क्या आप पहले जुड़वा बच्चों के साथ दिखाते हैं?pregnancytips.in

Posted on Thu 13th Oct 2022 : 14:40

ज्यादातर एक-तिहाई जुड़वां बच्चे एक जैसे दिखते हैं, इन्हें ‘मोनोजायगोटिक ट्विंस’ या फिर ‘आइडेंटिकल ट्विंस’ कहा जाता है (2)। यह तब होता है, जब एक अंडा स्पर्म से निषेचित होता है, लेकिन बाद में विभाजित होकर दो हो जाते हैं। ऐसे भ्रूण जन्म के बाद एक जैसे दिखते हैं। ये दोनों लड़के ही होते हैं या दोनों लड़की ही। वहीं, एक जैसे न दिखने वाले बच्चों को ‘डिजीगॉटिक ट्विंस’ या फिर ‘फ्रेटरनल ट्विन्स’ कहा जाता है। ये तब बनते हैं, जब दो अलग-अलग अंडे निषेचित होते हैं। जन्म के बाद दोनों की शक्लें अलग-अलग दिखती हैं। इस तरह के जुड़वां बच्चों में एक लड़का और एक लड़की होने की संभावना भी काफी रहती हैं (3)।

21वीं सदी के आंकड़ों के मुताबिक जुड़वां बच्चों की संभावनाएं तीन प्रतिशत तक हो सकती है। आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि 1980 से लेकर 2009 तक जुड़वांं बच्चों के जन्म में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है (4)।
जुड़वांं बच्चे होने की संभावना निर्धारित करने वाले कारक

नीचे हम उन कारकों के बारे में बता रहे हैं, जो जुड़वां बच्चे की संभावना को बढ़ा देते हैं।

आनुवंशिक कारण : अगर आप जुड़वां संतान हैं या आपके परिवार में किसी को जुड़वां बच्चे हुए हैं, तो इसकी संभावना बढ़ जाती है कि आपको भी जुड़वां संतान हो। वहीं, अगर आपका पार्टनर जुड़वांं है, तो आपको भी जुड़वांं बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप या आपकी मां जुड़वांं हैं, तो आपको भी जुड़वांं बच्चे होने की संभावना अधिक हो जाती है। ऐसे में आपको हाइपरोव्यूलेशन (ओव्यूलेशन प्रक्रिया के दौरान दो अंडे निकलना) की उच्च संभावना होगी। इस दौरान कुछ खास जीन हाइपरोव्यूलेशन के साथ मिलते हैं और एक जैसे न दिखने वाले जुड़वांं बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है (3)।

नस्ल : नस्ल भी जुड़वांं गर्भावस्था के लिए मायने रखती है। एक ओर जहां एशियाई और हिस्पैनिक नस्ल में जुड़वांं बच्चे होने की कम संभावना होती है, तो वहीं अफ्रीकी नस्ल में जुड़वांं ज्यादा होते हैं। अफ्रीकी के बाद यूरोपीय लोगों में जुड़वांं बच्चे ज्यादा होने की संभावना पाई जाती है।

शरीर का प्रकार (लंबाई/वजन) : जी हां, जो महिलाएं लंबी होती हैं, उन्हें जुड़वांं बच्चे पैदा होने की संभावना ज्यादा होती है। इसके अलावा, ज्यादा वजन वाली महिलाओं को पतली महिलाओं की तुलना में जुड़वांं संतान होने अधिक संभावनाएं होती हैं। जो महिलाएं भरपूर पौष्टिक डायट लेती हैं, उन्हें जुड़वांं बच्चे होने की संभावना ज्यादा रहती हैं।

मां की उम्र : जिन महिलाओं की उम्र 35 वर्ष से ज्यादा होती है, उन्हें भी जुड़वांं बच्चे होने की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसी महिलाओं में एफएसएच (फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन) ज्यादा जारी होते हैं (5)। इस हार्मोन के जरिए ही अंडाशय से अंडे निकलने लगते हैं। इसलिए, जितनी मात्रा में ये हार्मोन निकलेंगे, उतने ही अंडे निकलते हैं, जिससे दो बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है।

