एंडोमेट्रियम कौन सी बीमारी है?pregnancytips.in

Posted on Fri 14th Oct 2022 : 10:02

एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसा विकार है जिसमें गर्भाशय की लाइनिंग बनाने वाले ऊतक से मिलता हुआ ऊतक गर्भाशय की गुहा के बाहर विकसित होने लगता है। गर्भाशय की लाइनिंग को एंडोमेट्रियम कहते हैं। जब ओवरी, बाउल और पेल्विस की लाइनिंग के ऊतकों पर एंडोमेट्रियल टिश्‍यू विकसित होने लगते हैं, तब एंडोमेट्रियोसिस की समस्‍या उत्‍पन्‍न होती है।

एंडोमेट्रियोसिस क्या होता है? लक्षण, कारण, परहेज और इलाज
एंडोमेट्रियोसिस क्या होता है? एंडोमेट्रियोसिस के प्रकार (Endometriosis Ke Prakaar) सुपरफीशियल पेरीटोनियल लेश्यन एंडोमेट्रियोमा (ओवेरियन लेश्यन) डीपली इंफिल्ट्रेटिंग एंडोमेट्रियोसिस एंडोमेट्रियोसिस होने के लक्षण (Endometriosis Ke Lakshan) एंडोमेट्रियोसिस होने के कारण (Endometriosis Hone Ke Kaaran) एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी के दौरान आपका खान: पान (Aapki Diet Endometriosis Bimari ke Dooran) एंडोमेट्रियोसिस होने पर इन चीजों से करें परहेज (Endometriosis hone par en cheezo se kare parhez) एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या करे (Endometriosis Hone par kya kare) एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी के दौरान आपका खान: पान (Aapki Diet Endometriosis Bimari ke Dooran) एंडोमेट्रियोसिस होने पर इन चीजों से करें परहेज (Endometriosis hone par en cheezo se kare parhez) एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या करे (Endometriosis Hone par kya kare) एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या ना करे (Endometriosis hone par kya Na Kare) एंडोमेट्रियोसिस को घर पर ठीक कैसे करे (Home Remedy for Endometriosis Treatment in Hindi) एंडोमेट्रियोसिस के इलाज (Endometriosis Ke Ilaaj) एंडोमेट्रियोसिस के इलाज की लागत (Endometriosis ke Ilaaj ka Kharcha) निष्कर्ष
एंडोमेट्रियोसिस क्या होता है?
एंडोमेट्रियोसिस क्या होता है?

एंडोमेट्रियोसिस आम तौर पर एक ऐसा चिकित्सकीय विकार है जिसमें यूटरस के अंदर पाए जाने वाले टिश्यू एंडोमेट्रियम टिश्यू की तरह ही बढ़ते हैं और ये टिश्यू गर्भाशय के बाहर बढने लगते हैं। यह काफी पीड़ादायक और दर्दनाक स्थिति होती है।

एंडोमेट्रियोसिस की स्थिति में सामान्यतः ओवरी, फैलोपियन ट्यूब और पेल्विस की लाइनिंग करने वाले टिश्यू प्रभावित होती है। एंडोमेट्रियल जैसा टिश्यू खुद ही एंडोमेट्रियल टिश्यू के तौर पर काम करने लगता है

यह प्रत्येक मासिक धर्म के साथ मोटा होता है, टूट जाता है और खून बहता है। लेकिन चूंकि इस टिश्यू के पास शरीर से बाहर निकलने का रास्ता ना होने से यहा शरीर के बाहर नहीं निकल पाता तो यह यह फंस जाता है। इससे आसपास के टिश्यू पर दबाव पड़ता है और अंततः स्कार टिश्यू बनने लगते हैं जिससे रेशेदार टिश्यू के बैंड बन जाते हैं। इससे पैल्विक टिश्यू और अंगों को एक दूसरे से चिपक भी सकते हैं।

