औरत का अल्ट्रासाउंड कैसे होता है?pregnancytips.in

Posted on Thu 13th Oct 2022 : 15:26

अल्ट्रासाउंड स्कैन क्या होता है?
अल्ट्रासाउंड स्कैन में ध्वनि तरंगों को गर्भाशय तक भेजा जाता है। आप इन उच्च आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) वाली ध्वनि तरंगों को सुन नहीं सकतीं, मगर ये शिशु को छू कर प्रतिध्वनि के तौर पर वापिस आती हैं।

कम्प्यूटर इन तरंगों को विडियो तस्वीरों के रूप में परिवर्तित कर देता है, जिनसे शिशु के आकार, स्थिति और हलचल का पता चलता है।

तस्वीर में हड्डी जैसे ठोस उत्तक ध्वनि तरंगों को सबसे ज्यादा परवर्तित करते हैं इसलिए इनसे सबसे ज्यादा प्रतिध्वनि उत्पन्न होती है। ये तस्वीर में सफेद दिखाई देते हैं और सौम्य उत्तक स्लेटी (ग्रे) दिखाई देते हैं। तरल पदार्थ, जैसे कि शिशु के चारों तरफ मौजूद एमनियोटिक द्रव, काला प्रतीत होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि तरल ध्वनि तरंगों के प्रति कोई प्रतिध्वनि नहीं करता।

स्कैन करने वाले अल्ट्रासाउंड डॉक्टर इन विभिन्न रंगत वाली छवियों को देखकर ही तस्वीर की व्याख्या करेंगे।

आपका पहला स्कैन काफी अविस्मरणीय अनुभव हो सकता है, क्योंकि इसमें आपको पहली बार अपने शिशु की झलक देखने को मिलती है।

3डी और 4डी रंगीन अल्ट्रासाउंड भी काफी लोकप्रिय हो रहे हैं क्योंकि इनसे शिशु की काफी जीवंत तस्वीरें प्राप्त होती हैं।

रिपोर्ट के अलवा अल्ट्रासाउंड डॉक्टर शिशु की तस्वीरें भी आपको दे सकते हैं, ताकि आप इन्हें यादगार के तौर पर रख सकें। यदि आप भी ये तस्वीरें चाहती हैं, तो अपनी डॉक्टर से बात करें।

हालांकि, शिशु की पहली तस्वीर को अपने पास रखना और दूसरों से साझा करना बहुत अच्छा है। मगर, इस अल्ट्रासाउंड का उद्देश्य आपके शिशु की पहली तस्वीरें प्रदान करना नहीं है। स्कैन का मुख्य मकसद यह जानना होता है कि आपके गर्भ में कितने शिशु पल रहे हैं और क्या वे सामान्य तौर पर विकसित हो रहे हैं या नहीं।

पहली तिमाही के स्कैन में शिशु के दिल की धड़कन की जांच की जाएगी और शिशु के सिर, पेट की दीवार और अंगों की मूल रचना को देखा जाएगा।

ध्यान रखें कि भारत में गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड के जरिये शिशु के लिंग के बारे में बताना गैरकानूनी और दंडनीय अपराध है। इसलिए स्कैन से आपको यह पता नहीं चल सकेगा कि आपके गर्भ में बेटा है या बेटी। शिशु का लिंग चाहे कुछ भी हो, उसकी पहली तस्वीर देखकर ही आप उससे काफी जुड़ाव महसूस करेंगी!
क्या गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड करवाना सुरक्षित है?
गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड स्कैन का इस्तेमाल कई दशकों से किया जा रहा है और इन्हें सही ढंग से किए जाने पर अभी तक इनके कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं। अल्ट्रासाउंड में रेडिएशन का प्रयोग नहीं होता, जैसा कि एक्स-रे में होता है।

अल्ट्रासाउंड स्कैन से निम्नांकित स्वास्थ्य स्थितियों का कोई संबंध नहीं हैः

शिशु का कम जन्म वजन
जन्मजात ​कैंसर
डिस्लेक्सिया
दृष्टि संबंधी विकार
सुनने में दिक्कत
शिशु का ​मा​नसिक विकास
शिशु में संरचनात्मक विकार


आप चिंता न करें। गर्भावस्था में स्कैन करने को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश हैं और आपके अल्ट्रासाउंड डॉक्टर इनका पालन करेंगे।

