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गर्भाशय फाइब्रॉएड (गाँठ) – शल्यचिकित्सा को ना कहें
“गर्भाशय फाइब्रॉएड में कृत्रिम या प्राकृतिक रूप से थक्के बनवाना (गर्भाशय फाइब्रॉएड एम्बलाईजेशन)– “गर्भाशय में फाइब्रॉएड वाली महिलाओं के लिए एक वरदान, “
फाइब्रॉएड से ग्रसित एक महिला के लिए हिस्टेरेक्टॉमी द्वारा गर्भाशय को निकालने से ज्यादा और कुछ भी उतना दर्दनाक नहीं हों सकता है, जो की स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा सुझाया गया सामान्य उपचार है। हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय को हटाना) या मायोमेक्टॉमी (फाइब्रॉएड को हटाना), संबद्ध अस्पताल में रहना, दर्द और धीमी गति से स्वस्थ होना एक दर्दनाक अनुभव है। गर्भाशय फाइब्रॉएड एम्बलाईजेशन (यूएफइ) या गर्भाशय धमनी एम्बलाईजेशन (यूएइ) एक अनोखा, न्यूनतम व्यापक (इनवेसिव) प्रक्रिया जो गर्भाशय को बचा कर और फाइब्रॉएड की शल्यचिकित्सा किए बिना फाइब्रॉएड को सिकोड़कर छोटा बना देती है। यह उपचार एक ही दिन के भीतर की जाने वाली प्रक्रिया है और रोगी को उसी दिन छुट्टी मिल जाती है।
गर्भाशय फाइब्रॉएड गर्भाशय या गर्भ में गैर-कैंसरजन्य वृद्धि/ट्यूमर है जो महिलाओं में रोग का एक सामान्य कारण है। 30 से 50 वर्ष की आयु की लगभग 1 से 3 महिलाएं फाइब्रॉएड से पीड़ित होती हैं। फाइब्रॉएड कोई भी लक्षण ना दिखानेवाला भी हो सकता है या निम्न लक्षणों में से एक हो सकता है।
भारी, लंबे समय तक माहवारी
अनियमित माहवारी
खून की कमी के परिणामस्वरूप जल्द ही थकावट
माहवारी के दौरान अत्यधिक दर्द होना
संभोग के दौरान दर्द
बार-बार पेशाब करने की जरूरत महसूस होना
कब्ज या सूजन
गर्भ धारण करने में असमर्थता (बांझपन)
बढ़ा हुआ पेट, पेडू में भारीपन, पीठ में दर्द आदि.
गर्भाशय गाँठ/धमनी एम्बलाईजेशन:
गैर शल्यक उपचार इनके लिए
गर्भाशय फाइब्रॉएड
विफल मायोमेक्टॉमी (फाइब्रॉएड को हटाना)
मायोमेक्टोमी के बाद फाइब्रॉएड की पुनरावृत्ति
गर्भाशय का एडेनोमायोसिस
लाभ:
शल्यचिकित्सा नहीं, शल्यक चीरा या निशान नहीं
स्थानीय एनेस्थीसिया द्वारा किया जाता है, सामान्य एनेस्थीसिया की कोई जरूरत नहीं
एक ही दिन के भीतर देखभाल की प्रक्रिया – उसी दिन या अगले दिन छुट्टी दे दी जाती है
तेजी से ठीक होना – 2-6 दिनों के भीतर (हिस्टेरेक्टॉमी के साथ 1-2 महीने और मायोमेक्टोमी के साथ 3- 4 हफ्ते)
प्रक्रिया के बाद बच्चे पैदा करने की क्षमता रहती है
गर्भाशय को बनाए रखता है – स्त्रीत्व की पहचान
आसपास के अंगों पर चोट का कोई खतरा नहीं होता है जो शल्यचिकित्सा के दौरान हो सकता है
चिपचिपे गठन या खून के कम होने का कोई जोखिम नहीं होता जो शल्यचिकित्सा से हो सकती है
एक बार में सभी तरह के फाइब्रॉएड का इलाज किया जा सकता है (मायोमेक्टोमी से संभव नहीं हो सकता है)
गर्भाशय फाइब्रॉएड एम्बलाईजेशन (यूएफइ) फाइब्रॉएड के उपचार में हालिया प्रगति में से एक है जो इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट द्वारा एक छोटे सुई के छेद के माध्यम से किया जाता है। एक लचीला प्लास्टिक नली जिसे कैथेटर कहा जाता है, को फाइब्रॉइड को आपूर्ति करने वाले रक्त वाहिकाओं में डाला जाता है। एक बार जब कैथेटर उचित स्थिति में होता है, तो छोटे कणों को प्रविष्ट कराया जाता है जो रक्त वाहिकाओं को अवरुद्ध करते हैं और फाइब्रॉएड को पोषक तत्वों से वंचित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप फाइब्रॉएड सिकुड़ जाता है। भले ही फाइब्रॉएड कुछ महीनों में धीरे-धीरे सिकुड़ते हैं लेकिन मरीजों के लक्षणों में कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों में सुधार देखा जा सकता है।