अगर एंडोमेट्रियोसिस विकार में ओवरी भी प्रभावित हो तो कई सिस्ट भी बन जाते जिन्हें एंडोमेट्रियोमास कहा जाता है। एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिला को दर्द होता रहता है और कभी कभी,खासकर पीरियड्स के दौरान, ये दर्द बेहद गंभीर हो जाता है। इससे प्रजनन समस्याएं भी विकसित हो सकती हैं लेकिन राहत की बात ये है है कि इस समस्या का प्रभावी उपचार संभव है।
एंडोमेट्रियोसिस के प्रकार (Endometriosis Ke Prakaar)
एंडोमेट्रियोसिस कहां पर स्थित है इस आधार पर इसे वर्गीकृत किया गया है। ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:
सुपरफीशियल पेरीटोनियल लेश्यन

यह एंडोमेट्रियोसिस का सबसे आम प्रकार है। इसमे पीड़ित के पेरिटोनियम पर लेश्यन (घाव) होते हैं। पेरिटोनिम एक पतली फिल्म होती जो आपकी पेल्विक कैविटी की लाइनिंग बनाती है।
एंडोमेट्रियोमा (ओवेरियन लेश्यन)

एंडोमेट्रियोसिस के इस प्रकार में पीड़ित के ओवरी (अंडाशय) की गहराई में गहरे, तरल पदार्थ से भरे हुए सिस्ट बनते हैं। इन सिस्ट को चॉकलेट सिस्ट भी कहा जाता है। इन पर उपचार का भी बहुत अच्छा प्रभाव नहीं होता। सामान्य उपचार से ये ठीक नहीं होता और आसपास के स्वस्थ टिश्यू को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
डीपली इंफिल्ट्रेटिंग एंडोमेट्रियोसिस

एंडोमेट्रियोसिस के इस प्रकार में टिश्यू पेरिटोनियम के नीचे विकसित होता है। इसमें गर्भाशय के पास के अंग जैसे कि आपकी आंत या मूत्राशय भी शामिल हो सकते हैं। इस रोग से पीड़ित लगभग 1% से 5% महिलाओं में इस तरह का एंडोमेट्रियोसिस पाया जाता है।
एंडोमेट्रियोसिस होने के लक्षण (Endometriosis Ke Lakshan)

एंडोमेट्रियोसिस का सबसे सामान्य रूप ये पाया जाना वाला प्राथमिक लक्षण पैल्विक दर्द है, जो अक्सर मासिक धर्म से जुड़ा होता है। वैसे तो बहुत सी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान ऐंठन का अनुभव होता है पर जिन्हें एंडोमेट्रियोसिस विकार होता है आमतौर पर उन्हें मासिक धर्म के दौरान होने वाला दर् सामान्य ऐंठन से कहीं ज्यादा अधिक पीड़ादायी और खराब होता है। इस तरह का दर्द समय के साथ बढ़ भी सकता है।

एंडोमेट्रियोसिस के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

अति पीड़ादायक पीरियड्स (डिस्मेनोरिया): पैल्विक दर्द और ऐंठन मासिक धर्म से पहले शुरू हो सकते हैं और कई दिनों तक बढ़ सकते हैं। पीड़ित महिला की पीठ के निचले हिस्से और पेट में दर्द भी हो सकता है।
संभोग में दर्द: एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित होने पर महिला को सेक्स के दौरान या बाद में दर्द होना आम है।
मल त्याग या पेशाब के साथ दर्द: आपको मासिक धर्म के दौरान इन लक्षणों का अनुभव होने की सबसे अधिक संभावना है।
बहुत ज्यादा ब्लीडिंग: आप कभी: कभी भारी मासिक धर्म या मासिक धर्म के बीच भी खून की बहुत ज्यादा ब्लीडिंग (अंतरमासिक रक्तस्राव) का अनुभव कर सकते हैं।
बांझपन: यदि किसी दंपत्ति को संतान प्राप्ति नहीं हो रही है तो महिला में पाए जाने वाला सबसे आम कारणों एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है।
अन्य लक्षण: थकान, दस्त, कब्ज, सूजन या मतली का अनुभव, विशेष रुप ये ये लक्षण पीरियड्स के दौरान पीड़ित महिला अनुभव करती है।