अधिक गर्भावस्थाएं : अगर आपको पहले भी जुड़वांं गर्भावस्था रह चुकी हैं, तो फिर से जुड़वांं गर्भावस्था की संभावना बढ़ सकती है।

आइए, अब जुड़वांं बच्चे पैदा करने के प्राकृतिक तरीकों के बारे में जानते हैं।
जुड़वां बच्चे पैदा करने के लिए प्राकृतिक तरीके |

अगर आप भी जुड़वां बच्चे चाहते हैं, तो नीचे बताए गए तरीके अपना सकते हैं :

डेयरी उत्पाद का सेवन : एक रिसर्च के मुताबिक, डेयरी उत्पादों के कारण भी एक से ज्यादा बच्चों की गर्भावस्था हो सकती है (6)। ऐसा माना गया है कि जो महिला डेयरी उत्पाद का सेवन करती है, उसकी जुड़वां गर्भावस्था की संभावनाएं पांच गुना बढ़ जाती है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सिर्फ डेयरी उत्पाद नहीं है, बल्कि दूध में मौजूद हार्मोन हैं, जो जुड़वांं बच्चे होने में मदद करते हैं।

जंगली याम : जंगली याम एक प्रकार की सब्जी है। यह अंडाशय को उत्तेजित करती है, जिससे डिंबोत्सर्जन के दौरान एक से ज्यादा अंडे निकलते हैं। इससे आपको जुड़वांं बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है। आपको बता दें कि अफ्रीकी महिलाओं में जुड़वां बच्चों के लिए बेहतर संभावना होती हैं, क्योंकि वे इसे अपने आहार में अच्छी मात्रा में शामिल करती हैं। पश्चिम अफ्रीका में योरूबा जनजाति में सबसे अधिक जुड़वांं दर है (7))। इसके अलावा, प्रोटीन युक्त चीजें जैसे टोफू व साबुत अनाज आदि भी अंडाशय को उत्तेजित करते हैं।

गर्भनिरोधक दवा का सेवन बंद करें : गर्भनिरोधक गोलियां बंद करने से आपका शरीर प्राकृतिक रूप से काम करना शुरू करेगा। ऐसा करने से आपके शरीर से सामान्य से ज्यादा हार्मोन निकलेंगे। जब आप इस समय पर गर्भधारण की योजना बनाएंगी, तो जुड़वांं प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ सकती है (8)।

स्तनपान कराने वालीं महिलाओं में ज्यादा संभावना : अगर आप अपने बच्चे को स्तनपान कराती हैं और इस दौरान फिर से मां बनने की कोशिश करती हैं, तो अगली प्रग्नेंसी में जुडवां बच्चे होने की संभावना बढ़ सकती है। दरअसल, स्तनपान कराने वालीं महिलाओं में प्रोलेक्टिन ज्यादा मात्रा में बनता है, जिससे जुड़वांं गर्भावस्था की संभावना बढ़ सकती है।

पार्टनर का जिंक युक्त चीजें खाना : जिंक युक्त चीजें, जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां आदि खाने से स्पर्म ज्यादा मात्रा में बनते हैं। इससे ज्यादा अंडे निषेचित होने की संभावना बढ़ सकती है।

गर्भावस्थाओं के बीच अंतर बनाना : जुड़वांं गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि आपकी पहली और अगली गर्भावस्था के बीच पर्याप्त अंतर हो। जल्दी-जल्दी गर्भवती होने से जुड़वांं गर्भावस्था की संभावना कम हो सकती है।

जुड़वांं बच्चे पैदा करने के लिए यौन संबंध की मुद्रा

हालांकि, जुड़वांं गर्भावस्था किसी के हाथ में नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि कुछ खास पॉजिशन में यौन संबंध बनाने से इसकी संभावना बढ़ सकती हैं, जैसे :