यूएफई एक प्रक्रिया है जो स्थानीय एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है और आमतौर पर इसमें लगभग 60 मिनट लगते हैं। जैसा कि यह एक छोटी सुई के छेद के माध्यम से किया जाता है, कोई टांके या निशान नहीं होते हैं। रोगी को उसी दिन छुट्टी दे दी जाती है और 2-5 दिनों के भीतर प्रक्रिया पूर्व की दिनचर्या वापस मिल सकती है। यह हिस्टेरेक्टॉमी के विपरीत है जिसमें लगभग 7 दिनों तक अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है और शल्यचिकित्सा पूर्व अवस्था में आने में लगभग 1-2 महीने लग जाते हैं। मायोमेक्टॉमी (गर्भाशय को बचाते हुए फाइब्रॉएड को हटाने) में भी लगभग 4-7 दिनों के अस्पताल में भर्ती होने और 3-4 हफ्ते शल्यचिकित्सा पूर्व अवस्था में आने के लिए आवश्यकता है। इस प्रकार यूएफई कामकाजी महिलाओं के लिए एक वरदान है जिन्हें जल्द से जल्द अपनी दिनचर्या में वापस आने की आवश्यकता होती है।
शल्यचिकित्सा के दौरान आसपास के अंगों जैसे आंतों, मूत्राशय, मूत्रवाहिनी, आदि पर चोट लगने की संभावना रहती है। कम उम्र में हिस्टेरेक्टॉमी के कारण पेडू पेल्विक की पुष्टता कमजोर हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप बाद में पेशाब में असंयमिता हो सकती हैं। यूएफइ द्वारा इससे पूरी तरह से बचा जा सकता है। चूंकि यह प्रक्रिया स्थानीय एनेस्थीसिया द्वारा की जाती है, इसलिए सामान्य एनेस्थीसिया से जुड़ा कोई जोखिम नहीं हैं। वैसे मरीज जो हृदय, फेफड़ों आदि की अन्य बिमारियों के कारण सामान्य एनेस्थीसिया (और इस तरह शल्यचिकित्सा) के लिए उपयुक्त नहीं होते उनके लिए यूएफइ सुरक्षित है।
महिलाएं न केवल हिस्टेरेक्टॉमी में अपने गर्भाशय को खो देती हैं बल्कि वे बच्चे होने की संभावना को भी खो देती हैं। युवा, अविवाहित या निःसंतान महिलाओं जिन्हें फाइब्रॉएड होता है, उनके लिए हिस्टेरेक्टॉमी एक मानसिक आघात की तरह होता है जो ताउम्र उनके साथ रहता है हैं। इससे जुड़ी पीड़ा गहरी और स्थायी होती है। दूसरी ओर गर्भाशय फाइब्रॉएड एम्बोलाइज़ेशन बच्चे को वहन करने की क्षमता को बनाए रखता है और एक महिला को गर्भाशय को भी सलामत रखता है जो उसकी स्त्रीत्व की पहचान हैं।
यूएफई के अन्य फायदे हैं कि इसमें रक्त की कोई हानि नहीं होती है क्योंकि प्रक्रिया के दौरान रक्त वाहिकाओं को बंद कर दिया जाता है। इस प्रकार शल्यचिकित्सा के दौरान रक्त की कमी और खून चढाने की आवश्यकता नहीं होती है।
कई तुलनात्मक अध्ययनों और परीक्षणों से पता चला है कि यूएफई ऊपर बताए फायदों के साथ शल्यचिकित्सा जितना ही प्रभावी हैं।
एक अन्य चिकित्सा स्थिति को एडिनोमायोसिस के रूप में जाना जाता है जो रक्तस्राव के समान लक्षणों का कारण बनता है, उसका भी गर्भाशय धमनी एम्बलाईजेशन द्वारा इलाज किया जा सकता है, हालांकि इसका सफलता दर कम है।
महिलाएं आमतौर पर सलाह के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञों से आगे नहीं जाती है जो अक्सर हिस्टेरेक्टॉमी या मायोमेक्टोमी की सलाह देती हैं। गर्भाशय फाइब्रॉएड एम्बलाईजेशन एक न्यूनतम व्यापक उपचार है जो तेजी से ठीक होने, कम दर्दनाक और गर्भाशय को धारण करने के लाभों के साथ प्रभावी है।
यदि आपको ऊपर बताए गए लक्षणों के साथ गर्भाशय फाइब्रॉएड एम्बलाईजेशन/एडिनोमायोसिस है तो आप इंटरवेंशनल रेडियोलॉजीस्ट से मिलें और यूएफइ/यूएइ के बारे में जानकारी लें।
डॉ विकास सी एस, नारायणा हेल्थ सिटी, बोमासंद्रा में इंटरवेंशनल के निदेशक और प्रमुख हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली से स्नातक किया है जिनके पास कनाडा का फेलोशिप है और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी और गर्भाशय फाइब्रॉएड/धमनी एम्बलाईजेशन के क्षेत्र में व्यापक अनुभव है।
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