इसके बावजूद, स्कैन करने की सलाह तब ही ​दी जाती है जब कोई चिकित्सकीय कारण हो, जैसे कि गर्भस्थ शिशु के विकास के बारे में जानना। इसलिए गर्भावस्था में शायद आपके कुछ ही स्कैन होंगे।
अल्ट्रासाउंड किस लिए किए जाते हैं?
गर्भावस्था के चरण के आधार पर, अल्ट्रासाउंड से निम्न बातें पता चल सकती हैं:

शिशु के दिल की धड़कन।
आपके गर्भ में एक या जुड़वा या इससे ज्यादा शिशु पल रहे हैं।
अस्थानिक (एक्टोपिक) गर्भावस्था का, जिसमें भ्रूण गर्भ से बाहर, आमतौर पर फेलोपियन ट्यूब में विकसित होने लगता है।
मोलर गर्भावस्था का, जिसमें असामान्य अपरा होती है और आमतौर पर शिशु जीवनक्षम नहीं होता।
आपको हो रहे रक्तस्त्राव के कारण पता लगाना
शिशु को माप कर आपकी गर्भावस्था की सही तिथि बताना
शिशु की गर्दन के पीछे तरल को मापकर (न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन) डाउंस सिंड्रोम के खतरे को मापना
ब्लड स्क्रीनिंग टेस्ट में आई अनियमितताओं का कारण पता लगाना
शिशु और अपरा की स्थिति को दर्शा कर डायग्नोस्टिक टेस्ट जैसे कि कॉरियोनिक विलस सैम्पलिंग (सीवीएस) या एमनियो​सेंटेसिस आदि सुरक्षित तरीके से करने में मदद करना
आपके शिशु की जांच करके पता लगाना कि उसके सभी अंग सामान्य रुप से विकसित हो रहे हैं या नहीं।
विशिष्ट जन्मजात असामान्यताओं जैसे कि स्पाइना बिफिडा आदि का पता लगाना
एमनियोटिक द्रव की मात्रा मापना और अपरा की स्थिति को जांचना।
यह देखना कि हर बार स्कैन में आपका शिशु कैसे बढ़ रहा है।
अपरा और शिशु के बीच रक्त के प्रवाह को जांचना
अपरा का काल प्रभावन या कैल्सीकरण (ऐजिंग या कैल्सिफिकेशन) को जांचना
ग्रीवा के मुख और लंबाई को जांचना
पहले हुए सीजेरियन ऑपरेशन के चीरे की जगह की जांच करना
गर्भनाल को जांचना

अल्ट्रासाउंड स्कैन कौन करता है?
गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 (पीसीपीएनडीटी एक्ट) भारत में जिले की उपयुक्त प्राधिकरण के साथ पंजीकृत प्रशिक्षित अल्ट्रासाउंड डॉक्टर को ही अल्ट्रासाउंड करने की अनुमति देता है। डॉक्टर पीसीपीएनडीटी कानून के तहत रजिस्टर्ड क्लिनिक में ही स्कैन कर सकते हैं।

अल्ट्रसाउंड करवाने के लिए आपको अपने फोटो पहचान पत्र के साथ-साथ प्रशिक्षित डॉक्टर की पर्ची भी चाहिए होगी, जिसमें लिखा गया हो कि किस तरह का स्कैन करवाया जाना है।

जन्म से पहले शिशु के लिंग का पता लगाना भारत में गैरकानूनी व दंडनीय अपराध है। अल्ट्रासाउंड डॉक्टर ए​क निर्धारित फॉर्म पर आपकी लिखित स​हमति लेकर आपसे हस्ताक्षर करवाएंगी। इसमें आप यह सहमति देती हैं कि अल्ट्रासाउंड स्कैन आप शिशु का लिंग जानने के लिए नहीं करवा रही हैं।
अल्ट्रासाउंड कैसे किए जाते हैं?
आपके स्कैन या तो डायग्नोस्टिक सेंटर में होंगे या फिर मेटरनिटी हॉस्पिटल के अल्ट्रासाउंड विभाग में किए जाएंगे। अल्ट्रसाउंड स्कैन आमतौर एक कमरे में किए जाते हैं और कमरे में रोशनी बहुत कम रखी जाती है, ताकि डॉक्टर को स्क्रीन पर तस्वीरें बेहतर ढंग से दिख सकें।

आप कौन सा स्कैन करवा रही हैं, ​इसे देखते हुए आपको शायद अपनी सलवार या पैंट उतारनी पड़ सकती है या कपड़े बदलकर गाउन पहनना पड़ सकता है। आपको स्कैन के लिए परीक्षण टेबल पर लेटने के लिए कहा जाएगा।

