क्या अल्ट्रासाउंड हानिकारक है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:26

क्या गर्भावस्था में बार-बार अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाने से शिशु को नुकसान पहुंचता है?

गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे उनके शिशुओं के लिए अल्ट्रासाउंड को पूरी तरह सुरक्षित माना जाता है। इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं। हालांकि, इन्हें केवल प्रशिक्षित अल्ट्रासाउंड डॉक्टर के द्वारा और तय चिकित्सकीय नियमों के तहत किया जाना चाहिए।

बिना किसी जटिलता वाली सामान्य प्रेगनेंसी में भी पांच स्कैन करवाना एकदम साधारण बात है।

ऐसा इसलिए क्योंकि स्कैन अब पहले से सस्ते और लोगों की पहुंच में हो गए हैं। साथ ही, डॉक्टर भी प्रसव की अनुमानित तिथि से लेकर शिशु की स्थिति और विकास तक सभी मुद्दों पर सटीक सूचना के लिए अल्ट्रासाउंड का प्रयोग करती हैं।

डॉक्टर आपको सामान्य से अधिक स्कैन कराने के लिए तब ही कहेंगी, जब यदि आपकी गर्भावस्था उच्च जोखिम वाली है या फिर गर्भस्थ शिशु के साथ ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें नजदीकी निगरानी की जरुरत है। इन मामलों में अतिरिक्त स्कैन डॉक्टर को आपकी गर्भावस्था और गर्भस्थ शिशु की सेहत पर नजर रखने में मदद करते हैं।

अल्ट्रासाउंड में रेडिएशन का इस्तेमाल नहीं होता, जो कि एक्स-रे या सीटी स्कैन समेत अन्य स्कैन में होता है। अल्ट्रासाउंड प्रोब उच्च आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) वाली ध्वनि तरंगें छोड़ता है। ये तरंगे शिशु को छू कर वापिस आती हैं, ​ताकि शिशु की तस्वीर पेश कर सकें।

अल्ट्रासाउंड स्कैन के दौरान उपकरण से थोड़ी मात्रा में ताप भी पैदा होता है, जो कि स्कैन किए जा रहे शरीर के हिस्से द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि स्कैन किए जाने वाले ऊत्तकों का तापमान चार डिग्री सेल्सियस बढ़ाने से, उदाहरण के तौर पर 36 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस करने से, हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं।

हालांकि, व्यावहारिक तौर पर शिशु की तस्वीरें लेने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले साधारण 2डी, 3डी या 4डी स्कैन बहुत ही कम ताप (एक डिग्री सेल्सियस से भी कम) पैदा करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कम प्रबलता वाला अल्ट्रासाउंड इस्तेमाल किया जाता है और यह काफी बड़े क्षेत्र में फैला होता है।

इसके अलावा, आपका शिशु एमनियोटिक द्रव की वजह से भी ताप से सुरक्षित रहता है। स्कैन से उत्पन्न होने वाले किसी भी ताप को फैलाने में एमनियोटिक द्रव मदद करता है, ताकि शिशु के शरीर के किसी भी हिस्से तक ताप न पहुंच सके। साथ ही, आपका शिशु भी हिलता-डुलता रहता है, जो कि ताप को समान रूप से फैलने में मदद करता है।

अल्ट्रासाउंड स्कैन आमतौर पर 30 मिनट के अंदर पूरा हो जाता है और इसे सुरक्षित माना जाता है। डॉक्टर प्रोब या ट्रांस्ड्यूसर को स्कैन के दौरान पेट के चारों तरफ घुमाते भी रहते हैं। अगर, प्रोब को एक स्थान पर लंबे समय तक रखा जाए, तब ही अत्याधिक ताप बन सकता है, वरना नहीं।

योनि स्कैन (ट्रांसवेजाइनल स्कैन) में पेट पर प्रोब रखकर किए जाने वाले स्कैन की तुलना में थोड़ा जल्दी ताप उत्पन्न होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि वैजाइनल प्रोब आपके शरीर के ताप की वजह से भी गरम होता है। मगर, यदि प्रोब को अंदर काफी लंबे समय तक रखा जाए, केवल तब ही ताप में विशेष वृद्धि हो सकती है।

इन सबके बावजूद, अल्ट्रासाउंड करवाने से भ्रूण पर पड़ने वाले दीर्घकालीन प्रभावों का अभी पूरी तरह पता नहीं है। इसलिए, बेहतर यही है कि डॉक्टर चिकित्सकीय कारणों से जितने स्कैन करवाना जरुरी समझती हैं, उतने ही आप करवाएं।

यदि बार-बार स्कैन किए जाने को लेकर आपके मन में कोई सवाल या चिंता हो, तो इस बारे में अपनी डॉक्टर से बात करें।

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