कैसे पता चलेगा कि बच्‍चा होने वाला है?pregnancytips.in

Posted on Sat 31st Oct 2020 : 03:44

प्रेग्‍नेंसी के आखिरी महीने में ये संकेत मिल रहे हैं तो होगी नॉर्मल डिलीवरी

प्रेग्‍नेंसी में अक्‍सर महिलाओं के मन में ये सवाल रहता है कि उनकी नॉर्मल डिलीवरी होगी या फिर उन्‍हें ऑपरेशन करवाना पड़ेगा। प्रेग्‍नेंसी के आखिरी कुछ हफ्तों और दिनों में कुछ संकेत मिलते हैं जिनका संबंध नॉर्मल डिलीवरी से होता है।
normal delivery signs
आजकल महिलाओं को लगता है कि सिजेरियन ऑपरेशन से डिलीवरी करवाना ज्‍यादा आसान है क्‍योंकि इसमें नॉर्मल डिलीवरी की तरह दर्द कम होता है लेकिन आपको बता दें कि नॉर्मल डिलीवरी शरीर के लिए ज्‍यादा सही होती है और इसके बाद रिकवर करने में भी कम समय लगता है।

पहली बार मां बनने पर अक्‍सर महिलाएं इस असमंजस में रहती हैं कि नॉर्मल डिलीवरी या सिजेरियन ऑपरेशन में से उनके लिए क्‍या बेहतर रहेगा? और वो किस तरह से जान सकती हैं कि उनकी डिलीवरी कैसे होगी। अगर आप प्रेगनेंट हैं और जानना चाहती हैं कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी होगी या सिजेरियन, तो प्रेग्‍नेंसी में मिलने वाले कुछ संकेतों से आप इस सवाल का जवाब पा सकती हैं।

क्‍या होती है नॉर्मल डिलीवरी?
इसमें वजाइना से शिशु को जन्‍म दिया जाता है। इस तरह की डिलीवरी में कोई सर्जरी नहीं होती है। अधिकतर महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी ही होनी चाहिए क्‍योंकि इसके बाद रिकवर करने में कम समय लगता है। अगर कोई मेडिकल समस्‍या न हो तो नॉर्मल डिलीवरी ही करवाई जाती है।

चाइल्ड बर्थ के दौरान कुछ इस तरह बदल जाती है Vagina

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बदलती लाइफस्टाइल के बीच प्रेग्नेंसी और चाइल्ड बर्थ के दौरान मिलनेवाला ट्रीटमेंट भी बदला है। इस सबका असर सीधे तौर पर महिलाओं की सेहत पर पड़ा है। बीते दौर में जहां ज्यादातर केसेज में बच्चे का जन्म सामान्य रूप से योनी मार्ग से होता था, वहीं सर्जरी के इस युग में यह कुछ कम ही देखने को मिलता है। हालांकि प्रशासनिक सख्ती के चलते चीजें कुछ सुधरी जरूर हैं। आइए, जानते हैं, बच्चे के नैचरल बर्थ के समय वजाइना में कौन से बदलाव होते हैं...
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जब प्रसव प्रक्रिया सामान्य होती है तो वजाइना का साइज थोड़ा बड़ा हो जाता है। ताकि बच्चा जन्म के दौरान बाहर आ सके। इस बात को इस तरह भी समझा जा सकता है कि प्रसव के दौरान वजाइना थोड़ी फैल जाती है।
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सर्विक्स ह्यूमन फीमेल वजाइना का एक रिप्रोडक्टिव पार्ट होता है। चाइल्ड बर्थ के दौरान यह अपने नैचरल साइज से 10 गुना तक बड़ा हो जाता है। इसलिए प्रसव के दौरान गर्भवती महिला को थोड़ा पुश करने के लिए कहा जाता है। ताकि बच्चा आराम से बाहर आ सके।
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एस्ट्रोजन हॉर्मोन महिलाओं के शरीर में कई तरह से काम करता है। इसका एक काम वजाइनल लूब्रिकेंट्स की तरह वजाइना को सॉफ्ट और स्मूद रखना भी होता है। लेकिन चाइल्ड बर्थ के दौरान वजाइना में एस्ट्रोजन का लेवल काफी बढ़ जाता है। इससे वजाइनल वॉल्स में इस्लास्टिसिटी बढ़ने में मदद मिलती है।
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एस्ट्रोजन हॉर्मोन महिलाओं को चाइल्ड बर्थ के दौरान होनेवाले दर्द को सहने में मदद करता है। इसी मदद से वजाइना जरूरत के अनुसार फैल जाती है और बच्चा सहजता से बाहर आ पाता है। लेकिन पेल्विक मसल्स पर भी यह बात बहुत अधिक निर्भर करती है कि वजाइना का साइज कितना फैलेगा और कितना नहीं।
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चाइल्ड बर्थ के दौरान सबसे पहले बच्चे का सिर बाहर आता है। इस प्रॉसेस के समय बच्चे का सिर ब्रर्थ कैनल में जाकर वजाइना वॉल को पुश करता है, इससे पेरिनियम फट जाता है और बच्चा बाहर की तरफ आता है। अगर किसी भी वजह से पेरिनियम ना फटे तो डॉक्टर्स उसमें कट लगाते हैं ताकि बच्चे को बाहर आने में आसानी हो सके। इस दौरान डॉक्टर कुछ इंजेक्शन और एनेस्थिसिया का भी यूज कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को एपीसीओटॉमी कहा जाता है।
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चाइल्ड बर्थ के दौरान वजाइना में जो बदलाव होते हैं, उनके बाद वजाइना को फिर से अपनी नॉर्मल कंडीशन में आने में वक्त लगता है। बच्चे के जन्म के बाद वजाइना अपनी नैचरल शेप में आने लगता है लेकिन कुछ समय तक स्वेलिंग या बर्निंग की समस्या हो सकती है। यह समय के साथ ठीक हो जाती है। बाकि डॉक्टर्स अपने तरीके से इन समस्याओं का समाधान बताते हैं। लेकिन वजाइना को पूरी तरह से अपने पुराने स्वरूप में लौटने में करीब डेढ़ महीने का वक्त लगता है।
hygiene
बच्चे के जन्म के बाद आपको बच्चे की सेहत और सफाई के साथ ही अपनी सेहत और सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। खासतौर पर वजाइनल एरिया की हाइजीन का ध्यान रखें। आप स्वयं स्वस्थ रहेंगी तभी बच्चे की पूरी और सही देखरेख कर पाएंगी।


नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण और संकेत
डिलीवरी की डेट से कुछ हफ्ते पहले आपको बदलाव नजर आ सकते हैं। हालांकि, हर महिला में प्रेग्‍नेंसी के लक्षण और समस्‍याएं भी अलग होती हैं इस‍लिए डिलीवरी के लक्षण एवं संकेत भी भिन्‍न हो सकते हैं।
प्रसव से एक से चार हफ्ते पहले डिलीवरी के ऐसे संकेत मिल सकते हैं :

शिशु के पेल्विक हिस्‍से में आ जाने की वजह से उसकी मूवमेंट में कमी आना।
रिलैक्सिन हार्मोन पेल्विक हिस्‍से के जोड़ों और लिगामेंट को रिलैक्‍स और मुलायम कर देता है जिससे जोड़ ढीले महसूस होने लगते हैं।
शिशु के सिर से मूत्राशय पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से बार-बार पेशाब आता है।
ब्रैक्‍सटन हिक्‍स कॉन्‍ट्रैक्‍शन, ये डिलीवरी से पहले प्रसव जैसा दर्द या संकुचन होता है।
पीठ के निचले हिस्‍से के जोड़ों और मांसपेशियों में खिंचाव के कारण ऐंठन और दर्द।
गर्भाशय ग्रीवा का चौड़ा हो जाना, चेकअप के दौरान डॉक्‍टर इस बात को नोटिस करते हैं।
डिलीवरी के लिए गुदा की मांसपेशियों का रिलैक्‍स होना शुरू होता है जिससे पतला मल आने लगता है।

डिलीवरी से कुछ दिनों या घंटे पहले मिलने वाले संकेत

वजाइनल डिस्‍चार्ज अधिक और गाढ़ा होना।
हर बार पेशाब करते समय म्‍यूकस प्‍लग का कुछ हिस्‍सा निकलना, ये गुलाबी और गाढ़ा हो सकता है।
संकुचन बार-बार और तेज होना जो समय के साथ बढ़ जाए।
पीठ के निचले हिस्‍से में ऐंठन और दर्द जो कि पेट और टांगों तक भी पहुंच जाए।
एम्नियोटिक फ्लूइड की थैली फटने के कारण पानी छूटना।

जब भी आपको ये संकेत नजर आएं तो अपने साथ परिवार के किसी सदस्‍य को जरूर रखें ताकि आपकी स्थिति को मॉनिटर किया जा सके।

एडवांस लेबर के संकेत
जब डिलीवरी का समय बिलकुल नजदीक आ जाता है तो निम्‍न संकेत मिलने लगते हैं :

पेट में गर्म महसूस होना।
संकुचन बढ़ जाना
संकुचन की वजह से तेज दर्द होना जो कि 40 से 60 सेकंड तक रहे।
पीठ में तेज दर्द होना। यह भी पढें : प्रेगनेंसी में अब नहीं सताएगा कमर दर्द, अपनाएं ये तरीके
योनि से खून आना

कुछ महिलाएं सीधे एडवांस लेबर में चली जाती हैं जबकि कुछ महिलाओं को नॉर्मल डिलीववरी से जुड़ी इस असुविधा से गुजरना पड़ता है।

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