एक ध्यान देने वाल बात ये है कि दर्द कितना हो रहा ये इस बात का पैमाना नहीं कि एंडोमेट्रियोसिस कितनी गंभीर अवस्था में है। कई बार गंभीर दर्द के साथ हल्का एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है, या आपको कम या बिना दर्द के एडवांस स्टेज की एंडोमेट्रियोसिस की समस्या हो सकती है।
एंडोमेट्रियोसिस होने के कारण (Endometriosis Hone Ke Kaaran)

एंडोमेट्रियोसिस का कोई एक सटीक कारण तो अभी निश्चित नहीं हो सका है पर विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके संभावित कारण निम्न हो सकते हैं:

रेट्रोग्रेड मेनस्यूरेशन: रेट्रोग्रेड मेनस्यूरेशन या प्रतिगामी माहवारी में मैनस्यूरल ब्लड जिसे शरीर के बाहर निकल जाना चाहिए वो फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से वापस पेल्विक कैविटी में चला जाता है। इस रक्त में एंडोमेट्रियल सेल भी होते हैं। ये एंडोमेट्रियल कोशिकाएं पेल्विक कैविटी में पेल्विक की दीवारों और पेल्विक अंगों की सतहों से चिपक जाती है। यहां चिपके रहकर वे बढ़ती हैं और प्रत्येक मासिक धर्म के दौरान मोटी होती जाती हैं और खून बहना जारी रखती हैं।
पेरिटोनियल सेल में बदलाव: इसे 'इंडक्शन थ्योरी' के रूप में भी जाना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हार्मोन या इम्यून फैक्टर पेरिटोनियल कोशिकाओं के परिवर्तन को बढ़ावा देता हैं । यही कोशिकाएं पेट के अंदरूनी हिस्से को एंडोमेट्रियल जैसी कोशिकाओं में बदल देती हैं जिससे एंडोमेट्रियोसिस ही सकती है।
भ्रूण कोशिकाओ में परिवर्तन: एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन भ्रूणीय कोशिकाओं को युवा अवस्था के दौरान एंडोमेट्रियल जैसे सेल में बदल सकते हैं। वैसे भ्रूणीय कोशिकाएं भ्रूण के विकास के शुरुआती चरणों के लिए उत्तरदायी होती हैं।
सर्जिकल स्कार इंप्लाटेंशन: हिस्टरेक्टॉमी या सी: सेक्शन जैसी सर्जरी के बाद एंडोमेट्रियल कोशिकाएं सर्जिकल स्कार से जुड़ सकती हैं।
एंडोमेट्रियल सेल ट्रांसपोर्ट: ब्लड सेल्स या टिश्यू फ्लूइड (लिम्फैटिक) सिस्टम एंडोमेट्रियल कोशिकाओं को शरीर के अन्य भागों में ले जा सकती है।
प्रतिरक्षा प्रणाली में विकार: प्रतिरक्षा प्रणाली में अगर किसी तरह की दिक्कत हो या फिर उसमें कोई विकार आ गया हो तो वो गर्भाशय के बाहर बढ़ने वाले एंडोमेट्रियल जैसे ऊतक को पहचानने की क्षमता खो देती है और इसे शरीर उन्हें नष्ट करने में असमर्थ हो जाता है।

एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी के दौरान आपका खान: पान (Aapki Diet Endometriosis Bimari ke Dooran)