साइड बाय साइड : इस पॉजिशन में संभोग के लिए एक-दूसरे की तरह चेहरा करके लेटना होता है। यह काफी बेहतर पॉजिशन मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस अवस्था में गर्भाशय ग्रीवा तक स्पर्म आसानी से पहुंच सकते है, जिससे जुड़वांं गर्भावस्था की संभावना बढ़ सकती हैं।

स्टैंडिंग अप पॉजिशन : यह भी एक डॉगी स्टाइल होता है, जिससे जुड़वांं गर्भावस्था की संभावनाएं बढ़ती है।

मिशनरी पॉजिशन : इस दौरान पुरुष, महिला के ऊपर होता है। इस पॉजिशन में स्पर्म के साथ अंडे आसानी से अंदर जाते हैं। यह जुड़वांं गर्भावस्था के लिए बेस्ट पॉजिशन मानी जाती है।

पीछे से संबंध बनाना : इस दौरान पार्टनर पीछे से संबंध बनाते हैं। इस पॉजिशन में स्पर्म गर्भाशय ग्रीवा के पास रहते हैं।

जुड़वांं बच्चे होने के लिए प्रजनन उपचार

जुड़वांं बच्चे पैदा करने के लिए आज के समय में कई तरह के तरीके भी आ चुके हैं। इस बारे में आपको डॉक्टर आपके लिए बेहतर प्रजनन उपचार बता सकते हैं। फिलहाल, हम यहां कुछ आम तरीके बता रहे हैं :

आईवीएफ : जो महिलाएं आईवीएफ के जरिए गर्भवती होती हैं, उनमें एक से ज्यादा बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है, गर्भ में कितने भ्रूण स्थानांतरित किए जा रहे हैं। ऐसा साबित भी हो चुका है कि आईवीएफ प्रक्रिया से गर्भवती हुई महिला समान दिखने वाले बच्चों को जन्म देती है (9)।

आईयूआई : इस प्रक्रिया में सिरिंज के जरिए महिला के गर्भाशय में स्पर्म डाले जाते हैं। हालांकि, केवल आईयूआई के जरिए ही जुड़वांं गर्भावस्था की संभावना नहीं बढ़ जाती। इसके लिए महिला को प्रजनन दवाएं लेने की भी जरूरत पड़ती है।

जुड़वांं बच्चे के साथ गर्भवती होने के लिए प्रजनन की खुराक

कुछ अनुपूरक और दवाओं के जरिये जुड़वांं बच्चे होने की संभावना कुछ हद तक बढ़ सकती है, जैसै :

फोलिक एसिड के अनुपूरक : एक स्टडी के मुताबिक, जो महिलाएं प्रेगनेंसी से पहले फोलिक एसिड लेती हैं, उनमें जुड़वांं गर्भावस्था होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं (10)। हालांकि, कुछ अध्ययन ऐसे भी हैं, जिन्होंने उल्टे परिणाम दिखाए हैं। फिर भी, मल्टीविटामिन की खुराक के साथ-साथ फोलिक एसिड की खुराक लेने से न्यूरल ट्यूब विकृति को रोकने में मदद मिलती है, जिससे स्वस्थ बच्चे पैदा होते हैं। एक नई स्टडी में भी यह बात आई है कि जो महिलाएं आईवीएफ ट्रीटमेंट के साथ अधिक फोलेट लेती हैं, उनमें जुड़वां बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है (11)।

गोनैडोट्रॉपिंस : ये दवाएं अंडों को स्वस्थ बनाने में मदद करती हैं, जिससे जुड़वां गर्भावस्था की संभावना बढ़ जाती है। इसके इस्तेमाल से अधिक अंडे निकलते हैं। अगर आप इसका सेवन करना चाहती हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

प्रोजेस्टेरोन : यह गर्भाशय की लिनिंग (गर्भाशय के अंदर की लेयर) को मजबूत करता है, जिससे जुड़वां बच्चे होने की संभावना बढ़ती है।

जुड़वां बच्चे कंसीव करने के लिए प्रजनन दवाएं

जांच के बाद डॉक्टर जुड़वां बच्चे कंसीव करने के लिए नीचे बताई गई दवाएं दे सकते हैं :

