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बच्चों को किस उम्र से देना चाहिए फ्रूट जूस
जानिए कि बच्चों को किस उम्र से फल और सब्जियों का रस देना शुरू कर सकते हैं।
juice for babiees
बड़ों ही नहीं बल्कि बच्चों के लिए भी फल और सब्जियां बहुत फायदेमंद होती हैं लेकिन आपको ये पता होना चाहिए कि छोटे बच्चों को किस उम्र से फ्रूट जूस देना शुरू करना चाहिए। जूस सेहत के लिए अच्छे माने जाते हैं लेकिन बच्चों के लिए ये कितने फायदेमंद होते हैं, ये जानना जरूरी है।
तो चलिए जानते हैं कि बच्चों को किस उम्र से जूस दे सकते हैं और उन्हें किस फल एवं सब्जी का जूस देना ज्यादा फायदेमंद रहता है।
क्या शिशु को जूस दे सकते हैं?
आमतौर पर एक साल से कम उम्र के बच्चों को जूस नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता और उनके दांतों में कीड़े लग सकते हैं। वहीं एक साल से अधिक उम्र के बच्चों को जूस से उतना ही फायदा मिलता है जितना कि वयस्कों को होता है। आप सेब, अंगूर, खरबूजा, गाजर, संतरा, टमाटर, नींबू, आडू, आम, बैरी, लीची, चुकंदर का जूस बच्चों को दे सकते हैं।
शिशुओं के लिए ओट्स एक अच्छा भोजन विकल्प माना जाता है। क्योंकि ये खनिज, विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। यह आपके शिशु के लिए ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत हैं। चावल की तुलना में ओट्स बहुत हल्के होते हैं इसलिए यह पचने में भी आसान होते हैं। यह एकमात्र ऐसा अनाज है, जिसे कम से कम बच्चों को एलर्जी है। हालांकि, इसे अपने बच्चे को खिलाने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें।
बच्चा जब 7 महीने का हो जाए तब आप उसे ओट्स खिलाना शुरू कर सकते हैं। ओट्स को पहले दलिए के रूप में खिलाएं। जब आपका बच्चा इसको खाने में सहज हो, तब फलों और सब्जियों को मिलाकर इसे खिलाएं।
ओट्स में कैल्शियम, आयरन, जिंक, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज होते हैं, जो आपके बच्चे के विकास के लिए आवश्यक हैं। कैल्शियम और फॉस्फोरस बच्चे की हड्डियां मजबूत करते हैं। आयरन हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाए रखता है और एनीमिया से निपटने में मदद करता है।
फोलेट, विटामिन बी 6, विटामिन के, विटामिन ई, थियामिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन जैसे, विटामिन की उपस्थिति ओट्स को आपके बच्चे के विकास के लिए एक आवश्यक पूरक माना जाता है।
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100 ग्राम ओट्स, बच्चों में 400 किलो कैलोरी ऊर्जा प्रदान करता है। यह ऊर्जा उनके विकास के लिए आवश्यक है, क्योंकि सही मात्रा में कैलोरी न मिलने पर बच्चों की एनर्जी धीमी पड़ सकती है।
ओट्स में हाई फाइबर पाए जाने की वजह से जिन बच्चों में कब्ज की समस्या है, वह इसके सेवन से दूर होती है। इसके नियमित सेवन से बच्चे की डाइजेस्टिव सिस्टम पर जोर नहीं पड़ता।
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ओट्स में फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो अच्छी पाचन क्रिया के लिए जरूरी है। चूंकि आपके बच्चे का पाचन तंत्र अभी भी विकसित हो रहा है, ओट्स आपके बच्चे के सिस्टम पर कोई दबाव डाले बिना पाचन में मदद कर सकता है।
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ओट्स में फाइबर की मात्रा होने के नाते बच्चों को इसका अधिक सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। 1-3 साल तक के बच्चों को 15 ग्राम से ज्यादा की मात्रा में ओट्स न दें। वे बच्चे जिन्हें एक्जिमा की प्रॉब्लम है, उनको ओट्स खिलाने पर एलर्जी पैदा हो सकती है।
जूस पीने के फायदे
माइक्रोन्यूटि्रएंट्स :
फल और सब्जियां माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का बेहतर स्रोत हैं जैसे कि विटामिन और मिनरल। ये मल्टीविटामिन और मिनरल शिशु के विकास में मदद करते हैं।
रक्त संचार :
माना जाता है कि फल और सब्जियों के रस से हृदय स्वस्थ रहता है। इनमें कई पॉलीफेनोल, विटामिन और खनिज पदार्थ होते हैं।
प्रीबायोटिक :
फल और सब्जियों के रस में बायाएक्टिव यौगिक जैसे कि पॉलीफेनोल, फाइबर और नाइट्रेट होता है। ये यौगिक प्रीबायोटिक की तरह काम करते हैं। इससे पाचन तंत्र दुरस्त रहता है।
बच्चों को कब दे सकते हैं जूस?
