एक औरत कितना दूध दे सकती है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:26

हर शिशु अलग होता है और यह बता पाना मुश्किल है कि वास्तव में आपके शिशु को जन्म के बाद शुरुआती कुछ दिनों में कितने दूध की जरुरत होगी। साथ ही, हमारी तरह शिशुओं की भूख भी अलग-अलग होती है।

अधिकांश स्वास्थ्य संगठन और चिकित्सकीय विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जैसे ही शिशु भूखा होने के संकेत दे, उसे दूध पिलाएं। इसे शिशु की इच्छानुसार दूध पिलाना यानि बेबी लेड फीडिंग या डिमांड फीडिंग कहा जाता है।

शिशु को उसकी इच्छानुसार जितना चाहे और जितनी देर तक चाहे स्तनपान करने देने से आपकी दूध की आपूर्ति शिशु की जरुरत के हिसाब से नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे स्तनपान की दिनचर्या स्थापित करने में आसानी होती है।

यदि आपके शिशु के भूख लगने के संकेत काफी हल्के हैं या इनका पता नहीं चलता तो ऐसे में शिशुओं को कम से कम हर तीन घंटे, कभी-कभी दो घंटे में स्तनपान करवाने की सलाह दी जाती है। फिर चाहे आपको शिशु सो रहा हो या फिर दिन में झपकी ले रहा हो। इसे तय समय पर दूध पिलाना यानि फीडिंग आॅन शेड्यूल कहा जाता है। यह समय से पहले जन्म शिशु, कम जन्म वजन शिशु और बीमार शिशुओं के मामले में करने की सलाह दी जाती है।

नवजात शिशु, जो नियमित तौर पर तीन या चार घंटों से अधिक सोता है, तो उस पर नजदीकी निगरानी रखने की जरुरत होती है, ताकि सुनिश्चित हो सके कि उसका उचित वजन बढ़ रहा है।

आप यह पाएंगी कि समय बीतने के साथ-साथ आपका शिशु कम समय के लिए मगर अधिक मात्रा में दूध पी रहा है। जरुरी नहीं है कि इसका मतलब स्तनपान का समय बढ़ना हो। शिशु जब सही ढंग से स्तनपान करना सीख लेता है, तो वह चूसने पर अधिक दूध निकालने में सक्षम हो जाता है।

आप देखेंगी कि शिशु के स्तनपान कर लेने के बाद वह स्तन हल्का और अधिक खाली महसूस होता है। कुछ माएं यह भी पाती हैं कि एक स्तन से दूध पिलाते समय दूसरे स्तन से दूध रिसने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिस स्तन से शिशु दूध पी रहा होता है, उसमें दूध निकलने लगता है जिसे दूध का लेटडाउन कहा जाता है।

नीचे दी गई सारणी के औसत आंकड़ों के आधार पर आप एक अंदाजा लगा सकती हैं कि आपके शिशु को कितना दूध चाहिए होगा:

आपके शिशु की उम्र हर फीड में दूध की मात्रा
पहला दिन (0 से 24 घंटे) 7 एमएल (एक छोटी चाय की चम्मच से थोड़ा ज्यादा)
दूसरा दिन (24 से 48 घंटे) 14 एमएल (करीब तीन छोटी चाय की चम्मच)
तीसरा दिन (48 से 72 घंटे) 38 एमएल
चौथा दिन (72 से 96 घंटे) 58 एमएल
सातवां दिन (144 से 168 घंटे) 65 एमएल

स्तनपान करने वाले शिशुओं को हर बार अधिक मात्रा में दूध की जरुरत नहीं होती। फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशु स्तनपान करने वाले शिशुओं की तुलना में अधिक दूध पी सकते हैं। बहरहाल, फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशु अपने दूध के सेवन को स्तनपान करने वाले शिशुओं की तरह नियंत्रित नहीं कर पाते। इसलिए यदि वे अपने छोटे से पेट के अनुसार यदि ज्यादा दूध पी लें, तो अक्सर थोड़ा दूध उल्टी करके निकाल भी देते हैं।

यदि आप स्तनपान करवा रही हैं, तो यह बता पाना नामुमकिन है कि आपके शिशु को वास्तव में कितना दूध मिल रहा है। आपका शिशु सही ढंग से दूध पी रहा है, इसके संकेत हैं:

आपके स्तन स्तनपान करवाने के बाद नरम महसूस होते हैं
आप शिशु के दूध गटकने की आवाज सुन सकती हैं
वह पेट भर जाने पर अपने आप स्तन छोड़ देता है
स्तनपान के बाद वह संतुष्ट दिखाई देता है
उसका मल गहरे और चिपचिपे मिकोनियम की जगह पीले से रंग का और मुलायम हो गया है
वह हर कुछ घंटो में अपनी लंगोट गीली कर रहा है


यदि आप असमंजस में हो कि आपके शिशु के लिए क्या सही है, तो अपने डॉक्टर से बात करें।

नवजात शिशु का जन्म के बाद वजन घटना सामान्य है। पांच से सात दिन के बाद शायद उसका वजन बढ़ने लगेगा। हालांकि, कुछ शिशुओं को इसमें और अधिक समय लग जाता है। 14 दिन का होने तक अधिकांश शिशु अपने जन्म वजन या इससे अधिक वजन तक पहुंच जाते हैं।

शिशु के शुरुआती स्तनपान 40 मिनट या इससे भी लंबे समय के लिए हो सकात है। जब आपका दूध आना शुरु हो जाता है, तो आपका शिशु हर स्तन से पांच से 30 मिनट तक दूध पीता है।

शिशु को दूसरे स्तन से दूध पिलाना शुरु करने से पहले एक स्तन से दूध समाप्त करने दें। और एक से दूसरे स्तन पर जाने से पहले उसे डकार दिलवाना न भूलें।

यदि आपका शिशु लंबे समय तक स्तनपान न करे, तो भी चिंता न करें। कुछ शिशु अपने लिए जरुरी सारा दूध कुछ ही मिनटों में पी लेते हैं, वहीं कुछ को इसमे समय लगता है। आपका हर स्तन अलग मात्रा में दूध का उत्पादन करता है। इसलिए उदाहरण के तौर पर हो सकता है कि आपका शिशु दाएं स्तन से अधिक जल्दी दूध पी ले, और बाएं में उसे समय लगे। ऐसा होना एकदम सामान्य है।

जब तक आपका शिशु स्तन को सही ढंग से मुंह में ले रहा है यानि सही लैचिंग हो रही है और अपनी मर्जी से जितनी देर तक चाहे स्तनपान कर रहा है, तो उसे बाद में आने वाला वसायुक्त गाढ़ा दूध मिल रहा होगा।

शिशु का वजन जल्दी बढ़ाने या तेज विकास के लिए अधिक दूध पिलाने के लिए जबरदस्ती प्रयास न करें। शिशु को पता होता है कि उसका पेट भर गया है और शिशु की इच्छा के बिना बार-बार दूध पिलाने से स्तनपान व बाद में खानपान की अनुचित आदतें पड़ सकती हैं।

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