अधिकांश मामलों में पति या साथ में आए परिवार के सदस्य या मित्र को स्कैन के दौरान कमरे में रहने की अनुमति दी जाती है। हालांकि, बेहतर ​है इस बारे में एप्वाइंटमेंट लेते समय आप पूछ लें।

एब्डोमिनल स्कैन
पहली तिमाही में, एब्डोमिनल स्कैन (पेट पर से स्कैन) आमतौर पर भरे हुए मूत्राशय के साथ किए जाते हैं। आपको अपने अप्वाइंटमेंट से पहले कई गिलास पानी पीना होगा, ताकि स्कैन के दौरान आपका ​मूत्राशय भरा हुआ हो। इससे आपको काफी असहजता हो सकती है, मगर मूत्राशय के भरे होने से गर्भाशय पेट में उपर की तरफ खिसकता है और आंतें भी उपर की ओर चढ़ती हुए रास्ते से हट जाती हैं।

पेट पर से स्कैन के लिए आपको पीठ के बल लेटना होता है। डॉक्टर आपके पेट पर ठंडा जैल लगाएंगी ताकि ध्वनि तरंगों का प्रवाह बेहतर हो सके। फिर वे ट्रांसड्यूसर को आपके पेट पर आगे-पीछे घुमाती हैं, ताकि ध्वनि तरंगे संचारित हो सकें।

ट्रांसवेजाइनल स्कैन
अगर, आपका शिशु अभी भी श्रोणि में काफी गहराई पर है या फिर आपका वजन सामान्य से ज्यादा है, तो तस्वीरें ज्यादा स्पष्ट दिखाई नहीं देंगी। इस स्थिति में, आपको योनि के जरिये स्कैन यानि ट्रांसवेजाइनल स्कैन (टीवीएस) करवाना होगा।

ट्रांसवेजाइनल स्कैन से शिशु की काफी स्पष्ट तस्वीरें मिलेंगी, खासकर य​दि आप गर्भावस्था के एकदम शुरुआती चरण में हैं। इस तरह के स्कैन में मूत्राशय भरा हुआ रखने की जरुरत नहीं होती।

टीवीएस स्कैन के लिए आपको कमर से नीचे के कपड़े उतारने होंगे और परीक्षण टेबल पर लेटना होगा। नर्स आपकी टांगों को चादर से ढक देंगी और आपको अपने घुटने मोड़ने होंगे और तलवे बिस्तर पर समतल रखे होने चाहिए। आपको अपनी टांगे थोड़ी खोलनी होंगी ताकि डॉक्टर प्रोब को अंदर डाल सकें और स्कैन करने के लिए उन्हें पर्याप्त जगह मिल सके। यह अवस्था लगभग वैसी ही होती है जैसे कि आंतरिक जांच करवाते समय रखनी होती है।

वेजाइनल ट्रांसड्यूयसर लंबा और संकरा होता है और आपकी योनि में आसानी से फिट हो जाता है। ट्रांसवेजाइनल स्कैन में डॉक्टर आपकी योनि के भीतर नए और कीटाणुमुक्त (स्टेराइल) आवरण (शीथ) से ढका हुआ संकरा सा प्रोब डालेंगी। यह आवरण कोंडोम जैसा दिखता है। वे काफी सारा जैल लगाकर इसे चिकना कर लेंगी, ताकि यह आसानी से अंदर प्रवेश कर जाए। प्रोब को बहुत ज्यादा अंदर तक डालने की जरुरत नहीं होती, इसलिए यह आपको और आपके शिशु को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचाता।

सामान्य अल्ट्रासाउंड में कुछ मिनटों से लेकर आधे घंटे तक का समय लगता है। हालांकि, कभी-कभार इससे भी ज्यादा समय लग सकता है।

अल्ट्रासाउंड की अवधि बहुत से कारणों पर निर्भर करती है, जैसे कि:

किस तरह का अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है
अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर का अनुभव
स्कैन के लिए इस्तेमाल किए जा रहे उपकरण
गर्भस्थ शिशु के आसपास तरल की मात्रा
शिशु की अवस्था और आपकी शारीरिक संरचना

ध्यान रखें कि अल्ट्रासाउंड डॉक्टर महिला या पुरुष कोई भी हो सकता है। यदि आपको पुरुष डॉक्टर से टीवीएस स्कैन करवाने में संकोच या असहजता महसूस हो, तो अपनी डॉक्टर से बात करें। वे आपकी सहजता के लिए महिला अल्ट्रासाउंड डॉक्टर के पास भेज सकती हैं।

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