क्या 3 साल का बच्चा देर से बोलने वाला हो सकता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

अगर आपके बच्‍चे ने तीन साल की उम्र तक बोलना शुरू नहीं किया है तो उसे स्‍पीच डिले हो सकता है। कुछ बच्‍चे देर से बोलना सीखते हैं तो कुछ जल्‍दी बोलना शुरू कर देते हैं। सुनने की क्षमता कम होने या किसी न्‍यूरोलॉजिकल या डेवलपमेंटल विकारों की वजह से स्‍पीच डिले हो सकता है।

कई प्रकार के स्‍पीच डिले को प्रभावशाली रूप से ठीक किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि बच्‍चों में स्‍पीच डिले यानी देर से बोलना शुरू करने के कारण, लक्षण और इलाज क्‍या हैं?

आपने कभी ध्‍यान दिया होगा कि दो महीने तक का बच्‍चा कुछ अजीब सी आवाजें निकालता है लेकिन अगर आपका बच्‍चा इस तरह बोलना शुरू नहीं करता है तो यह स्‍पीच डिले का शुरुआती लक्षण हो सकता है। 18 महीने तक अधिकतर बच्‍चे मम्‍मा या पापा बोलने लगते हैं लेकिन अगर आपका बच्‍चा दो साल की उम्र तक 25 शब्‍द तक नहीं बोलता, ढाई साल तक दो वाक्‍य तक नहीं बोलता, तीन साल की उम्र तक 200 शब्‍द नहीं बोलता और चीजों को उनके नाम से नहीं बुलाता और पुराने शब्‍दों को याद नहीं रख पाता है तो उसमें स्‍पीच डिले हो सकता है।

छह महीने के शिशु के लिए बनाएं सेब और केले का दलिया

- छह महीने से अधिक उम्र के बच्‍चे के लिए सेब और केले से दलिया बनाने के लिए आपको दो चम्‍मच चावल, एक सेब, एक से डेढ़ कप पानी और एक केला लें।
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आप निम्‍न स्‍टेप्‍स की मदद से दलिया बना सकते हैं :
सबसे पहले चावल को पानी से धो लें और फिर एक सेब लें और उसका छिलका उतार लें।सेब को कई टुकडों में काट लें और चावल वाली कटोरी में डाल दें।अब प्रेशर कुकर लें और उसमें चावल और कटे हुए सेब को डालें।इसमें एक से डेढ़ कप पानी डालकर गैस पर रख दें और चार सीटी लगाएं।पके हुए चावल और सेब को मिक्‍सर में डालकर पीसकर प्‍यूरी तैयार कर लें।इस प्‍यूरी में एक केला काटकर डालें और एक बार फिर पीस लें।सेब और केले का दलिया तैयार है।


सेब कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है जो बच्‍चों को एनर्जी देता है और पूरे दिन एक्टिव रखता है। सेब में विटामिन सी, फाइबर और फाइटोकेमिल्‍स होते हैं। सेब में डायट्री फाइबर भी होते हैं जो बैड कोलेस्‍ट्रोल को कम करने में मदद करते हैं। यह फल एंटीऑक्‍सीडेंट और फाइटोन्‍यूट्रिएंट से युक्‍त होता है जिससे आंखों की रोशनी तेज होती है और अस्‍थमा के लक्षणों से लड़ने में मदद मिलती है।

सेब में पेक्टिन नामक घुलनशील फाइबर होता है जो दस्‍त रोकने में मदद कर सकता है। इससे पाचन में सुधार होता है और कब्‍ज नहीं होती है। सेब शरीर में ब्‍लड शुगर को संतुलित करता है और डायबिटीज से बचाता है।
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आप छह महीने के होने के बाद शिशु को केला खिला सकती है। केले में उच्‍च मात्रा में फाइबर होता है जो लंबे समय तक पेट भरा रखता है। फाइबर से पेट भी ठीक रहता है। केला मूत्र मार्ग के जरिए सभी विषाक्‍त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल कर यूरीन इंफेक्‍शन से बचाता है।

केला पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्‍नीशियम, आयरन, फोलेट, नाइसिन और विटामिन बी6 होता है। पोटैशियम और कैल्शियम हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।


केले में मौजूद आयरन खून में हीमोग्‍लोबिन बनाता है। यह शरीर में लाल रक्‍त कोशिकाओं को बनाने में भी मदद करता है। फोलेट मस्तिष्‍क के विकास और याददाश्‍त को बढ़ाने में मदद करता है। केले में विटामिन ए होता है जो आंखों की रोशनी तेज करता है।


स्‍पीच डिले के कारण
बच्‍चों में स्‍पीच डिले के निम्‍न कारण हो सकते हैं :

