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Posted on Sat 22nd Oct 2022 : 10:21

बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे | बच्चों में कब्ज का घरेलू उपाय
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बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे:- बच्चों में कब्ज की समस्या(child constipation problem) होना एक आम बात है। वैसे देखा जाए, तो कब्ज इतनी गंभीर समस्या नहीं होती।

लेकिन लम्बे समय तक अनियमित मल निकलना अन्य बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। साथ ही लंबे समय तक गंभीर कब्ज, अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है।

एक माता-पिता होने के नाते अपने बच्चों को कब्ज से होने वाली पीड़ा से परेशान होते देखना काफी कष्टकारक होता है।

लेकिन कब्ज की समस्या काफी लम्बे समय तक रहने से यह अनेक बीमारियों को जन्म दे सकती है। कब्ज होने से baby के पेट में दर्द, सूजन, भूख ना लगने और गैस की समस्या पैदा हो सकती है।

जब बच्चा 6 महीने से ऊपर का हो जाता है तो उसे कब्ज की समस्या होने लगती है क्योंकि बच्चा माँ के दूध के साथ-साथ अन्य चीजें जैसे दाल, दलिया, खिचड़ी और केला आदि का सेवन करने लग जाता है।

आज इस पोस्ट में हम आपको Bacho me kabj ka desi ilaj, बच्चों को कब्ज होने पर क्या करें, बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे, बताएँगे जिन्हें अपनाकर आप कब्ज से छुटकारा पा सकते हैं।

Table of Contents

बच्चों में कब्ज के कारण (Child Constipation Causes In Hindi)
बच्चों में कब्ज के लक्षण (Signs & Symptoms of Kids Constipation in Hindi)
बच्चों का पेट साफ करने के उपाय (Kids Constipation Home Remedies)
त्रिफला है बच्चों के कब्ज की दवा (Triphala: Home Remedies of Children Constipation in Hindi)
छोटे बच्चों में कब्ज का देसी घरेलू इलाज(Child With Constipation Treatment)
शहद (बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे)
हरड़ का चूर्ण
फाइबर युक्त आहार लें (बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे)
मालिश (बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे)
छाछ
अरंडी का तेल
1 साल के बच्चों के लिए आहार योजना (Child Constipation Diet Plan)
कब्ज के दौरान बच्चे को क्या खिलाना चाहिए?
बच्चे में कब्ज की दवाई (बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे)
शिशुओं में कब्ज की होम्योपैथिक दवाईयां (Homoeopathic medicine For Kids Constipation)

बच्चों में कब्ज के कारण (Child Constipation Causes In Hindi)

पानी या तरल पदार्थ का उपयोग कम करना
कठोर खाद्य पदार्थ/आहार की शुरुआत
आहार में लगातार परिवर्तन
गाय का दूध उपयोग में लाना
पारिवारिक पृष्ठभूमि
दवाइयों के सेवन से
भोजन के बीच में और बाद में पानी पीने से
पानी कम पीने से
भोजन को चबाकर ना खाने से
भर पेट भोजन ना खाने से
जरुरत से ज्यादा दूध पीने से भी कब्ज होती है

बच्चों में कब्ज के लक्षण (Signs & Symptoms of Kids Constipation in Hindi)

शिशु द्वारा कठोर मल(पॉटी) का त्याग (मल किस तरह का होता है, कब्ज को हम इससे भी पहचान सकते हैं न कि सिर्फ इसके आवृत्ति से)
मल के साथ खून का आना (मल में खून का आना इस बात की ओर संकेत करता है कि बच्चा मल निकालने के लिए बहुत अधिक दबाव डाल रहा है। कठोर मल को निकालने से गुदाद्वार के चारों ओर कट जाता हैं जिसकी वजह से मल में खून आ सकता है)
शिशु के पेट का मुलायम नहीं होना (कब्ज से होने वाली सूजन और दबाव बच्चे के पेट को कठोर बनाता है और पेट भरा जैसा महसूस होता है)
बच्चे का अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थ को खाने से भी इनकार करना (अगर शिशु को कब्ज हो जाता है तो उनको पूरी तरह से पेट भरा महसूस होता है)
कब्ज होने पर बच्चे को भूख कम लगती है
शौच करते समय जोर लगाना
लैट्रिन करते समय बच्चे का रोना
शौच करते समय पेट में दर्द होना
नाभि के आस-पास दर्द होना

एक चीज़ जिसे हम सभी अपने अनुभव से जानते है कि- आहार को विनियमित करना ज़्यादातर शारीरिक समस्याओं को ठीक करने में सबसे प्रभावशाली कारक है और कब्ज इससे अलग नहीं है।

