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चाह महीने का शिशु क्या-क्या कर सकता है?
आपका शिशु अब अपने आसपास की चीजों को देखने-खोजने के लिए काफी उत्सुक हो रहा है। नई चीजों को समझने और खोजने के लिए उसे अलग-अलग बुनावट वाले कपड़े, या फिर हिलाने के लिए झुनझुना देकर देखें।
आसपास हो रही गतिविधियों से शिशु का ध्यान अब आसानी से भंग हो जाएगा। इससे आपको उसे दूध पिलाने में मुश्किल हो सकती है।
शिशु की दृष्टि विकसित हो रही है, और अब वह एक ही रंग के विभिन्न रंगतों में अंतर कर सकता है, जैसे कि लाल और नारंगी। अब छोटे-छोटे हिलने वाले चटकीले रंगों के खिलौने और प्ले जिम उसका ध्यान आकर्षित करेंगे।
मेरा शिशु अब पहले जैसे बार-बार दूध क्यों नहीं पीता?
चार महीने का होने तक शिशु का पेट भी बड़ा हो गया होता है, इसलिए उसे बार-बार दूध पीने की जरुरत नहीं होती है। वह दिन में अब शायद चार से छह बार ही दूध पी रहा होगा, मगर आप देखेंगी कि उसका वजन फिर भी बढ़ेगा।
आप पाएंगी कि दूध पीते हुए शिशु का ध्यान दूसरी तरफ चला जाता है। उसका ध्यान आसपास की चहलपहल पर आकर्षित होता है। हालांकि, आसपास हो रही हलचल के प्रति शिशु का प्रतिक्रिया करना अच्छा लग सकता है, मगर ऐसे में स्तनपान करवाना या बोतल से दूध पिलाना मुश्किल हो सकता है।
अगर, आपके शिशु का ध्यान आसानी से भटक जाता है, तो कोशिश करें कि उसे किसी शांत जगह पर दूध पिलाएं।
शिशु ठोस आहार के लिए कब तैयार होगा?
आप शायद यह सोच रही हों कि शिशु को ठोस आहार खिलाना शुरु करने का सही समय क्या है। बहरहाल, स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह है कि शिशु को छह महीने का होने तक केवल स्तनपान कराना ही बेहतर है। जीवन के शुरुआती छह महीनों में शिशु को स्तनदूध या फॉर्मूला दूध से सभी जरुरी पोषक तत्व मिल जाते हैं।
हालांकि, कुछ मामलों में डॉक्टर शिशु को चार से छह महीने की उम्र के बीच ठोस आहार शुरु करने की सलाह देते हैं। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब शिशु का पर्याप्त वजन न बढ़ रहा हो, वह पहले से फॉर्मूला दूध पी रहा है या फिर किसी चिकित्सकीय कारण जैसे कि गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स आदि की वजह से छह महीने की उम्र से पहले ठोस आहार शुरु करना जरुरी है।
डॉक्टर आपको बताएंगे कि ठोस आहार की शुरुआत कैसे करनी है। इसके बावजूद, कुछ ऐसे भोजन हैं जो शिशु को छह महीने तक या इसके बाद भी नहीं देने चाहिए।
मामला चाहे कुछ भी हो हमेशा ठोस आहार शुरु करने से पहले डॉक्टर से बात करें। यह खासतौर पर तब जरुरी है जब आपका शिशु समय से पहले जन्मा हो, क्योंकि उसका ठोस आहार शुरु करने का समय अलग होगा।
चार महीने के शिशु को फुर्तीला बनने के लिए कैसे प्रोत्साहित किया जा सकता है?
शिशु को पेट के बल लिटाएं, इस तरह आप उसे अपनी भुजाओं और टांगों का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। देखें कि पेट के बल लेटकर वह ऊपर उठने का प्रयास करता है या नहीं।
वह अपनी बाजूओं के सहारे अपना सिर और कंधे ऊंचे उठा सकता है। यह मिनी पुश-अप शिशु की मांसपेशियों को मजबूती देने में सहायक है और इस तरह शिशु आसपास हो रही हलचल को बेहतर तरीके से देख सकता है।
आपका शिशु अचानक पेट के बल से पलटकर पीठ के बल आकर आपको (और खुद को भी!) हैरान भी कर सकता है। शिशु अक्सर जिस तरफ पलटता है, उस तरफ आप कोई खिलौना दिखाकर शिशु को आकर्षित करें, ताकि वह फिर से पलटने का प्रयास करे। आपकी खुशी उसे प्रोत्साहित और आश्वस्त करेगी।
शिशु को हर समय गोद में उठाए न रहें, उसे बिस्तर या जमीन पर खुद खेलने दें। कई घरों में माता-पिता, दादा-दादी या नाना-नानी या फिर आया शिशु को अधिकतर समय गोद में ही रखते हैं। मगर ऐसा करने से शिशु को जमीन पर खेलने का समय कम मिलता है। अपने परिवार के सदस्यों और जो भी शिशु की देखभाल करता हो, उनसे बात करें। शिशु को नई चीजें व कौशल सीखने-समझने का समय व मौका दें, हालांकि उसपर नजर बनाए रखें।
क्या ऐसे कुछ खेल हैं, जो मैं अपने चार महीने के बच्चे के साथ खेल सकती हूं?