मुंह में दिक्‍कत : मुंह, जीभ या पैलेंट में कोई दिक्‍कत होने की वजह से स्‍पीच डिले हो सकता है।
स्‍पीच एंड लैंग्‍वेज डिसऑर्डर : इसमें 3 साल का बच्‍चा ज्‍यादा शब्‍द नहीं बोल पाता है तो उसे स्‍पीच डिले हो सकता है।
सुनने की क्षमता : जब बच्‍चे ठीक तरह से सुन नहीं पाते हैं तो उन्‍हें शब्‍द बनाने में भी दिक्‍कत होती है।
स्टिमुलेशन की कमी : बात करते समय आप काफी शब्‍द सीख पाते हैं लेकिन अगर आप किसी से बात ही नहीं करते हैं तो आप मुश्किल से कुछ सीख पाते हैं। बच्‍चे की स्‍पीच और लैंग्‍वेज डेवलेपमेंट में आसापास का एनवायरमेंट महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर कोई बच्‍चे से बात ही नहीं करेगा तो वो कुछ नया नहीं सीख पाएगा।
ऑटिज्‍म स्‍पेक्‍ट्रम डिसऑर्डर : वाक्‍य बनाने की जगह एक ही वाक्‍य दोहराना और बार-बार एक ही व्‍यवहार करना ऑटिज्‍म स्‍पेक्‍ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण हैं। स्‍पीच डिले का संबंध ऑटिज्‍म स्‍पेक्‍ट्रम डिसऑर्डर से है।
नसों से संबंधी : नसों से संबंधित कुछ विकार स्‍पीच के लिए जरूरी मांसपेशियों को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें सेरेब्रल पाल्‍सी, मस्‍कुलर डिस्‍ट्रोफी और ट्रामैटिक ब्रेन इंजरी शामिल हैं।

छह महीने के शिशु के लिए बनाएं सेब और केले का दलिया

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छह महीने से अधिक उम्र के बच्‍चे के लिए सेब और केले से दलिया बनाने के लिए आपको दो चम्‍मच चावल, एक सेब, एक से डेढ़ कप पानी और एक केला लें।


आप निम्‍न स्‍टेप्‍स की मदद से दलिया बना सकते हैं :
सबसे पहले चावल को पानी से धो लें और फिर एक सेब लें और उसका छिलका उतार लें।सेब को कई टुकडों में काट लें और चावल वाली कटोरी में डाल दें।अब प्रेशर कुकर लें और उसमें चावल और कटे हुए सेब को डालें।इसमें एक से डेढ़ कप पानी डालकर गैस पर रख दें और चार सीटी लगाएं।पके हुए चावल और सेब को मिक्‍सर में डालकर पीसकर प्‍यूरी तैयार कर लें।इस प्‍यूरी में एक केला काटकर डालें और एक बार फिर पीस लें।सेब और केले का दलिया तैयार है।


सेब कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है जो बच्‍चों को एनर्जी देता है और पूरे दिन एक्टिव रखता है। सेब में विटामिन सी, फाइबर और फाइटोकेमिल्‍स होते हैं। सेब में डायट्री फाइबर भी होते हैं जो बैड कोलेस्‍ट्रोल को कम करने में मदद करते हैं। यह फल एंटीऑक्‍सीडेंट और फाइटोन्‍यूट्रिएंट से युक्‍त होता है जिससे आंखों की रोशनी तेज होती है और अस्‍थमा के लक्षणों से लड़ने में मदद मिलती है।

सेब में पेक्टिन नामक घुलनशील फाइबर होता है जो दस्‍त रोकने में मदद कर सकता है। इससे पाचन में सुधार होता है और कब्‍ज नहीं होती है। सेब शरीर में ब्‍लड शुगर को संतुलित करता है और डायबिटीज से बचाता है।
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आप छह महीने के होने के बाद शिशु को केला खिला सकती है। केले में उच्‍च मात्रा में फाइबर होता है जो लंबे समय तक पेट भरा रखता है। फाइबर से पेट भी ठीक रहता है। केला मूत्र मार्ग के जरिए सभी विषाक्‍त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल कर यूरीन इंफेक्‍शन से बचाता है।

केला पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्‍नीशियम, आयरन, फोलेट, नाइसिन और विटामिन बी6 होता है। पोटैशियम और कैल्शियम हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।


केले में मौजूद आयरन खून में हीमोग्‍लोबिन बनाता है। यह शरीर में लाल रक्‍त कोशिकाओं को बनाने में भी मदद करता है। फोलेट मस्तिष्‍क के विकास और याददाश्‍त को बढ़ाने में मदद करता है। केले में विटामिन ए होता है जो आंखों की रोशनी तेज करता है।


बच्‍चों में स्‍पीच डिले का इलाज
स्‍पीच लैंग्‍वेज थेरेपी की मदद से बच्‍चों में इस समस्‍या का इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा बच्‍चे को जिस स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के कारण बोलने में देरी हो रही है, उसका इलाज करके भी स्‍पीच डिले को ठीक किया जा सकता है। पैरेंट्स भी बच्‍चों की बोलने में मदद कर सकते हैं।
घर में हर किसी को बच्‍चे के पहले शब्‍द या बोलने का इंतजार होता है लेकिन कुछ बच्‍चे देर से बोलना शुरू करते हैं जो कि चिंता का विषय होता है।

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