हमें पता हो, कि हमारी बच्ची/बच्चा क्या और कैसे खा रही/रहा है ; इसका विश्लेषण किया जाना चाहिए।
बच्चों का पेट साफ करने के उपाय (Kids Constipation Home Remedies)

पानी : जन्म से लेकर 6 महीने तक शिशु को तरल (दूध,पानी,जूस आदि) देना एकमात्र उपाय है – स्तनपान या फॉर्मूला दूध।

लेकिन 6 महीने बाद, जब उनके रोज़ाना आहार में कुछ सेमि सॉलिड (थोड़े ठोस) खाद्य पदार्थों को दिया जाता है परिणामस्वरूप दूध काम पीने के साथ उनका तरल सेवन भी कम हो जाता है। इसलिए, शिशु को पानी पिलाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

एक सामान्य आँकड़ा के मुताबिक 1 साल के बच्चे को रस, पानी और सूप के रूप में कम से कम 960 मिलीलीटर तरल प्रति दिन दिया जाना चाहिए।

धीरे-धीरे बच्चों को ठोस भोजन खिलाने के साथ पानी भी अधिक पिलाना चाहिए, लेकिन ज़्यादा पानी बच्चों की अपरिपक्व किडनी पर अतिरिक्त दबाव भी डाल सकता है।

इसलिए, पानी के साथ चीनी और नमक घोलकर पिलाने से संतुलन बनाना आवश्यक है।

हल्दी है बच्चों के कब्ज की दवा: कब्ज का रामबाण इलाज करने के लिए हल्दी का प्रयोग करें। एक ग्लास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पिला दें। यह उपाय छोटे बच्चों के कब्ज को ठीक करने में मदद पहुंचाता है।

आलूबुखारा या सूखे बेर: 6 महीने से 1 साल तक के शिशुओं के लिए आलूबुखारा या सूखे बेर का रस अच्छा होता है।

इसमें सोर्बिटोल (चीनी वाला अल्कोहल) होता है जो एक प्राकृतिक लैक्सेटिव (घुट्टी) की तरह काम करता है, जिसे रस या प्यूरी के रूप में लिया जा सकता है।

इसे तैयार करने के लिए, थोड़े पानी में आलूबुखारा या सूखे बेर को घोलकर फिर रस को छान लें, बच्चे के स्वाद को बनाने के लिए थोड़ी सी चीनी डाल सकते हैं।

1 साल तक के बच्चे को 30 से 60 मिलीलीटर तक ये रस दिया जा सकता है।

इस रस को ज़्यादा पिलाने से दस्त हो सकता है अतः गंभीर कब्ज की स्थिति में इसका प्रयोग इस तरह किया जा सकता है।

आलूबुखारा या सूखे बेर का रस न सिर्फ एक प्राकृतिक लक्सेटिव(laxative) हैं, बल्कि इनमें अन्य आवश्यक विटामिन और मिनरल्स भी शामिल हैं जो बच्चों के पूरे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

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त्रिफला है बच्चों के कब्ज की दवा (Triphala: Home Remedies of Children Constipation in Hindi)

कब्ज का आयुर्वेदिक तरीके से इलाज करने के लिए त्रिफला का प्रयोग करें। त्रिफला कब्ज के लिए सबसे सही हर्बल इलाज है।

कब्ज से ग्रसित बच्चे को एक चम्मच त्रिफला पानी, या दूध में मिलाकर सोने से पहले दें।

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किशमिश : किशमिश- पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम से युक्त सघन आहार फाइबर का स्रोत है।

इसमें मौजूद आहार फाइबर कब्ज को ठीक करने में बहुत सहायक है और इसे बच्चों को पानी में उबालकर और प्यूरी के रूप में दिया जा सकता है।

इस प्यूरी को अन्य खाद्य पदार्थों जैसे ओट्स या खोई में भी बच्चों के लिए दलिया के रूप में दिया जा सकता है लेकिन सात महीने पूरे होने के बाद ही बच्चों के लिए किशमिश का उपयोग किया जाना चाहिए।

खजूर : खजूर में पर्याप्त मात्रा में आहार फाइबर पाए जाने के कारन इसका प्रयोग एक प्राकृतिक लैक्सटिव के रूप में कब्ज से पीड़ित बच्चों के लिए किया जाता है।

इसके कारण शिशु को मल परित्याग में आसानी होती है साथ ही इसमें मौजूद आयरन और मैग्नीशियम बच्चों के शारीरिक विकास में भी सहायक होता है।

