Login
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi adipiscing gravdio, sit amet suscipit risus ultrices eu. Fusce viverra neque at purus laoreet consequa. Vivamus vulputate posuere nisl quis consequat.
Create an accountLost your password? Please enter your username and email address. You will receive a link to create a new password via email.
क्या होता है सी-सेक्शन? (What is C-section?)
उस सिजेरियन ऑपरेशन को सी-सेक्शन कहते हैं जिसमें डिलीवरी के दौरान गर्भवती के पेट और गर्भाशय पर चीरा लगाकर शिशु को बाहर निकाला जाता है। इसके बाद डाॅक्टर पेट और गर्भाशय को टांका लगाकर बंद कर देते हैं, जो समय के साथ ही शरीर में घुल जाते हैं।
क्यों पड़ती है सी- सेक्शन की जरूरत? (Why C-section Needed?)
बच्चे के जन्म के लिए सी-सेक्शन करना है या नहीं, यह कई मामलों या कहें पूरी तरह से डाॅक्टर पर निर्भर करता है। कहने का अर्थ यह है आम तौर पर सी-सेक्शन का निर्णय डाॅक्टर तब लेते हैं, जब उन्हें यह पता चल जाता है कि नाॅर्मल डिलीवरी से मां या शिशु या दोनों की ही जान को खतरा हो सकता है। या जब प्रसव के पारंपरिक तरीके में कठिनाई हो रही हो।
सिजेरियन डिलीवरी के कारण (Reason Of Cesarean Delivery)
शिशु के दिल की धड़कन असामान्य हो।
पेट में बच्चा उल्टा या तिरछा हो गया हो।
बच्चे के गले में ‘काॅर्ड’ यानि नाल फंस गया हो।
शिशु को विकास संबंधी कोई समस्या हो।
मां के पेट में जुड़वा यानि दो या उससे ज्यादा बच्चे हों।
पहला बच्चा ‘सी सेक्शन’ से हुआ हो। या पेट का कोई दूसरा ऑपरेशन हो चुका हो।
बच्चे को पेट में पूरी ऑक्सीजन ना मिल रही हो।
‘स्टाॅल्ड लेबर’ यानि जब महिला सक्रिय लेबर में हो और लेबर पेन धीमा या बंद हो जाए।
बच्चे का सिर जन्म नली यानि ‘बर्थ कैनाल’ से बड़ा हो।
बच्चे ने पेट में पाॅटी कर ली हो, जिससे उसे इंफेक्शन का खतरा हो।
मां को स्वास्थ्य संबंधी कोई बीमारी हो, जैसे थायराॅयड, ब्लड प्रेशर या हृदय से संबंधित कुछ।
‘एक्टोपिक प्रेगनेंसी’ यानि भ्रूण गर्भाशय के अलावा कहीं और स्थित हो।
प्रि-मैच्योर डिलीवरी यानि बच्चा सातवें या आठवें महीने में हो जाए तब।
सी-सेक्शन का तरीका
सारी तैयारियां करने के बाद गर्भवती स्त्री के पेट के नीचे का हिस्सा एनेस्थीसिया देकर सुन्न कर दिया जाता है। एनेस्थीसिया रीढ़ की हड्डी में दिया जाता है। उसके बाद डाॅक्टर जननांग से ऊपर और पेट के निचले हिस्से में चीरा लगाते हैं। यानि ‘प्यूबिक हेयरलाइन’ के पास, इसे ‘बिकिनी कट’ भी कहते हैं। आमतौर पर यह चीरा आड़ा (होरिजेंटल) ही होता है, कुछ आपातकालीन स्थितियों में चीरा खड़ा (वर्टिकल) भी लगाया जा सकता है।
इसके बाद गर्भाशय में चीरा लगाया जाता है और शिशु को गर्भाशय से बाहर निकाला जाता है। सबसे पहले डाॅक्टर शिशु के मुंह व नाक को साफ करते हैं, फिर गर्भनाल काटते हैं। साथ ही प्लेसेंटा को गर्भाशय से अलग किया जाता है और कट को टांके लगाकर बंद कर दिया जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आपकी आंखों को एक कपड़े से ढक दिया जाता है, ताकि सब देखकर घबराहट ना हो। लेकिन फिर भी चीजें महसूस होती हैं। कम से कम मुझे तो हुई थीं!
--------------------------- | --------------------------- |