क्लोमिड : यह काफी जानी-मानी प्रजनन दवा है, जो जुड़वां बच्चों की संभावना को बढ़ा देती है (12)।

परलोडेल : आपके डॉक्टर यह दवा एक महीने में पांच दिन के लिए दे सकते हैं। यह दवा प्रोलैक्टिन हार्मोन के स्तर को कम करती है और फोलिकल हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाती है। इससे एक से ज्यादा अंडे निकलते हैं, जो जुड़वांं गर्भावस्था की संभावना को बढ़ा देते हैं (13)।

पेर्गोनल : यह दवा जुड़वां बच्चों की संभावना को बढ़ाने के लिए काफी इस्तेमाल की जाती है। यह ल्यूटीनाइजिन्ग हार्मोन को पैदा करने के लिए हाइपोथैलेमस को उत्तेजित करता है, जो ओवुलेशन को ट्रिगर करता है। इस वजह से जुड़वां गर्भावस्था की संभावना बढ़ जाती है (14)।

ह्यूमगन : इसमें सक्रिय मेनोट्रोफिन घटक होता है, जो ओवुलेशन को प्रेरित करने में मदद करता है। यह कूपिक परिपक्वता को भी उत्तेजित करता है और गोनाडल स्टेरॉयड स्राव को ट्रिगर करता है। इससे भी जुड़वां बच्चों की संभावना बढ़ सकती है (15)।

जुड़वांं बच्चे के लिए प्रजनन जड़ी-बूटी

ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं, जो आपकी प्रजनन क्षमता को बढ़ाकर जुड़वां बच्चों की संभावना को बढ़ाती है। नीचे हम इन्हीं जड़ी-बूटियों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं :

ईवनिंग प्रिमरोज तेल -प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए इस तेल का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है। यह स्वस्थ सर्विकल म्यूकस के उत्पादन में मदद करता है। स्वस्थ सर्विकल म्यूकस की वजह से स्पर्म ओवरी में ज्यादा दिनों तक रह पाते हैं।

मुलेठी – यह हर्ब आपके मासिक चक्र को नियंत्रित करती है और आपके ओवुलेशन के दिनों को पहचानने में आसानी होती है। यह आपके टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन के हार्मोनल स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है। इस प्रकार यह गर्भाधान की पूरी प्रक्रिया का समर्थन करता है।

अलसी का तेल – अलसी का तेल प्रजनन क्षमता बढ़ाकर प्राकृतिक तरीके से जुड़वां गर्भावस्था की संभावना को बढ़ा सकता है। यह हार्मोनल उत्पादन को नियंत्रित करता है और एक नियमित मासिक धर्म चक्र को बनाए रखता है। यह प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन का उचित संतुलन भी बनाता है।

मीठा कसावा – मीठा कसावा प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इसमें हाइपर-ओवुलेशन गुण होते हैं, जो जुड़वांं गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाने में मदद करते हैं।

कोहोश – यह जड़ी-बूटी पूर्व मासिक धर्म सिंड्रोम (पीएमएस) और रजोनिवृत्ति से जुड़े लक्षणों को प्रभावी ढंग से दूर करने में मदद करती हैं। यह गर्भाशय की मांसपेशियों और पेल्विक भाग को मजबूत करने में मदद कर सकती है। हालांकि, यह सीधा जुड़वांं गर्भावस्था की संभावना को नहीं बढ़ाती, बल्कि आपकी प्रजनन क्षमता में सुधार लाती है, जिससे जुड़वांं प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ सकती है।

जुड़वांं बच्चे के साथ गर्भवती महिलाओं के लिए समस्याएं

जुड़वां गर्भावस्था में विशेष देखभाल की जरूरत होती है। कई बार जुड़वां बच्चे के साथ गर्भवती महिलाओं को नीचे बताई गई समस्याएं या जोखिम हो सकते हैं (16) :