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आहार को विनियमित करने के अलावा कुछ पुराने घरेलु उपचार भी हैं जिसे करने से अच्छे लाभ मिलते हैं :

नारियल के तेल से शिशु के पेट की घड़ी की दिशा में और विपरीत दिशा में दोनों तरफ (क्लॉक वाइज और एंटी क्लॉक वाइज) हल्के हाथ मालिश करनी चाहिए।
शिशु के पैरों को धीरे-धीरे साइकिल चलाने की गति में घुमानी चाहिए जिसे प्रायः शिशु पसंद भी करते हैं ।
शिशु को गर्म स्नान देने के लिए उसके बाथटब में थोड़ा गर्म पानी और बेटाडीन डाल कर उसे स्नान कराना चाहिए।


छोटे बच्चों में कब्ज का देसी घरेलू इलाज(Child With Constipation Treatment)
शहद (बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे)

आधे गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर बच्चे को दें। ऐसा करने से कब्ज दूर हो जाती है। छोटे बच्चे को आप यह पानी चम्मच से भी पिला सकती हैं। इससे कब्ज दूर (bacho ki kabj ke gharelu upay) होती है।

सुबह जब आपके बच्चे का पेट खाली हो तो आप उसे एक ग्लास दूध में 1-2 चम्मच शहद डालकर पिला सकते हैं।

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हरड़ का चूर्ण

हरड़ का चूर्ण पेट से जुड़ी हर परेशानी के लिए फायदेमंद होता है। चुटकी भर हरड़ में थोड़ा सा नमक मिलाकर बच्चे को दिन में 2 बार चटाये।

नोट:- 8 महीने से छोटे बच्चे को यह ना खिलायें।
फाइबर युक्त आहार लें (बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे)

फाइबर युक्त आहार खाने से कब्ज से राहत मिलती है। सेब, मौसमी फल और हरी सब्जियां खाने से कब्ज की समस्या दूर होती है।
मालिश (बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे)

सरसों के तेल से बच्चे के पेट की मालिश करने से आंते मजबूत बनती है और आंतों में फंसा हुआ मल आसानी से निकल जाता है। यह उपाय छोटे बच्चों को लाभ पहुंचाता है।
छाछ

एक गिलास छाछ में एक चमच्च काला नमक और चुटकी भर जीरा डालकर सेवन करने कब्ज दूर होती है। इस उपाय को बच्चे और बड़े दोनों अपना सकते हैं.
अरंडी का तेल

आधा गिलास दूध में आधा चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर शिशु को दें। ऐसा करने से बहुत जल्द कब्ज से राहत मिलती है।
1 साल के बच्चों के लिए आहार योजना (Child Constipation Diet Plan)
बच्चों के लिए आहार योजना (Child Constipation Diet)

सुबह 8.00 बजे: खाली पेट आलूबुखारा या सूखे बेर का रस (120 मिलीलीटर)
सुबह 9.30 बजे: किशमिश और खजूर के साथ ओट्स
सुबह 11.00 बजे: मां का दूध / फार्मूला दूध**
दोपहर 12.30 बजे: सब्जी (पत्तेदार) और मछली के साथ चावल
दोपहर 2.30 बजे: मां का दूध / फार्मूला दूध
शाम 5.00 बजे: खोई + सत्तू (घर का बना) + दूध
शाम 7.00 बजे: मां का दूध / फार्मूला दूध
रात 8.30 बजे: सब्जियों से बनी दलिया खिचड़ी
रात 10.00 बजे: मां का दूध / फार्मूला दूध

**फार्मूला दूध/पाउडर मिल्क–
ब्रेस्‍ट मिल्‍क के विकल्‍प के तौर पर पाउडर या फॉर्मूला मिल्‍क दिया जाता है। डिलीवरी के बाद सभी महिलाओं के स्‍तनों में पर्याप्‍त दूध नहीं बन पाता है, ऐसी स्थिति में पाउडर मिल्‍क दिया जा सकता है। लिक्विड मिल्‍क को वेपराइज करके मिल्‍क पाउडर बनाया जाता है। इससे शिशु को कई पोषक तत्‍व मिल जाते हैं।
कब्ज के दौरान बच्चे को क्या खिलाना चाहिए?

