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आयुर्वेद के अनुसार कौन-से महीने में आपको क्या खाना चाहिए, जानें बदलते मौसम में खान-पान से जुड़े नियम
मौसम में बदलाव के साथ जैसे हम अपने कपड़ों में बदलाव करते हैं, वैसे ही हमें अपने खान-पान को भी मौसम के अनुसार बदलने की जरुरत होती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि खान-पान का हमारे शरीर पर भी असर पड़ता...
मौसम में बदलाव के साथ जैसे हम अपने कपड़ों में बदलाव करते हैं, वैसे ही हमें अपने खान-पान को भी मौसम के अनुसार बदलने की जरुरत होती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि खान-पान का हमारे शरीर पर भी असर पड़ता है। ऐसे में शरीर में ऊर्जा का संतुलन बनाए रखने के लिए हमें डाइट पर भी ध्यान देना चाहिए। आयुर्वेद में खान-पान से जुड़े कुछ नियम बताए गए हैं। आइए, जानते हैं-
बसन्त ऋतु (मध्य मार्च से मध्य मई)
सबसे पहले आपको इस मौसम में गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए। यह महीने सर्दियों से गर्मियों की ओर जाते हुए होते हैं इसलिए इसमें आलस आना आम बात है। इसके अलावा आपकी पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है। ऐसे में आपको पुराने अन्न व धान्य का सेवन करना चाहिए। दालों में मूंग, मसूर, अरहर और चना का सेवन करें। इस मौसम में ठंडी प्रकृति वाला भोजन न करें, जिससे कि सर्दी, जुकाम आदि रोग आपको परेशान न करें। ज्यादा घी व तला भोजन, मिठाइयां न खाएं। न ही दिन में सोना और रात में देर तक जागना चाहिए।
ग्रीष्म ऋतु (मध्य मई से मध्य जुलाई)
इस मौसम में पाचन क्रिया इतनी मजबूती से काम नहीं करती है इसलिए आपको गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही ऐसा मौसम भी न करें, जिससे गर्मी का अनुभव होता है। आपको ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। आप दही, लस्सी, सत्तू, नीबू पानी जैसी चीजों का इस्तेमाल करें। वहीं, इस मौसम में जितने फल खा सकते हैं या फलों का जूस पी सकते हैं, उसे पिएं। फलों में मौसमी, अंगूर, अनार, तरबूज आदि रसीले फल व फलों का रस, नारियल पानी, गन्ने का रस, कैरी का पना, ठण्डाई, शिकंजी का सेवन करें। ज्या दा से ज्या दा पानी पीएं और सिर पर ठंडे तेल की मालिश करें।
वर्षा ऋतु (मध्य जुलाई से मध्य सितंबर)
इस मौसम में मन करता है कि कुछ चटपटा खाया जाए लेकिन आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में शरीर का वात बढ़ जाता है इसलिए तीखे, नमकीन, तले-भुने खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे आपकी पाचन क्रिया प्रभावित हो सकती है। जन में दूध, घी, शहद, जौ, गेंहू व साठी चावल खाएं। पेट का रोग न हो इसलिये सौंठ और नीबू खाएं। पानी को उबालकर पिएं। इस मौसम में शराब, मांस, मछली और दही का सेवन न करें।
शरद ऋतु (मध्य सितम्बर से मध्य नवम्बर)
इस मौसम में बेहद हल्का , मीठा और शीतल भोजन करना चाहिए क्यों कि यह पचने में बेहद आसान होता है। शरीर में पित्त न बने इसके लिये नीम, करेला, सहजन जैसी चीजों का सेवन करें। इस दौरान तुरई, लौकी, चौलाई आदि कसैले साग का सेवन लाभदायक होता है। दाल की बात करें, तो इस मौसम में छिलके वाली मूंग की दाल, त्रिफला, मुनक्का, खजूर, जामुन, परवल, आंवला, पपीता, अंजीर का सेवन करें।
हेमन्त ऋतु ( मध्य नवंबर से मध्य जनवरी)
इस मौसम में शारीरिक गतिविधि बेहद कम हो जाती है इसलिए ज्यादा खाने से बचना चाहिए। वहीं, आपको इन मौसम में ब्रेकफास्ट जरूर करना चाहिए। साथ ही घी, दूध आदि से युक्त, देर से पचने वाला भोजन करें। आप लड्डू, पाक, हलवा, आदि पौष्टिक आहार का सेवन जरूर करें, अगर आप नॉन वेज खाते हैं, तो मांस, मछली सहित गुनगुने पानी का सेवन करें।
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