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, 12 महीने से कम उम्र के बच्चों को जूस नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता है। एक साल की उम्र के बाद बच्चों को नियंत्रित मात्रा में जूस दे सकते हैं लेकिन फिर भी साबुत अनाज उनके लिए बेहतर विकल्प होते हैं। बच्चों को प्रतिदिन 60 से 120 मि.ली से अधिक जूस नहीं देना चाहिए। एफडीए के अनुसार बच्चों को जूस उबालकर देना चाहिए क्योंकि इससे उनमें मौजूद बैक्टीरिया खत्म हो जाता है।
Oats for Babies: बच्चों को ओट्स कब और कैसे खिलाएं
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शिशुओं के लिए ओट्स एक अच्छा भोजन विकल्प माना जाता है। क्योंकि ये खनिज, विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। यह आपके शिशु के लिए ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत हैं। चावल की तुलना में ओट्स बहुत हल्के होते हैं इसलिए यह पचने में भी आसान होते हैं। यह एकमात्र ऐसा अनाज है, जिसे कम से कम बच्चों को एलर्जी है। हालांकि, इसे अपने बच्चे को खिलाने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें।
बच्चा जब 7 महीने का हो जाए तब आप उसे ओट्स खिलाना शुरू कर सकते हैं। ओट्स को पहले दलिए के रूप में खिलाएं। जब आपका बच्चा इसको खाने में सहज हो, तब फलों और सब्जियों को मिलाकर इसे खिलाएं।
ओट्स में कैल्शियम, आयरन, जिंक, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज होते हैं, जो आपके बच्चे के विकास के लिए आवश्यक हैं। कैल्शियम और फॉस्फोरस बच्चे की हड्डियां मजबूत करते हैं। आयरन हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाए रखता है और एनीमिया से निपटने में मदद करता है।
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फोलेट, विटामिन बी 6, विटामिन के, विटामिन ई, थियामिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन जैसे, विटामिन की उपस्थिति ओट्स को आपके बच्चे के विकास के लिए एक आवश्यक पूरक माना जाता है।
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100 ग्राम ओट्स, बच्चों में 400 किलो कैलोरी ऊर्जा प्रदान करता है। यह ऊर्जा उनके विकास के लिए आवश्यक है, क्योंकि सही मात्रा में कैलोरी न मिलने पर बच्चों की एनर्जी धीमी पड़ सकती है।
ओट्स में हाई फाइबर पाए जाने की वजह से जिन बच्चों में कब्ज की समस्या है, वह इसके सेवन से दूर होती है। इसके नियमित सेवन से बच्चे की डाइजेस्टिव सिस्टम पर जोर नहीं पड़ता।
ओट्स में फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो अच्छी पाचन क्रिया के लिए जरूरी है। चूंकि आपके बच्चे का पाचन तंत्र अभी भी विकसित हो रहा है, ओट्स आपके बच्चे के सिस्टम पर कोई दबाव डाले बिना पाचन में मदद कर सकता है।
ओट्स में फाइबर की मात्रा होने के नाते बच्चों को इसका अधिक सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। 1-3 साल तक के बच्चों को 15 ग्राम से ज्यादा की मात्रा में ओट्स न दें। वे बच्चे जिन्हें एक्जिमा की प्रॉब्लम है, उनको ओट्स खिलाने पर एलर्जी पैदा हो सकती है।
बच्चे को जूस देने के टिप्स
बच्चों को जूस बोतल की बजाय चम्मच या कप से दें।
उन्हें ताजा जूस दें जिसमें कोई स्वीटनर या पाउडर मिला न हो। ये पचाने में आसान होते हैं।
ठोस आहार की जगह जूस नहीं ले सकते हैं।
बच्चों के लिए फ्रूट जूस की बजाय सब्जी का रस देना शुरू करें क्योंकि फलों का रस ज्यादा मीठा होता है।
रात के समय बच्चों को फ्रूट जूस न दें क्योंकि इसकी वजह से पेट फूलने, गैस और अपच हो सकती है।
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