एंडोमेट्रियोसिस और आहार के बीच एक सीधा संबंध है ये बात अनुसंधान में भी सिद्ध हो चुकी है। शोध के मुताबिक जो महिलाएं फलों और सब्जियों को ज्यादा खाती हैं उन्हें ये बीमारी होने की संभावना अपेक्षाकृत कम होती है जबकि जो महिलाएं ऐसे आहार लेती हैं जिसमें रेड मीट की अधिकता हो उन्हें इसका खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

महिलाओं को अपने भोजन का में अधिक से अधिक ताजे फल और सब्जियों को शामिल करना होगा। सलाद और सब्जियां ज्यादा खानी होगी अपने फ्रिज में अगर पहले से ही दुलकर और काटकर फल रख लिए जाएं तो ये आपको फल खाने को ज्यादा प्रेरित कर सकता है। फ्रूट चाट एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

एक अन्य शोध में ओमेगा : 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे सैल्मन और अखरोट खाने की बात सामने आई है। अध्ययन से पता चला है कि जिन महिलाओं ने सबसे अधिक मात्रा में ओमेगा : 3 फैटी एसिड का सेवन किया, उनमें एंडोमेट्रियोसिस विकसित होने की संभावना उन महिलाओं की तुलना में 22% कम थी, जिन्होंने इसे कम से कम मात्रा में खाया था।
एंडोमेट्रियोसिस होने पर इन चीजों से करें परहेज (Endometriosis hone par en cheezo se kare parhez)

कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि गोमांस या गोवंश के मांस में वसा की उच्च मात्रा शरीर को प्रोस्टाग्लैंडीन नामक रसायनों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे अधिक एस्ट्रोजन का उत्पादन हो सकता है। यह अतिरिक्त एस्ट्रोजन अतिरिक्त एंडोमेट्रियल ऊतक के बढ़ने का कारण बनता है जिससे एंडोमेट्रियोसिस बीमारी होती और बढ़ती है।
जो महिलाएं सबसे अधिक ट्रांस वसा खाती हैं, उनमें तुलनात्मक रूप से, कम ट्रांस फैट खाने वालों से एंडोमेट्रियोसिस होने का खतरा 48 प्रतिशत अधिक होता है।
इसके अलावा, शराब और कैफीन से बचें।
सोडा पीने से एंडोमेट्रियोसिस विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
शराब भी एक उच्च जोखिम के रूप में सिद्ध हो चुका है।

एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या करे (Endometriosis Hone par kya kare)

एंडोमेट्रियोसिस का कोई एक सटीक कारण तो अभी निश्चित नहीं हो सका है पर विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके संभावित कारण निम्न हो सकते हैं:

रेट्रोग्रेड मेनस्यूरेशन: रेट्रोग्रेड मेनस्यूरेशन या प्रतिगामी माहवारी में मैनस्यूरल ब्लड जिसे शरीर के बाहर निकल जाना चाहिए वो फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से वापस पेल्विक कैविटी में चला जाता है। इस रक्त में एंडोमेट्रियल सेल भी होते हैं। ये एंडोमेट्रियल कोशिकाएं पेल्विक कैविटी में पेल्विक की दीवारों और पेल्विक अंगों की सतहों से चिपक जाती है। यहां चिपके रहकर वे बढ़ती हैं और प्रत्येक मासिक धर्म के दौरान मोटी होती जाती हैं और खून बहना जारी रखती हैं।
पेरिटोनियल सेल में बदलाव: इसे 'इंडक्शन थ्योरी' के रूप में भी जाना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हार्मोन या इम्यून फैक्टर पेरिटोनियल कोशिकाओं के परिवर्तन को बढ़ावा देता हैं । यही कोशिकाएं पेट के अंदरूनी हिस्से को एंडोमेट्रियल जैसी कोशिकाओं में बदल देती हैं जिससे एंडोमेट्रियोसिस ही सकती है।
भ्रूण कोशिकाओ में परिवर्तन: एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन भ्रूणीय कोशिकाओं को युवा अवस्था के दौरान एंडोमेट्रियल जैसे सेल में बदल सकते हैं। वैसे भ्रूणीय कोशिकाएं भ्रूण के विकास के शुरुआती चरणों के लिए उत्तरदायी होती हैं।
सर्जिकल स्कार इंप्लाटेंशन: हिस्टरेक्टॉमी या सी: सेक्शन जैसी सर्जरी के बाद एंडोमेट्रियल कोशिकाएं सर्जिकल स्कार से जुड़ सकती हैं।
एंडोमेट्रियल सेल ट्रांसपोर्ट: ब्लड सेल्स या टिश्यू फ्लूइड (लिम्फैटिक) सिस्टम एंडोमेट्रियल कोशिकाओं को शरीर के अन्य भागों में ले जा सकती है।
प्रतिरक्षा प्रणाली में विकार: प्रतिरक्षा प्रणाली में अगर किसी तरह की दिक्कत हो या फिर उसमें कोई विकार आ गया हो तो वो गर्भाशय के बाहर बढ़ने वाले एंडोमेट्रियल जैसे ऊतक को पहचानने की क्षमता खो देती है और इसे शरीर उन्हें नष्ट करने में असमर्थ हो जाता है।

एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी के दौरान आपका खान: पान (Aapki Diet Endometriosis Bimari ke Dooran)

एंडोमेट्रियोसिस और आहार के बीच एक सीधा संबंध है ये बात अनुसंधान में भी सिद्ध हो चुकी है। शोध के मुताबिक जो महिलाएं फलों और सब्जियों को ज्यादा खाती हैं उन्हें ये बीमारी होने की संभावना अपेक्षाकृत कम होती है जबकि जो महिलाएं ऐसे आहार लेती हैं जिसमें रेड मीट की अधिकता हो उन्हें इसका खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

महिलाओं को अपने भोजन का में अधिक से अधिक ताजे फल और सब्जियों को शामिल करना होगा। सलाद और सब्जियां ज्यादा खानी होगी अपने फ्रिज में अगर पहले से ही दुलकर और काटकर फल रख लिए जाएं तो ये आपको फल खाने को ज्यादा प्रेरित कर सकता है। फ्रूट चाट एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

एक अन्य शोध में ओमेगा : 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे सैल्मन और अखरोट खाने की बात सामने आई है। अध्ययन से पता चला है कि जिन महिलाओं ने सबसे अधिक मात्रा में ओमेगा : 3 फैटी एसिड का सेवन किया, उनमें एंडोमेट्रियोसिस विकसित होने की संभावना उन महिलाओं की तुलना में 22% कम थी, जिन्होंने इसे कम से कम मात्रा में खाया था।
एंडोमेट्रियोसिस होने पर इन चीजों से करें परहेज (Endometriosis hone par en cheezo se kare parhez)

कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि गोमांस या गोवंश के मांस में वसा की उच्च मात्रा शरीर को प्रोस्टाग्लैंडीन नामक रसायनों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे अधिक एस्ट्रोजन का उत्पादन हो सकता है। यह अतिरिक्त एस्ट्रोजन अतिरिक्त एंडोमेट्रियल ऊतक के बढ़ने का कारण बनता है जिससे एंडोमेट्रियोसिस बीमारी होती और बढ़ती है।
जो महिलाएं सबसे अधिक ट्रांस वसा खाती हैं, उनमें तुलनात्मक रूप से, कम ट्रांस फैट खाने वालों से एंडोमेट्रियोसिस होने का खतरा 48 प्रतिशत अधिक होता है।
इसके अलावा, शराब और कैफीन से बचें।
सोडा पीने से एंडोमेट्रियोसिस विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
शराब भी एक उच्च जोखिम के रूप में सिद्ध हो चुका है।

एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या करे (Endometriosis Hone par kya kare)

