अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में लड़की या लड़का कैसे जाने?pregnancytips.in

Posted on Fri 14th Oct 2022 : 15:55

अगर नब का कोण रीड की हड्डी से 30 डिग्री अधिक बनता है, तो यह गर्भ में लड़का होने की मौजूदगी का संकेत है। और इसी तरह अगर नव का कोण रीड की हड्डी से 30 डिग्री से कम बनता है, तो यह लड़की की मौजूदगी का संकेत है। अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी में बच्चा लड़का होने का संकेत और लड़की होने का संकेत है।
पहली तिमाही में एक लड़का होने के प्रमुख लक्षण जो अल्ट्रासाउंड के माध्यम से पता चल सकते हैं.

दोस्तों अल्ट्रासाउंड के द्वारा व्यक्ति किस तरह से पता लगाएं कि उसके यहां कौन से संतान आने वाली है. इसके लिए हमने यूट्यूब पर देखा कि वह बच्चे की धड़कन को देखकर इस बात का आईडिया लगाते हैं जैसे कि

अगर धड़कन 138 और 155 के बीच में होती है जो गर्भ में लड़का होना माना जाता है. और वही धड़कन 155 से ऊपर या 138 से नीचे होती है तो गर्भ में लड़की है तो हम यह कैसे निश्चित करेंगे कि लड़की की धड़कन 138 से नीचे ही आएगी और या फिर 155 से ऊपर आएगी बीच में क्यों नहीं आ सकती है, तो इसका लॉजिक थोड़ा सा हमें समझ नहीं आया

फिर हमने और सर्च किया थोड़ा सा जानने की कोशिश की इधर से उधर से तो दो तरीके पता लगे और एक-दो छोटी बातें हमें समझ में आई है, जो हम आपको शेयर करने जा रहे हैं. लेकिन इतना जरूर समझ में आया है कि आप और हम जैसे साधारण व्यक्ति अल्ट्रासाउंड देखकर इस बात का पता नहीं लगा सकते हैं.
अल्ट्रासाउंड में लड़के की क्या पहचान है
पहली तिमाही में एक लड़का होने के लक्षण कुछ इस प्रकार से हैं.

भ्रूण के सिर के आकार से लिंग का अनुमान लगाना - Gender prediction by fetal head
अल्ट्रासाउंड में लड़के की क्या पहचान है, बहुत से अनुभवी चिकित्सक जो लगातार गर्भवती स्त्री का स्कैन करते हैं. अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी करते हैं. वह धीरे धीरे इतने जानकार हो जाते हैं, कि वह गर्भस्थ शिशु के छोटे से छोटे आकार में आए परिवर्तन को बड़ी आसानी से पहचान लेते हैं.

बहुत से चिकित्सक बच्चे के सिर के आकार को देखकर ही इस बात का पता बता देते हैं, कि गर्भस्थ शिशु आगे चलकर एक कन्या है, या एक लड़का होगा . भ्रूण की उम्र कम से कम 12 हफ़्ते होनी चाहिए.

क्योंकि पुरुष और स्त्री दो अलग-अलग आइडेंटिटी होती हैं. और उनके अंदर काफी कुछ अलग भी होता है. इसे देखकर वह बता देते हैं. अधिकतर मामले में नर शिशु, मादा शिशु में थोड़ा सा अंतर तो होता ही है.और उनके विकास की अपनी-अपनी एक विधि होती है.

अपने स्कैन के द्वारा एक चिकित्सक वर्षों से ही शिशु को बड़े होते हुए देखता है, तो लड़का और लड़की के विकास के क्रम को प्रारंभिक अवस्था से ही पहचानने लगते हैं.
वह केवल सिर के आकार को देखकर ही नहीं बता सकते बल्कि वह और भी बहुत कुछ मेजरमेंट करके इस बात को बता सकते हैं कि गर्भ शिशु का लिंग क्या है.

यह सब कुछ उनके अपने अनुभव के आधार पर ही होता है. अपने अनुभव के आधार पर, हर एक चिकित्सक का अपना अलग अलग तरीका होता है .
नब लिंग परीक्षण - Nub Gender Prediction
अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी में बच्चा लड़का के संकेत में अगला संकेत कुछ टेक्निकल है। इसमें तो सिर्फ आपको मेजरमेंट करना है। प्रेगनेंसी के शुरुआती लगभग 11 से 13 हफ्तों तक उनके पैरों के बीच में एक ट्यूबरकल नाम का जननांग मौजूद होता है। जिसे नब कहा जाता है।

यही जननांग आगे चलकर लिंग का निर्धारण भी करता है. अगर नब का कोण रीड की हड्डी से 30 डिग्री अधिक बनता है, तो यह गर्भ में लड़का होने की मौजूदगी का संकेत है।

और इसी तरह अगर नव का कोण रीड की हड्डी से 30 डिग्री से कम बनता है, तो यह लड़की की मौजूदगी का संकेत है।

अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी में बच्चा लड़का होने का संकेत और लड़की होने का संकेत है। नब लिंग परीक्षण के ज़रिए बच्चे का लिंग जानने के लिए गर्भवती महिला के अल्ट्रासाउंड स्कैन की ज़रूरत पड़ती है।

स्कैन से मिली तस्वीर में बच्चे का लिंग जानने के लिए उसकी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से नब का कोण मापना चाहिए।
यह थे बेबी जेंडर अल्ट्रासाउंड टिप्स, दोस्तों यह तरीके लगभग 100% सही सही आपको गर्भ में आपके भ्रूण के संबंध में बता सकते है। लेकिन दोस्तों अगर आप भ्रूण हत्या के उद्देश्य से यह चेक करवाना चाहते हैं, तो इसके लिए कानून में सख्त कार्यवाही का प्रावधान है। जिसके अंदर जुर्माना और जेल दोनों होती हैं।

दोस्तों अभी इस वीडियो को बनाते समय ही मैंने न्यूज़ पड़ी की एक अल्ट्रासाउंड सेंटर पर पुलिस ने छापा मारकर उस में कार्यरत डॉक्टर को हिरासत में लिया है। जो लिंग परीक्षण का कार्य क्या करते थे।


तो दोस्तों यह काफी खतरनाक बात है। आपको ज्ञान के लिए हमें यह बात बता दी है। लेकिन आप इस तरीके से पता नहीं लगा सकते हैं.

कुछ और साधारण से तरीके हैं जिनके द्वारा आप पता लगाने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन यह 100% सही रिजल्ट नहीं देते हैं.

जैसे कि आप बेकिंग सोडे से भी पता लगा सकते हैं यह घरेलू विधि है इस परीक्षण में 1 दिन पहले गर्भवती महिला को दिनभर अधिक से अधिक पानी पीना है इसके बाद अगले दिन महिला सुबह के पहले पेशाब का नमूना ले उसमें बराबर मात्रा में बेकिंग सोडा मिला दे ।

FHR का अर्थ है, फीटल हार्ट रेट, अर्थात गर्भस्थ शिशु के दिल की धड़कने की गति . इस गति को FRH कहते हैं. इसे अल्ट्रासाउंड तथा दूसरे मशीनों के द्वारा ट्रैक किया जा सकता है. एक गर्भ शिशु के दिल की धड़कन प्रति मिनट 100 से लेकर 160 या 170 तक हो सकती है. 1FRH को मॉनिटर करके शिशु के स्वास्थ्य पर नजर रखी जाती है. प्रेग्‍नेंसी के आखिरी दिनों और लेबर के दौरान फीटल हार्ट रेट मॉनिटरिंग की जाती है.
अल्ट्रासाउंड द्वारा जेंडर प्रिडिक्शन किस समय किया जा रहा है इस बात पर काफी निर्भर करता है अल्ट्रासाउंड के द्वारा बच्चे को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है इस वजह से जेंडर प्रिडिक्शन करने में किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं आती है लेकिन शुरुआत के 2 महीने में शिशु का विकास इतना नहीं होता है कि कोई भी सामान्य व्यक्ति अल्ट्रासाउंड को देखकर जेंडर फ्रिक्शन कर सके डॉक्टर अपने अनुभव के आधार पर और बच्चे की ग्रोथ के आधार पर प्रेगनेंसी के शुरुआती 2 महीनों में जेंडर प्रिडिक्शन करते हैं इसलिए त्रुटि की संभावना बनी रहती है.
98% से 99% तक इसका रिजल्ट सही माना जाता है, हालांकि अब भारत में अल्ट्रासाउंड के द्वारा जेंडर प्रिडिक्शन पर रोक है.

गर्भ में बेटा है या बेटी है यह सही सही पता करने का एकमात्र तरीका अल्ट्रासाउंड है. लेकिन भारत में अल्ट्रासाउंड द्वारा जेंडर प्रिडिक्शन बैन है. इसके लिए सजा निर्धारित है. डॉक्टर और जेंडर प्रिडिक्शन करवाने वाले दंपत्ति दोनों के लिए सजा का प्रावधान है. इसलिए अल्ट्रासाउंड के माध्यम से आप आज के समय जेंडर प्रिडिक्शन नहीं करा सकते हैं. हालांकि महिला के शरीर में ऐसे बहुत सारे लक्षण नजर आते हैं, जिनके आधार पर गर्भ में लड़का है या लड़की है, इस बात का आईडिया लगाया जा सकता है. लेकिन यह सभी लक्षण 100% रिजल्ट नहीं देते हैं. हालांकि कई सारे लक्षणों को देखकर इस बात का अंदाज लगाया जा सकता है, कि महिला के गर्भ में लड़का है, या लड़की है. लेकिन यह भी अनुभव के बिना संभव नहीं है.




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