अंडकोष का एक तरफ बढ़ना इलाज?pregnancytips.in

Posted on Fri 8th May 2020 : 01:08


अंडकोष का बढ़ना का कारण और उपचार - Andkosh Ke Badhne Ka Karan Aur Upchar Ke Tarike in Hindi

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Dr.Sanjeev Kumar Singh | Lybrate.com
Written and reviewed by
Dr.Sanjeev Kumar Singh
Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
Ayurvedic Doctor, Lakhimpur Kheri • 13years experience
अंडकोष का बढ़ना का कारण और उपचार - Andkosh Ke Badhne Ka Karan Aur Upchar Ke Tarike in Hindi

पुरुषों में अक्सर अंडकोष के बढ़ने की समस्या होती है जिसे आमतौर पर इसे हाइड्रोसील की समस्या भी कहा जाता है. यह समस्या पुरुषों के एक अंडकोष में या फिर दोनों अंडकोषों में भी हो सकती है. अंडकोष बढ़ने की समस्या तब होती है जब किसी कारणों से अंडकोष में अधिक पानी जमा हो जाता है. इसके कारण अंडकोष की थैली फूल जाती है और ऐसी स्थिति को हमलोग आमतौर पर हाइड्रोसील या प्रोसेसस वजायनेलिस या पेटेन्ट प्रोसेसस वजायनलिस भी कहते हैं.

आपको बता दें कि अंडकोष में अत्यधिक पानी भर जाने के कारण कई बार तो अंडकोष गुब्बारे की तरह फुला हुआ दिखाई पड़ने लगता है. अंडकोष में अधिक पानी भर जाने के कारण सूजन और दर्द की शिकायत हो सकती है, इसलिए हाइड्रोसील से इकट्ठा पानी को निकालने की आवश्‍यकता होती है. दरअसल अंडकोष में सूजन या पानी का भरना कई अलग-अलग कारणों से हो सकता है. जैसे अंडकोष पर चोट लगने के कारण या नसों में सूजन आने के कारण या कई बार तो स्वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के कारण भी अंडकोष में सूजन आ सकती है.

हालांकि एक तथ्य ये भी है कि कुछ लोगों में हाइड्रोसील की समस्‍या वंशानुगत या जन्मजात भी हो सकती है. वैसे तो यह समस्‍या किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन 40 वर्ष के बाद इसकी शिकायत अक्‍सर देखी जाती है. कभी-कभी अंडकोष की सूजन में दर्द बिल्कुल भी नहीं होता और कभी होता है और वह बढ़ता रहता है. आइए इस लेख के माध्यम से हम अंडकोष के बढ़ने से संबन्धित विभिन्न पहलुओं को जानें.
अंडकोष का बढ़ना के उपचार के तरीके - Andkosh Ke Badhne Aur Latakne Ka Upchar

हाइड्रोसील की चेकअप
हाइड्रोसील के आसपास तरल पदार्थ होने के कारण अंडकोष को महसूस नहीं किया जा सकता है. हाइड्रोसील में मौजूद तरल पदार्थ का सााइज पेट या हाइड्रोसील की थैली के प्रेशर के कारण कम या ज्यादा होता रहता है. अगर शरीर में तरल पदार्थ का स्टोरेज का साइज बदलता रहता है, तो आमतौर पर यह लक्षण हर्निया से संबधित होने की संभावना भी हो सकती है. हाइड्रोसील को आसानी से पता लगाया जा सकता है. इसके उपचार के लिए अल्‍ट्रासाउंड का भी प्रयोग कर सकते हैं. अल्‍ट्रासाउंड से अंडकोष में भरा द्रव साफ नजर आता है.

सर्जरी के जरिये
आमतौर पर हाइड्रोसील कोई गंभीर बीमारी नहीं होती है. लेकिन फिर भी इसमें सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है. यदि हाइड्रोसील के कारण समस्या ज्यादा बढ़ जाती है तो सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है. हाइड्रोसील के कारण ब्लड फ्लो में समस्‍या हो सकती है. ऐसे में सर्जरी से इसका निदान किया जाता है. यदि तरल पदार्थ साफ हो या कोई संक्रमण या रक्त का रिसाव हो तो इसे बाहर निकालने के लिए सर्जरी का सहारा लिया जाता है.

चूंकि हाइड्रोसेल्स तरल पदार्थ से भरे हुए हैं, इसलिए टेस्टिकल्स के अंदर किसी भी ठोस द्रव्यमान की अनुपस्थिति में, ट्रांसिल्यूमिनेशन तकनीक प्रकाश को सूजन से गुज़रने की अनुमति देती है. कभी-कभी जब हाइड्रोसेल रोगी के टेस्टिकल्स के अंदर ठोस द्रव्यमान का पता लगाया जाता है, तो डॉक्टर ग्रोन क्षेत्र में सूजन के लिए संबंधित कारण की बेहतर समझ के लिए अल्ट्रासाउंड की सलाह देता है.

हाइड्रोसेल खतरनाक नहीं है, इसका इलाज तभी किया जाता है जब प्रभावित क्षेत्र में दर्द होता है. यदि हाइड्रोसेल के आकार बदलाव नहीं होता है और समय बीतने के साथ बड़ा हो जाता है, तो उपचार की आवश्यकता नहीं होती है. ज्यादातर मामलों में हाइड्रोक्सेल्स दवाओं के बिना भी एक निश्चित अवधि के बाद छोटा हो जाता है, क्योंकि शरीर द्रव को पुन: व्यवस्थित करता है.

हालांकि, यह देखा गया है कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में हाइड्रोसेल आमतौर पर अपने आप से दूर नहीं जाता है. ऐसे मामलों में डॉक्टर बीमारी की गंभीरता के अनुसार एक एस्पिरेशन सुई का उपयोग करके हाइड्रोसेल से तरल पदार्थ की एस्पिरट कर सकते हैं या हाइड्रोसेलेक्टॉमी (हाइड्रोसेल का सर्जिकल हटाने) कर सकते हैं. यदि आपको लगता हैं कि आप इस बीमारी से पीड़ित हैं तो मूत्र विज्ञानी या एक एंड्रॉजिस्ट से उपचार करायें

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नोट: - जैसा कि प्रत्येक बीमारी के उपचार में कुछ बातों का अनिवार्य रूप से देना रखना चाहिए ताकि संबन्धित बीमारी का उपचार प्रभावी रूप से हो सके. उसी तरह से हाइड्रोसिल के उपचार में भी कुछ बातें ऐसी हैं जिनको ध्यान में रखकर ही उपचार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए. वैसे तो हाइड्रोसील का इलाज एस्पिरेशन और स्क्लिरोजिंग से किया जाता है, पर इस तरह से इलाज करने से भी कुछ खतरे हो सकते है. इसकी वजह से अंडकोष के आसपास हल्का दर्द, इन्फेक्शन और फाइब्रोसिस की समस्‍या हो सकती है.
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