अपनी तकलीफ पर बात करें: किसी भी महिला को अगर एंडोमेट्रियोसिस होने की आंशका हो तो वो अपने लक्षणों को लिखें और लक्षणों पर नज़र रखें जैसे कि दिन का कोई समय होता है जब लक्षण बदतर या बेहतर होते हैं; यदि विशिष्ट गतिविधियाँ दर्द को बदतर या कम करती हैं; या अगर दर्द आता है और चला जाता है। यह आपको डॉक्टर को अपनी समस्या को ठीक से बताने और समझाने में मदद करेगा और डॉक्टर को समस्या का निदान करने के लिए सुधारात्मक उपाय करने में मदद करेगा।आपको अपनी तकलीफ को साझा करना है। किसी भ्रम के बिना।
व्यायाम : नियमित व्यायाम एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है। एंडोमेट्रियोसिस के बेहतर प्रबंधन के लिए सुनिश्चित करें कि आप नियमित व्यायाम, ध्यान और योग करते या कोई खेल गतिविधि करते हैं।
आहार : सुनिश्चित करें कि आप ताजे फल और सब्जियां अच्छी तरह से धोकर खाएं ताकि आप किसी भी कीटनाशक या पर्यावरण विषाक्त पदार्थों का सेवन न करें।
पीने का पानी : खुद को हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पिएं।

एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या ना करे (Endometriosis hone par kya Na Kare)

सहना नहीं है: यदि सेक्स के दौरान या सामान्य पीरियड्स के दिनों में बहुत दर्द हो रहा है तो इसे सहना नहीं है। सेक्स के दौरान अगर दर्द हो रहा है तो उससे शर्माने की भी जरुरत नहीं है उसे अपने पार्टनर से साझा करें और डाक्टर के पास जाएँ।
अपनी डाक्टर खुद ना बनें: खुद से अपना इलाज या डायगनोसिस करने की जरुरत नहीं है। आपको अलग कोई लक्षण है तो खुद ही उसे कुछ मान कर बैठ जाना उचित नहीं है। एंडोमिट्रियोसिस के मामले में तो विशेष तौर पर यह घातक हो सकता है।
अज्ञानता : किसी भी प्रकार के पैल्विक दर्द या मल त्याग या परेशानी को नज़रअंदाज़ न करें
डिप्रेशन: समस्या के कारण होने वाली परेशानी के कारण कभी भी उदास न हों। परेशानी साझा करें, सुझाव लें और सहायता प्राप्त करें।

एंडोमेट्रियोसिस को घर पर ठीक कैसे करे (Home Remedy for Endometriosis Treatment in Hindi)

