कितने साल तक बच्चे को मालिश करनी चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Fri 21st Oct 2022 : 13:43

शिशु की कितनी बार मालिश करनी चाहिए?
बहुत सी मांएं शिशु की रोजाना मालिश करना पसंद करती हैं। कुछ नहलाने से ठीक पहले मालिश करती हैं, वहीं कुछ अन्य शिशु को नहलाने के बाद उसकी मालिश करना पसंद करती हैं। कुछ परिवारों में शिशु के पहले तीन महीनों में दिन में दो बार मालिश की जाती है। मगर, शिशु की मालिश कितनी बार की जानी चाहिए, इसकी कोई आदर्श संख्या नहीं है।

मालिश कितनी बार की जाए, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपके पास कितना समय है और शिशु मालिश का कितना आनंद ले रहा है। अगर आप दफ्तर जाती हैं, तो आपके लिए शिशु की रोजाना मालिश करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

अगर, आप शिशु की मालिश कभी-कभार ही कर पाती हैं, तो भी उसे मालिश के फायदे मिलेंगे।
शिशु की मालिश कितनी देर तक करनी चाहिए?
आपके शिशु के बड़े होने के साथ-साथ मालिश के समय में भी बदलाव आता जाएगा। कुछ शिशुओं को शुरुआत से ही मालिश करवाना पसंद आता है, ऐसे में आप शिशु के पूरे शरीर की मालिश अच्छी तरह कर सकती हैं। इसमें करीब 20 मिनट से आधे घंटे का समय लग सकता है।

अगर, आपके शिशु को शुरुआत में मालिश करवाना पसंद नहीं आता, तो आप थोड़ी देर ही उसकी मालिश करें। एक बार जब शिशु घुटनों के बल या फिर खड़े होकर चलने लगता है, तो हो सकता है वह इतने लंबे समय तक लेटना न चाहे। ऐसे में पांच से 10 मिनट की मालिश काफी होगी।

मालिश के दौरान शिशु के संकेतों को पहचानना भी मालिश का एक जरुरी पहलू है। आपका शिशु संकेतों के जरिये बता देगा कि मालिश कब बंद करती है और आपका किस तरह हाथ फेरना उसे अच्छा लग रहा है और किस तरह नहीं। यदि शिशु मालिश के दौरान रोने लग जाए, तो वह आपको बता रहा है कि अब वह और मालिश करवाना नहीं चाहता।

अगर आप मालिश के बाद शिशु को नहलाना चाहती हैं, तो उस समय की भी गिनती करें। आप नहीं चाहेंगी कि आपका शिशु नहाने से पहले ही बहुत भूखा हो जाए या थक जाए, वरना उसको नहलाना मुश्किल हो सकता है।
शिशु की मालिश करने के लिए सबसे बेहतर समय क्या है?
पारंपरिक तौर पर शिशुओं की मालिश उन्हें नहलाने से ठीक पहले की जाती है, और यह आमतौर पर सुबह के समय ही होता है। हालांकि, आप शिशु की मालिश दिन में किसी भी समय कर सकती हैं, जब वह भूखा या थका हुआ न हो। इस तरह वह मालिश का ज्यादा आनंद ले सकेगा।

आप उसकी मालिश और नहाने के समय के अनुसार उसके स्तनपान, सोने और जगने की दैनिक दिनचर्या निर्धारित कर सकती हैं। महत्वपूर्ण यह है कि प्रतिदिन वही चीजें, उसी क्रम में और दिन के उसी समय की जाएं, जैसे वे रोजाना की जाती हैं।

शिशुओं को पूर्वानुमानित चीजें पसंद आती हैं, इसलिए प्रतिदिन समान चीजें, समान क्रम में करें। इससे शिशु अधिक सुरक्षित व खुशी महसूस करते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आप पहले मालिश करती हैं, इसके बाद शिशु को नहलाती है, फिर स्तनपान करवाकर अंत में उसे सुला देती हैं, तो आपका शिशु भी इस दिनचर्या को समझ जाएगा और रोजना उन्हीं चीजों की उम्मीद करेगा।

हालांकि, नवजात शिशु के साथ इतनी लंबी प्रक्रिया अपनाना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि उन्हें जल्दी ही दोबारा भूख लग सकती है, या थकान महसूस हो सकती है। शुरुआत में नवजात शिशु की मालिश और नहाने का समय कम रखें। शिशु जब बड़ा होने लगता है और ज्यादा समय जगा रहने लगे, तब आप इस प्रक्रिया का पालन करने के लिए पूरा समय ले सकती हैं।

क्योंकि मालिश शिशु को आराम देती है, इसलिए आप मालिश को रात को सोने के समय की दिनचर्या का हिस्सा भी बना सकती हैं। सोने से पहले शिशु की मालिश दिन भर की उत्तेजना के बाद उसे तनावमुक्त और शांत करने और सोने के लिए तैयार करने में मदद करती है।

अगर, आपका शिशु रात में काफी ज्यादा रोता है, तो शाम को मालिश करने से इसमें कमी आ सकती है। मगर, आमतौर पर शिशु जब रोना शुरु करने वाला हो, उससे पहले ही उसकी मालिश शुरु कर दें।

धीरे-धीरे जब आप शिशु के सोने, जगने और रोने के समय को बेहतर समझने लगेंगी, तो आप उसकी मालिश और नहलाने के लिए उचित समय भी ढूढ़ पाएंगी। इस मामले में शिशु के संकेतों के अनुसार चलें।

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