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जिस शरीर में खून की कमी होती है वो हर महीने रक्त स्त्रावण नहीं कर सकता है जिसके फलस्वरूप पीरियड स्पॉटिंग होती है।
ज्यादातर महिलाएं अपने अनियमित पीरियड्स को लेकर काफी परेशान रहती हैं। हर महिला की पीरियड साइकिल अलग होती है। किसी की 28 से 30 दिन तो किसी की 35 दिन लेकिन इससे भी ज्यादा लेट हो जाए तो आपको तुरंत सावधान हो जाना चाहिए। पीरियड्स मिस होने की सबसे आम वजह प्रेग्नेंसी मानी जाती है लेकिन आप प्रेग्नेंसी प्लान नहीं कर रही हैं और फिर भी आपके पीरियड्स आने में देरी हो जाती है तो इसे नजरअंदाज ना करें। इसकी कई वजहें हो सकती हैं। आइए जान लेते हैं इनके बारे में.
तनाव - तनाव हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को कई तरीकों से प्रभावित करता है। पीरियड्स में देरी उन्हीं प्रभावों में से एक है। दरअसल, जब आप ज्यादा स्ट्रेस लेती हैं तो इससे शरीर में इसको बैलेंस करने वाले हॉरमोन्स बढ़ जाते हैं और रिप्रोडक्टिव हॉरमोन्स डिस्टर्ब हो जाते हैं।
अधिक वजन या वजन बेहद कम होना - मोटापा और दुबलापन, दोनों ही चीजें शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। मोटापे की वजह से भी मासिक चक्र अनियमित हो जाता है। इसके अलावा शरीर का वजन कम होने की वजह से भी अनियमित माहवारी की समस्या हो सकती है।
मेनोपॉज - जब महिलाओं की उम्र 40-45 साल के आस-पास होती है तो उनमें कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। ऐसे में कभी-कभी पीरियड्स आना भी बंद हो जाता है।
बर्थ कंट्रोल पिल्स - गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल या फिर अन्य दवाओं के इस्तेमाल से भी मासिक चक्र अनियमित हो जाता है। ऐसे में पीरियड्स कम आते हैं या जल्दी-जल्दी भी आने लगते हैं।
ब्रेस्टफीडिंग - ब्रेस्टफीडिंग भी अनियमित पीरियड्स की वजह बन सकती है। कई महिलाओं को तब तक पीरियड्स नहीं होते हैं, जब तक वो अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना बंद नहीं कर देती हैं।
थायरॉइड - थायरॉइड की किसी भी तरह की समस्या होने पर भी आपकी माहवारी पर बुरा असर पड़ता है।
दिनचर्या में बदलाव - अपने दिन भर के शेड्यूल में बदलाव की वजह से भी अनियमित पीरियड्स की समस्या होती है। देर रात तक काम करना, एक शहर से दूसरे शहर जाना, इस तरह से हमारा डेली रूटीन बदलता रहता है। जब आप अपनी सामान्य दिनचर्या में वापस आ जाती हैं तो यह समस्या भी काफी हद तक कम हो जाती है।
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