गर्म सेंकाई: गर्म सेंक किसी भी पीड़ित के लिए बहुत ही मददगार साबित हो सकती है। यह सबसे अच्छे घरेलू उपचारों में से एक है। गर्मी पैल्विक मांसपेशियों को आराम दे सकती है, जिससे ऐंठन और दर्द कम हो सकता है। ऐंठन का प्रभावी ढंग से इलाज करने के लिए आप गर्म स्नान, गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड का उपयोग कर सकते हैं।
कैस्टर ऑयल: एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के लिए कैस्टर आयल का उपयोग सैकड़ों वर्षों से किया जा रहा है। इसका उपयोग शुरुआत में ही किया जा सकता है, जब पहली बार ऐंठन महसूस होती है, जिससे शरीर को अतिरिक्त ऊतकों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। यह महत्वपूर्ण है कि इस तकनीक का उपयोग केवल मासिक धर्म प्रवाह से पहले किया जाता है, न कि इस दौरान। कैस्टर तेल से सीधे पेट में मालिश करनी चाहिए। आप पैल्विक मांसपेशियों को आराम देने में मदद करने के लिए इसे लैवेंडर जैसे आराम देने वाले आवश्यक तेल की कुछ बूंदों के साथ भी मिला सकते हैं, और इसे पेट पर लगाने के लिए गर्म सेक पर लगा सकते हैं।
हल्दी: हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों का अनुभव करने वाले लोगों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसका उपयोग लंबी अवधि में एंडोमेट्रियोसिस को प्रबंधित करने के लिए भी किया जा सकता है। कुछ शोधों ने यह भी पाया है कि इसमें एंडोमेट्रियल विकास को बाधित करने की क्षमता है। आप हल्दी कैप्सूल ले सकते हैं, या एक कप पानी को उबालकर और एक चम्मच हल्दी और अदरक पाउडर दोनों को मिलाकर हल्दी की चाय बना सकते हैं। आप शहद और नींबू भी मिला सकते हैं। लक्षणों के हिसाब से इसे रोजाना एक से तीन बार तक पिया जा सकता है।
पेल्विक मसाज: पैल्विक मांसपेशियों को मालिश करने से उन्हें आराम करने और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे ऐंठन कम हो जाती है। अच्छी क्वालिटी वाले लैवेंडर आवश्यक तेल की कुछ बूंदों का उपयोग करने से मांसपेशियों को और अधिक आराम मिल सकता है। एक बार में 10 से 15 मिनट तक प्रभावित जगह पर हल्के हाथों से मसाज करें। पैल्विक मालिश का उपयोग केवल मासिक धर्म चक्र से पहले किया जाना चाहिए।
अदरक की चाय: एंडोमेट्रियोसिस वाले कुछ लोग इस स्थिति के परिणामस्वरूप मतली का अनुभव करते हैं। अदरक की चाय मतली के इलाज के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचारों में से एक है, और वैज्ञानिक रूप से इसके सुरक्षित और प्रभावी होने के प्रमाण हैं।

एंडोमेट्रियोसिस के इलाज (Endometriosis Ke Ilaaj)

एंडोमेट्रियोसिस का कोई इलाज नहीं है। उपचार में आमतौर पर सर्जरी या दवा शामिल होती है।

दर्द की दवा: डॉक्टर दर्द निवारक दवा दे सकते हैं। नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेट्री ड्रग्स (एनएसएआईडी) देते हैं। कुछ महिलाओं को नेप्रोक्सन से पीरिड्स के दर्द में राहत मिलती है।

हार्मोन थेरैपी: हार्मोन थेरेपी आपके शरीर द्वारा निर्मित एस्ट्रोजन की मात्रा को कम करती है और आपके पीरियड्स को रोक सकती है। यह घावों से खून बहने को कम करने में मदद करता है ताकि ज्यादा सूजन, स्कार और पुटी का निर्माण न हो। इनमें जन्म नियंत्रण की गोलियाँ, पैच, और वजाइनल रिंग्स,जीएन: आरएच एगोनिस्ट और डानाज़ोल (डैनोक्राइन) आदि शामिल हैं।

सर्जरी: यदि आपको एंडोमेट्रियोसिस से गंभीर दर्द होता है, तो आपको सर्जरी से भी लाभ हो सकता है : हालांकि, एंडोमेट्रियोसिस और दर्द वापस आ सकता है।

कंजर्वेटिव सर्जरी: यदि एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिला गर्भवती होने की कोशिश कर रही हो तो गर्भाशय और ओवरी को संरक्षित करते हुए एंडोमेट्रियोसिस प्रत्यारोपण को हटाने के लिए (कंज़र्वेटिव सर्जरी) सर्जरी से आपकी सफलता की संभावना बढ़ सकती है। ओ

पारंपरिक सर्जरी : अधिक व्यापक मामलों में डॉक्टर पारंपरिक पेट की सर्जरी लिख सकते हैं। इसे सामान्य विधि और लैप्रोस्कोपिक दोनों तरह से किया जा सकता है। एंडोमेट्रियोसिस के गंभीर मामलों में भी, अधिकांश का इलाज लैप्रोस्कोपिक सर्जरी से किया जा सकता है।