समय से पहले प्रसव – पांच में से तीन जुड़वां गर्भावस्था में समय से पहले डिलीवरी होने की आशंका रहती है। कई बार जुड़वां गर्भावस्था में बच्चे के जन्म के समय उसका ठीक से विकास नहीं हुआ होता।

उच्च रक्तचाप – ज्यादातर जुड़वां गर्भावस्था में गर्भवती महिला को उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है। अगर यह समस्या नियंत्रित न की जाए, तो इससे शिशुओं पर भी असर पड़ सकता है।

गर्भावधि मधुमेह – कई महिलाओं को जुड़वां गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज होने की भी समस्या हो सकती है।

एनीमिया – प्रेगनेंसी में एनीमिया यानी खून की कमी कई महिलाओं को हो सकती है। खासतौर पर, जुड़वां गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होना आम बात है।

जन्म दोष – जुड़वां गर्भावस्था के दौरान कई बच्चों को स्पाइना बिफिडा या अन्य तंत्रिका नली दोष की समस्या हो सकती है।

गर्भपात – जुड़वां गर्भावस्था के दौरान कई बार लापरवाही या अन्य समस्याओं के चलते गर्भपात का जोखिम भी बढ़ सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

जुड़वांं गर्भावस्था के साथ बेड रेस्ट अनिवार्य है?

गर्भावस्था के दौरान यूं तो महिलाओं को सक्रिये रहने की सलाह दी जाती है, ताकि डिलीवरी आसानी से हो सके। वहीं, बात की जाए जुड़वां गर्भावस्था की, तो यह गर्भवती की शारीरिक स्थिति को देखकर ही तय किया जा सकता है कि क्या उसे पूरी तरह बेड रेस्ट की जरूरत है या नहीं। हालांकि, एक रिसर्च के मुताबिक, जुड़वां गर्भावस्था के दौरान बेड रेस्ट करने से प्रीटर्म लेबर का जोखिम कम हो जाता है (17)।

वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम क्या है?

जब जुड़वां गर्भावस्था के दौरान गर्भपात की वजह से एक भ्रूण साफ हो जाता है, उसे वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम कहा जाता है। कई बार इसके लक्षण प्रेगनेंसी की शुरुआत में ही सामने आ जाते हैं। वहीं, कई मामलों में इसके कारण पता नहीं चल पाते।

क्या जुड़वां गर्भावस्था के दौरान मेरी सिजेरियन डिलीवरी होगी?

जुड़वां गर्भावस्था में सी-सेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। बहरहाल, आपका सी-सेक्शन होगा या नॉर्मल डिलीवरी होगी, यह आपकी और शिशुओं की स्थिति पर निर्भर करता है।

क्या नॉर्मल डिलीवरी के दौरान मुझे दो बार लेबर पेन होगा?

नहीं, अगर आपकी नॉर्मल डिलीवरी भी होती है, तो भी लेबर पेन एक ही बार होता है। पहली बार एक शिशु का जन्म होने के बाद उसी पेन के दौरान कुछ देर बाद दूसरे शिशु का जन्म होता है।

क्या जुड़वांं गर्भावस्था वंशानुगत है?

अगर आइडेंटिकल ट्विन्स हैं, तो ये वंशानुगत नहीं होते। वहीं, फ्रेटरनल ट्विन्स पीढ़ी दर पीढ़ी चल सकते हैं। इसलिए, फ्रेटरनल ट्विन्स को वंशानुगत कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए अगर किसी महिला का फ्रेटरनल ट्विन्स से जुड़वां भाई या बहन है, तो उसके जुड़वां बच्चे होने की संभावना आइडेंटिकल ट्विन्स के मुकाबले 2.5 गुना ज्यादा होती है।

यह था जुड़वां गर्भावस्था पर हमारा खास लेख, खास उन लोगों के लिए जिनके मन में इससे संबंधित कई सवाल होते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको ट्विन प्रेगनेंसी से जुड़े जरूरी सवालों के जवाब मिल गए होंगे। गर्भावस्था से जुड़ी ऐसी ही और रोचक जानकारी के लिए आप हमारे अन्य आर्टिकल पढ़ सकते हैं।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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