कितने महीने तक आप बच्चे का लिंग बता सकते हैं?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

क्रोमॉसोम किट से लिंग निर्धारण कर रहे कोख के कातिल

अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर सख्ती बढ़ी तो कोख के हत्यारों ने लिंग निर्धारण का तरीका ही बदल दिया है। प्रेग्नेंसी की तरह क्रोमॉसोम किट से गर्भस्थ शिशु के लड़का और लड़की होने की जांच की जा रही है। यदि वह लड़की है तो नौ से 10 सप्ताह में गर्भपात किया जा रहा है।

ताजनगरी में राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली की गर्भवती महिलाओं में लिंग निर्धारण किए जाने का खुलासा हो चुका है। पुलिस द्वारा पकड़े गए गिरोह और स्वास्थ विभाग द्वारा की जा रही जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। इसमें सामने आया है कि लिंग निर्धारण के लिए अल्ट्रासाउंड की जगह क्रोमॉसोम किट का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह प्रेग्नेंसी किट की तरह है। नौ सप्ताह के गर्भवस्थ शिशु (प्लेसीन्टा हेमरेज) का ब्लड गर्भवती महिला में भी पहुंच जाता है। गर्भवती महिला के ब्लड की क्रोमॉसोम किट से जांच की जाती है यदि जांच में एक्स एक्स क्रोमॉसोम आता है तो गर्भस्थ शिशु लड़की होता है। वहीं, जांच में एक्स-वाई आता है तो शिशु लड़का होता है। इस तरह नौ से 10 सप्ताह की गर्भवती महिला में लिंग निर्धारण कर दिया जाता है। इस किट का इस्तेमाल विदेशों में किया जाता था। मगर पिछले कुछ सालों में आगरा सहित मेट्रो शहरों में किट का इस्तेमाल किया जा रहा है। 12 सप्ताह से पहले लिंग निर्धारण होने पर गर्भपात कराने में खतरा कम होता है।

10 से 15 हजार में ब्लड से लिंग निर्धारण

भारत में क्रोमॉसोम किट प्रतिबंधित हैं। ऐस मे गैर कानूनी तरीके से विदेशों से ये किट मंगाई जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, 10 से 15 हजार रुपये में कोख के हत्यारों द्वारा लिंग निर्धारण किया जा रहा है।

डॉक्टर, नेता से लेकर शिक्षित तक करा रहे हत्या

कन्या भू्रण हत्या कराने वालों में सबसे ज्यादा संख्या शिक्षित लोगों की है। इसमें डॉक्टरों से लेकर नेता, अधिकारी और बड़े कारोबारी शामिल हैं। इसमें अधिकांश वे हैं जिनका पहला बच्चा बेटी है और वे दो बच्चे ही चाहते हैं। जबकि ग्रामीण और आर्थिक रुप से कमजोर परिवारों में बेटे की चाहत में बच्चे ज्यादा हो रहे हैं। इन लोगों द्वारा कन्या भू्रण हत्या कराए जाने की आशंका कम है।

ये है नियम

- 12 सप्ताह तक -एक ही डॉक्टर ले सकता है गर्भपात कराने का फैसला

- 20 सप्ताह तक - दो डॉक्टर द्वारा ही लिया जा सकता है गर्भपात का फैसला

- 20 सप्ताह के बाद नहीं करा सकते हैं गर्भपात

इन परिस्थिति में करा सकते हैं गर्भपात

- गर्भवती महिला की जान को खतरा हो।

- गर्भस्थ शिशु और गर्भवती महिला दोनों की जान को खतरा हो।

- अनुवांशिक बीमारी हो।

- गर्भनिरोधक विकल्पों का फेल होना।

लिंग निर्धारण के लिए अत्याधुनिक तरीके भी अपनाए जा रहे हैं। गोपनीय जांच करने के बाद बड़ी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।

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