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी: में, सर्जन नाभि के पास एक छोटे चीरे के माध्यम से एक पतला लैप्रोस्कोप उपकरण डालता है और एक अन्य छोटे चीरे के माध्यम से एंडोमेट्रियल ऊतक को हटाने के लिए उपकरण सम्मिलित करता है। सर्जरी के बाद, आपका डॉक्टर दर्द को कम करने के लिए हार्मोन थिरेपी लिख सकते हैं।

अंडाशय को हटाने के साथ हिस्टरेक्टॉमी: यूटेरस(हिस्टेरेक्टॉमी) और ओवरी (ओओफोरेक्टॉमी) को हटाने के लिए सर्जरी को एंडोमेट्रियोसिस के लिए प्रभावी उपचारों में एक माना जाता है। आपके अंडाशय को हटाने से तुरंत मीनोपॉज हो जाता है। अंडाशय द्वारा उत्पादित हार्मोन की कमी से कुछ के लिए एंडोमेट्रियोसिस दर्द में सुधार हो सकता है, लेकिन दूसरों के लिए, एंडोमेट्रियोसिस जो सर्जरी के बाद बनी रहती है, लक्षण पैदा करती रहती है। प्रारंभिक रजोनिवृत्ति में हृदय और रक्त वाहिका (हृदय) रोगों, कुछ चयापचय स्थितियों और प्रारंभिक मृत्यु का जोखिम भी होता है।

गर्भाशय को हटाने (हिस्टेरेक्टॉमी) का उपयोग कभी: कभी एंडोमेट्रियोसिस से जुड़े संकेतों और लक्षणों के इलाज के लिए किया जा सकता है, जैसे कि भारी मासिक धर्म रक्तस्राव और गर्भाशय में ऐंठन के कारण दर्दनाक मासिक धर्म, जो गर्भवती नहीं होना चाहते हैं। यहां तक ​​​​कि जब अंडाशय को जगह में छोड़ दिया जाता है, तब भी एक हिस्टेरेक्टॉमी का आपके स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है, खासकर यदि आपकी सर्जरी 35 वर्ष की आयु से पहले हो।
एंडोमेट्रियोसिस के इलाज की लागत (Endometriosis ke Ilaaj ka Kharcha)

एंडोमेट्रियोसिस के इलाज की लागत इस बात पर निर्भर करती है कि बीमारी कितनी पुरानी है। कितनी गंभीर है और किस प्रकार की एंटोमेट्रियोसिस से रोगी पीड़ित है। इसकी लागत 15 हजार से लेकर 80 हजार तक हो सकती है।
निष्कर्ष

एंडोमेट्रियोसिस एक सामान्य, एस्ट्रोजन पर निर्भर, पुरानी स्त्रीरोग संबंधी विकार है। यह यूट्रीन कैविटी के बाहर यूट्रीन एंडोमेट्रियल टिश्यू की उपस्थिति के कारण होने वाली स्थिति है। एंडोमेट्रियोसिस सतही और / या गहरी पेल्विक पेरिटोनियल इम्प्लांट, आसंजन, और डिम्बग्रंथि के सिस्ट (एंडोमेट्रियोमास) के रूप में उपस्थित हो सकता है। एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों में पैल्विक दर्द और बांझपन शामिल हैं। एंडोमेट्रियोसिस के लिए अतिसंवेदनशील महिलाओं में विकसित होने वाले संबंधित विकारों की निगरानी के लिए मल्टी डिसिप्लिनरी देखभाल और लॉन्ग टर्म फॉलो: अप की आवश्यकता होती है।

इसकी गंभीरता इसका इलाज निर्भर करता है। कुछ मामलों में दवा, हार्मोन थेरैपी से काम चल जाता है पर इससे निजात की सबसे अच्छी संभावना सर्जरी से ही होती है।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
--------------------------- ---------------------------
+22

Author -> Poster Name

Short info