी पूरी जानकारी लें। क्योंकि पूरे प्रोसेस के दौरान आपके इमोशंस रोलर कोस्टर की सवारी से गुजरेंगे। आप कभी उदास तो कभी चिंता को महसूस कर सकती हैं।
इम्ब्रियो इम्प्लांट होने के बाद एक्टिव रहें।
आईवीएफ को सफल बनाना है, तो आपको अपनी डायट, नींद के पैटर्न और आईवीएफ उपचार के लिए नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह का पालन करना होता है।
सर्दी-खांसी या किसी तरह का इंफेक्शन होने पर डॉक्टर को अवश्य बताएं।
IVF के प्रॉसेस में एक महीने तक का वक्त लग सकता है इसलिए धैर्य रखें।
IVF एक्सपर्ट द्वारा दी गई दवाओं का सेवन सही वक्त पर करें।
खाद्य पदार्थों का सेवन वैसे ही करें जैसे एक प्रेग्नेंट महिला करती हैं।
हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें या वॉक पर अवश्य जाएं।
7 से 8 घंटे नियमित रूप से सोएं।
IVF को सक्सेसफुल बनाने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखें ?

आईवीएफ को सफल बनाना है, तो ये सब न करें-


किसी तरह का भारी सामान नहीं उठाएं।
ट्रीटमेंट के दौरान स्मोकिंग, एल्कोहॉल और किसी तरह की दवा लेने से बचें। आईवीएफ की सफलता के लिए इन सभी चीजों से खुद को कोसों दूर रखें।
IVF को सफल बनाने के लिए गर्मी का मौसम सबसे बेहतर समय माना जाता है लेकिन, इसका यह अर्थ नहीं की आप अत्यधिक हीट के संपर्क में रहें।
खुद का ध्यान रखना न भूलें। खुद को फिट रखने की कोशिश करें। हेल्दी फूड का सेवन करें। संतुलित आहार लें और आवश्यक विटामिन को लेना न भूलें। पैक्ड फूड और पैक्ड जूस या फ्रोजन खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
तनाव से बचें। बहुत महिलाएं आईवीएफ की प्रक्रिया से पहले इसका स्ट्रेस लेने लगती हैं। खुद को स्ट्रेस से दूर रखने के लिए मेडिटेशन करें, अपनी पसंद का म्युजिक सुनें या जो चीजें आपको पसंद उनमें खुद वयस्त रखें।
आईवीएफ को सफल बनाना: जानिए आईवीएफ और सेरोगेसी
बहुत सारी महिलाओं को सरोगेसी और आईवीएफ में अंतर नहीं मालूम होता है। आपको बता दें, दोनों बहुत अलग हैं। आईवीएफ से किए जाने वाले बेबी को टेस्ट ट्यूब बेबी कहते हैं। सरोगेसी में बेबी को IVF के जरिए कोई दूसरी महिला गर्भवती होती है और बच्चे को जन्म देती है।आईवीएफ को सफल बनाना है तो इसके लिए हेल्दी डायट लेना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए आहार में बहुत सारे अनाज शामिल करने की सलाह दी जाती है। जैसे क्विनोआ, होल व्हीट पास्ता, फलियां, दाल और छोले शामिल करना न भूलें। हेल्दी फैट्स खाने की सलाह दी जाती है। इसमें आप वर्जिन ऑलिव ऑयल, नट्स, एवोकैडो आदि को शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड और रेड मीट को खाने से मना किया जाता है।

अगर आप या आपके करीबी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की मदद से परिवार को आगे बढ़ाने की सोच रहें हैं, तो सर्टिफाइड IVF सेंटर और एक्सपर्ट से मिलें। इस प्रॉसेस को समझने की कोशिश करें और फिर इसका चयन करें ताकि IVF को सफल बनाया जा सके। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में कैसे आईवीएफ को सफल बनाना है, इससे जुड़ी हर जानकारी देने की कोशिश की गई है। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई प्रश्न है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट्स द्वारा आपके सवालों का उत्तर दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे। यदि आप आईवीएफ को सफल बनाना से जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो बेहतर होगा इसके लिए अपने विशेषज्ञ से कंसल्ट करें।

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