आपका शिशु को अब खेल खेलना अच्छा लगता है, इसलिए उसे अलग-अलग तरह की वस्तुओं को देखने-समझने व उनसे खेलने के लिए प्रेरित करें।
मलमल का एक साफ चौकोर कपड़ा आपके शिशु को कुछ मिनटों तक व्यस्त रख सकता है। आप देखेंगी कि शिशु कपड़े को मुंह में लेता है, हाथ मे थामता है और यह भी परखने की कोशिश करता है कि वह कपड़े को सिकोड़े, तो क्या होगा। शिशु को एक हल्का झुनझुना दें और उसे हिलाने पर जब आवाज निकलेगी, तो शिशु की खुशी देखने वाली होगी।
शिशु को एक्टिविटी सेंटर या प्ले जिम और इनकी आवाजें काफी पसंद आ सकती हैं। खिलौनों से खेलना अब आपके शिशु के लिए काफी आसान हो गया है, क्योंकि अब वह हाथ बढ़ाकर खिलौनों को दोनों हाथों से पकड़ सकता है। हालांकि,हालांकि पहली बार में शायद वह इन्हें न पकड़ पाए। मगर, जब वह इन्हें पकड़ लेगा तो मुंह में डालने का प्रयास करेगा, इसलिए आप शिशु के पास ही रहें।
आपका शिशु कुछ मिनटों के लिए अपने हाथों और पैरों से भी खेल सकता है। आप अचानक यह पाएंगी कि शिशु को पहले जहां हर पल आपके ध्यान की जरुरत होती थी, वह अब अपने आप में ही मस्त रहने लगा है। आप आपको फिर से अपने लिए कुछ खाली समय मिल सकता है!
मैं शब्दों को समझने और उनके इस्तेमाल करने में शिशु की मदद कैसे कर सकती हूं?
आपका शिशु आपके चेहरे पर और आप जो आवाजें निकालती हैं उन पर काफी ध्यान दे रहा होगा। साथ ही वह आपकी अलग-अलग आवाज या लहजों पर प्रतिक्रिया भी दे रहा होगा। इसलिए यदि आप मसखरी वाली आवाज निकालेंगी तो वह भी शायद हंसेगा और मुस्कुराएगा।
आपकी आवाज के बदले में शिशु बड़बड़ाकर उत्तर देने का प्रयास भी कर रहा है। बातचीत की कला विकसित होने की तरफ यह पहला कदम है। आप शायद शिशु के मुंह से पहले अनमोल शब्द "मा-मा", "पा-पा" भी सुन पाएं।
इस समय तक शिशु आपकी आवाजों की नकल करना भी शुरु कर सकता है। मतलब यह है कि यदि आप शिशु को 'बू' या ''टा-टा'' कहें, तो वह भी इसे दोहराने का प्रयास कर सकता है।
आप शिशु के चेहरे के हावभावों और आवाजों की नकल करके उसे प्रतिक्रिया देने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। जब शिशु आवाजें निकाल रहा हो और कुछ कहने का प्रयास कर रहा हो, तो उस समय आप प्रतिक्रिया अवश्य दें। इस तरह वह भाषा के महत्व को समझेगा और कारण व उसके प्रभाव को समझना शुरु करेगा। उसे यह अहसास होना शुरु होगा कि जो वह कहता है, वाकई महत्व रखता है।
मेरा चार माह का बच्चा कितनी अच्छी तरह देख सकता है?
आपके शिशु की दृष्टि लगातार बढ़ रही है। इस महीने वह एक जैसे दिखने वाले रंगों में अंतर करना शुरु कर सकता है, जैसे कि लाल और नारंगी।
आपका शिशु चटकीले रंगों की तरफ अपनी पसंद जाहिर कर सकता है। पालने में ऊपर लटके हुए रंगीन खिलौने, चटक रंगों वाले पोस्टर और चित्रों वाली किताबें उसकी आंखों को खूब भाएंगी।
क्या मेरा चार महीने का शिशु सामान्य रूप से बढ़ रहा है?
हर शिशु अलग होता है और शारीरिक क्षमताएं अपनी ही गति से विकसित करता है। यहां सिर्फ साधारण मार्गदर्शक दिए गए हैं, जिन्हें करने की क्षमता आपके शिशु में होती है। अभी नहीं, तो कुछ समय बाद शिशु इन्हें जरुर हासिल कर लेगा।
अगर, आपके शिशु का जन्म समय से पहले (गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले) हुआ है, तो आप देखेंगे कि उसे वे सब चीजें करने में ज्यादा समय लगता है, जो समय से जन्म लेने वाले बच्चे जल्दी करते हैं। यही कारण है कि समय से पहले पैदा होने वाले शिशुओं को उनके डॉक्टरों द्वारा दो उम्र दी जाती हैं:
आप अपने प्रीमैच्योर शिशु के विकास को उसकी समायोजित उम्र से देखें, उसके जन्म की वास्तविक तिथि से नहीं। अधिकांश डॉक्टर समय से पूर्व जन्म लिए बच्चे का विकास उसकी संभावित जन्म तिथि से आंकलित करते हैं और उसी अनुसार उसकी कुशलता का मूल्यांकन करते हैं।
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