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आज ‘इंटरनेशनल सेफ अबॉर्शन डे’ है. कई बार शादी के तुरंत बाद ही महिलाएं मां नहीं बनना चाहती हैं. ऐसे में यदि वे प्रेग्नेंट हो जाती हैं, तो इस अनचाही प्रेग्नेंसी को खत्म करने के लिए गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन करती हैं. कई बार ये कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स सही से काम नहीं करतीं, जिससे गर्भ ठहर जाता है. ऐसे में कपल्स अबॉर्शन का सहारा लेते हैं. हालांकि, हमारे देश में अबॉर्शन को लेकर सख्त कानून है, जिसमें बताया गया है कि आप कब तक गर्भपात करा सकते हैं. कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं, जो खुद ही बाजार में मौजूद कई तरह की कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स या अबॉर्शन पिल्स का सेवन करने लगती हैं. ऐसा करना आपकी सेहत को भारी नुकसान पहुंचा सकता है. कुछ कपल्स गैर-कानूनी तरीके से चल रहे गैर पेशेवर लोगों के द्वारा भी अबॉर्शन करा लेते हैं, जिससे कई बार महिला की मृत्यु होने की संभावना भी बढ़ जाती है. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि अबॉर्शन कराने का सेफ तरीका क्या है, गर्भ ठहरने के बाद कब तक
क्या होता है गर्भपात और प्रोसीजर क्या है?
फोर्टिस हॉस्पिटल (वाशी, मुंबई) की ऑब्सटेट्रिक्स और गाइनोकोलॉजिस्ट डॉ. नेहा बोथरा कहती हैं कि लाइव प्रेग्नेंसी को जब हम टर्मिनेट करते हैं, उसे अबॉर्शन कहते हैं. गर्भपात कभी-कभी नेचुरली भी हो जाता है, जिसे स्पॉन्टेनियस अबॉर्शन कहते हैं और कई बार मेडिकल तरीके से जब प्रेग्नेंसी को खत्म किया जाता है, उसे मेडिकल अबॉर्शन कहते हैं. मेडिकल टर्मिनेशन के अलग-अलग तरीके होते हैं. किस तरीके से अबॉर्शन करना है, यह कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कितने महीने की प्रेग्नेंसी है, महिला की शारीरिक कंडीशन कैसी है, कहीं कोई मेडिकल कंडीशन जैसे हार्ट की समस्या, हाई बीपी, एनेस्थीसिया ले सकती है या नहीं आदि. मेडिकल प्रोसीजर में दवाओं के जरिए गर्भपात कराया जाता है. दूसरा मेथड है सर्जिकल मेथड, जिसमें यूटरस को खाली किया जाता है. सर्जिकल मेथड एडवांस प्रेग्नेंसी में अपनाया जाता है. 4 से 5 महीने यानी 12 से 20 सप्ताह की प्रेग्नेंसी होने पर डिलीवरी पेन देकर गर्भपात कराया जाता है.
किन परिस्थितियों में अबॉर्शन कराया जाता है?
डॉ. नेहा बोथरा बताती हैं कि कई बार गर्भनिरोधक गोलियां फेल हो जाती हैं, अनचाही प्रेग्नेंसी या फिर कपल के कॉन्ट्रासेप्टिव यूज करने के बाद भी वह सफल ना हो तो कपल अबॉर्शन का विकल्प चुनते हैं. यदि महिला को कोई मेडीकल कंडीनश है, जैसे हार्ट डिजीज है, एपिलेप्सी है, जिसकी दवाई चल रही हो या अन्य कोई शारीरिक समस्या हो, जिसके कारण प्रेग्नेंसी उसके लिए नुकसानदायक हो सकती है, तो अबॉर्शन कराने की ज़रूरत पड़ती है. बेबी में कोई शारीरिक समस्या, फिजिकल डिफेक्ट, मेडिकल एब्नॉर्मिलिटी होने पर भी लोग अबॉर्शन कराने का विकल्प चुन सकते हैं. लेकिन यह कानूनी लिमिट के तहत ही किया जाना चाहिए जो कि 20 सप्ताह है. यदि प्रेग्नेंसी महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला हो, तो भी प्रोविजन के तहत अबॉर्शन करा सकते हैं.
अबॉर्शन कब करा सकते हैं?
दवाओं के जरिए अबॉर्शन लगभग 49 दिन या 7 सप्ताह तक करा सकते हैं और सर्जिकल अबॉर्शन 12 सप्ताह यानी प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही तक कर सकते हैं. हालांकि, 8-9 सप्ताह के बीच सर्जिकल अबॉर्शन कराना ज्यादा सुरक्षित माना गया है. इतना ही नहीं, कई फैक्टर्स पर भी अबॉर्शन के तरीके निर्भर करते हैं.
अबॉर्शन कब होता है असुरक्षित?
अधिकतर लोग आज भी हमारे देश में गैर-कानूनी तरीके से अबॉर्शन कराने का विकल्प चुनते हैं, जो बेहद ही खतरनाक साबित होता है. इसी वजह से भारत में अबॉर्शन को लीगल बनाया गया ताकि लोग सेफ, मेडिकल प्रोफेशनल और अच्छे हॉस्पिटल से कराएं. असुरक्षित गर्भपात से महिला की जान भी जा सकती है. ऐसे में यदि आप प्रेग्नेंसी को जारी नहीं रखना चाहते हैं तो हमेशा मेडिकल प्रोफेशनल, एक्सपर्ट से ही कराएं. इससे यूटरस में इंफेक्शन हो सकता है. ये इंफेक्शन खून में फैलकर सेप्सिस कर सकता है, जो जान के लिए घातक है.
सुरक्षित गर्भपात क्यों ज़रूरी, अबॉर्शन पिल्स के नुकसान
सुरक्षित गर्भपात इसलिए ज़रूरी है, क्योंकि इससे काफी हद तक महिला की जान बच सकती है. अबॉर्शन पिल्स को कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह पर नहीं लेना चाहिए, इसके कई साइड एफेक्ट्स होते हैं. गलत तरीके से खाने से बहुत अधिक ब्लीडिंग होने की संभावना बढ़ जाती है. इंटरनल ब्लीडिंग भी हो सकती है. इसी तरह कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का सेवन भी सही तरीके से करना चाहिए. डॉक्टर की सलाह पर इन्हें लें और बिना मिस किए नियमित रूप से लेना ज़रूरी है, ताकि गर्भ ना ठहरे.
अबॉर्शन कराने के बाद किन बातों का रखें ध्यान
सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि अबॉर्शन कराना से ही बचना चाहिए. यह एक ऑप्शन होना चाहिए ना कि अनचाही प्रेग्नेंसी या फैमिली प्लानिंग का मुख्य जरिया हो. कई बार लोग कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करते, उस स्थिति में गर्भपात को एक आसान विकल्प लोग मान लेते हैं. ऐसा करने से बचें. बार-बार अबॉर्शन कराना भी महिला की सेहत के लिए ठीक नहीं. डॉक्टर भी यही सलाह देते हैं कि अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी से बचने के लिए फैमिली प्लानिंग मेथड्स का इस्तेमाल हमेशा करें, ताकि अबॉर्शन कराने की नौबत ही ना आए.
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