अगर बच्चा छह महीने से कम उम्र का है, तो उसे कब्ज से बचाने के लिए मां का दूध सबसे बेहतर है।

लेकिन, अगर बच्चा छह माह से ज्यादा का है, तो उसे फाइबर वाली भोजन देना जरूरी है। नीचे हम एक तालिका बता रहा हूँ, जिसमें बताया गया है कि कब्ज के दौरान बच्चे को क्या खिलाना चाहिए:
भोजन खाने की चीजें
सब्जियां रूट सब्जियां जैसे – गाजर व चुकंदर
ब्रेसिका सब्जियां – फूलगोभी, गोभी, ब्रोकली
फलियां – बीन्स व दालें
हरी पत्तेदार सब्जियां – पालक
आलू और बटरनट स्क्वैश
फल बेरीज – स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी
सेब, आम, पपीता
संतरा, नाशपाती और एवोकाडो
सूखे फल खजूर, किशमिश, अंजीर
अनाज ओट्स, स्टील कट ओट्स आदि
बच्चे में कब्ज की दवाई (बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे)

यदि आपके बच्चे के आहार को बदलना असंभव है या काम नहीं करता है, तो ओवर द काउंटर कुछ सुरक्षित दवाएं हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है।

बल्क फॉर्मिंग एजेंट: ये सबसे सुरक्षित और सबसे प्राकृतिक एजेंट हैं और इन्हें बिना किसी चिंता के रोजाना इस्तेमाल किया जा सकता है।

1. psyllium, जैसे, मेटामुसिल, पेर्डीम
2. मिथाइलसेलुलोज, उदाहरण के लिए, साइट्रुसेल
3. पॉलीकार्बोफिल, उदाहरण के लिए, फाइबरकॉन, कोन्सिल
4. माल्टसुपेक्स, बेनेफाइबर (कई लोग कहते हैं कि यह सबसे अच्छा स्वाद वाली दवाई है)

2. स्नेहक(Lubricants): ये मल को नरम करते हैं और इसे अधिक फिसलन और पारित करने में आसान बनाते हैं। रोजाना इस्तेमाल करने पर भी ये बहुत सुरक्षित होते हैं।

1.खनिज तेल – सादा या सुगंधित (कोंड्रेमुल) – शिशुओं में अनुशंसित नहीं not
2. डॉक्यूसेट सोडियम, उदा। Colace, Surfak, Correctol

3. हाइपरोस्मोलर एजेंट: ये शरीर से आंत में पानी लेकर आता है, जिससे मल ढीला और कम सूखा हो जाता है। इसे बिना किसी चिंता के काफी बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

1.मिरलैक्स, मुंह से दिया जाता है – शायद इसकी सुरक्षा रिकॉर्ड के कारण,बाल रोग विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित सबसे लोकप्रिय दवा है।
2. लैक्टुलोज
3. मिल्क ऑफ मैग्नेशिया (फिलिप्स), मुंह से दिया गया – दैनिक उपयोग के लिए नहीं
4. सोडियम फॉस्फेट एनीमा (बेड़े) – रोजमर्रा के उपयोग के लिए नहीं
5. ग्लिसरीन सपोसिटरी या एनीमा (बेबीलैक्स) – रोजमर्रा के use के लिए नहीं

4. उत्तेजक जुलाब: इनका उपयोग कभी-कभी कब्ज के लिए किया जा सकता है या जब कुछ और काम नहीं करता है, लेकिन महीने में एक बार से अधिक नहीं।

Cascara, e.g. Nature | s Remedy
Senna, e.g., Senokot, ExLax
Bisacodyl, e.g., Dulcolax (oral or suppository)
Castor oil, e.g. Purge

शिशुओं में कब्ज की होम्योपैथिक दवाईयां (Homoeopathic medicine For Kids Constipation)

ओपियम (Opium 30) – मल त्याग की इच्छा बिल्कुल नहीं के बराबर , मल छोटी छोटी गोलियों के रूप में हो , कई दिनों तक पाखाना न होना
एलुमिना (Alumina 30 ) – बच्चों में कृत्रिम खाध पदार्थों या फार्मूला दूध द्वारा कब्ज़ होने पर, जब मल बहुत कड़ा हो जाय और काफी मुश्किल से निकले , मल काला और गुठली के जैसा
ब्रायोनिया एल्बा (Bryonia elba 30 )– शिशुओं मे चिड़चिड़ापन, कई दिनों तक मलत्याग की इच्छा ही नहीं होती , अधिक पानी पीने की इचह होना, मल सुखा ,कड़ा और काला हो
पैराफिनम (paraffinum 30)- बच्चों में असाध्य कब्ज, मलत्याग की निरंतर परंतु असफल इच्छा होना।
प्ल्म्बम मेट (plumbum met 30) – इच्छा होती है पर मल काफी मुश्किल से निकले , ये दवा खासकर पुराने कब्ज में उपयोगी है.

नोट:- ये सारी दवाएं डॉक्टर/चिकित्सक के सलाह मशवरे के बाद ही बच्चे को दें (1,2,3)

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