क्या गर्भावस्था के दौरान आपके कूल्हे चौड़े होने पर दर्द होता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:34

क्या गर्भावस्था में कूल्हों में दर्द होना सामान्य है और इससे राहत के उपाय क्या हैं?

कूल्हों में दर्द होना गर्भावस्था की एक आम शिकायत है। यह दर्द काफी तेज या हल्का हो सकता है, जो कि धीरे-धीरे या फिर अचानक से शुरु हो सकता है। कुछ महिलाओं को कूल्हे के पीछे या साइड में दर्द होता है, वहीं कुछ में यह दर्द श्रोणि करधनी (पेल्विक गर्डल) क्षेत्र तक पहुंच जाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि दर्द के बहुत से अलग-अलग कारण हो सकते हैं, जो कि गर्भावस्था के सामान्य बदलावों से जुड़े होते हैं, जैसे कि:

गर्भावस्था हॉर्मोन। प्रेगनेंसी के दौरान आपका शरीर रिलेक्सिन नामक हॉर्मोन का ज्यादा उत्पादन करता है। यह हॉर्मोन वही करता है जो इसके नाम से पता चलता है: यह आपके अस्थिबंधों को रिलैक्स (शिथिल) करता है। अस्थिबंध वे सख्त उत्तक होते हैं जो आपके जोड़ों को सहारा देते हैं। श्रोणि क्षेत्र में शिथिल अस्थिबंध होने की वजह से ही शिशु के लिए जन्म ले पाना आसान हो पाता है।
वजन वृद्धि। गर्भस्थ शिशु के बढ़ते वजन का मतलब है कि आपकी मांसपेशियों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और आपके जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इससे आपकी पीठ और श्रोणि की रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं पर ज्यादा दबाव पड़ता है।
बदलती अवस्था। गर्भ में शिशु के बढ़ने के साथ-साथ आपकी अवस्था और चलने के तरीके में स्वत: बदलाव आ जाता है। जैसे-जैसे आपका गर्भाशय बढ़ता है, इसका गुरुत्व केंद्र भी बदल जाता है और इससे आपके पेट की मांसपेशियों में खिंचाव होता है और ये कमजोर भी हो जाती है। इससे आपकी अवस्था पर असर पड़ता है और आपकी पीठ पर दबाव बढ़ता है।

आपको जिस तरह का दर्द महसूस हो रहा है वह इन सभी बदलावों का ही परिणाम है। इसे श्रोणि करधनी दर्द (पेल्विक गर्डल पेन-पीजीपी) कहा जाता है और यह गर्भावस्था में बहुत आम है। पीजीपी से केवल आपके कूल्हों में दर्द नहीं होता, बल्कि आपको पीठ, ऊसंधि और टांगों में भी दर्द हो सकता है।

हालांकि, आपको इस दर्द को सामान्य समझकर सहने की जरुरत नहीं है। यदि आपको किसी भी तरह का दर्द महसूस हो रहा हो, तो जरुरी है कि आप इस बारे में डॉक्टर को बताएं।

डॉक्टर आपकी जांच करेंगी और शायद कुछ मूवमेंट जांचें करेंगी जिससे पता चल सके कि दर्द कहां पर हो रहा है। वे यह भी जानना चाहेंगी कि आपका दर्द कहीं किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या की वजह से तो नहीं है और वे राहत के लिए उपचार बताएंगी।

आपको अपने कुछ काम करने का तरीका बदलना होगा, ताकि आपके कूल्हों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े। इसका मतलब है कि जो काम जो आप समाान्यत: खड़ी होकर करती थीं, वे अब बैठ कर करना, जैसे कि कपड़े पहनना या कपड़े प्रेस करना।
जितना हो सके आप क्रियाशील रहें, मगर दर्द में भी काम पर न लगी रहें। यदि आपसे काम न हो पा रहा हो, तो इसे छोड़कर आराम करें। आप शायद पाएंगी कि यदि दिनभर आपके लिए काफी व्यस्त रहा तो दर्द बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
आप गर्भावस्था में सुरक्षित, हल्के व्यायाम कर सकती हैं, जैसे कि टहलना और प्रीनेटल योग फायदेमंद हैं। योगासन हमेशा प्रशिक्षत प्रीनेटल योग प्रशिक्षक की निगरानी में करें। आपकी गर्भावस्था के चरण को देखते हुए कुछ आसनों में बदलाव करने पड़ सकते हैं। साथ ही, कुछ आसन कूल्हे के दर्द के लिए सही नहीं होते और इनसे स्थिति ज्यादा बिगड़ सकती है। ऐसी एक्सरसाइज न करें, जिसमें कूल्हों या रीढ़ की बहुत ज्यादा गतिविधि हो।
करवट लेकर सोएं, टांगों को मोड़ कर रखें और घुटनों के बीच तकिया लगाएं, जिससे आपकी पूरी टांगों को सहारा मिले। इस अवस्था से आपके श्रोणि और कूल्हों के आसपास के सभी जोड़ों को आधार मिलेगा। करवट लेकर सोना आपके और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए अच्छा है।
अपने गद्दे के ऊपर, चादर के नीचे मुलायम फोम बिछा लें, ताकि आपके कूल्हों पर दबाव कम हो सके। अगर इससे मदद न मिले, तो आप तकिये और कुशन से अलग-अलग अवस्थाएं आजमा सकती हैं और देखें कि कौन सी आपके लिए सबसे आरामेह है। कूल्हे के जोड़ के ऊपर या नीचे रजाई तय करके या मोटा तौलिया रखें, जिससे भी आपको दर्द में आराम मिले। अपने पेट के नीचे भी एक तकिया लगा लें, ताकि आप आगे की तरफ न लुढ़कें।
अगर आपको श्रोणि दर्द हो रहा है, तो बिस्तर से उठने में भी आपको काफी असहजता हो सकती है। हमारे स्लाइडशो में देखें कि बिस्तर से उठने का सही तरीका क्या है, जिससे आपकी श्रोणि का बचाव हो सके।
कूल्हों पर गर्म सिकाई करने से भी आपको दर्द से राहत मिल सकती है। गर्म पानी से​ सिकाई करने वाली बोतल में गर्म पानी भरें, ना कि उबलता हुआ पानी। इस्तेमाल से पहले बोतल को तौलिये या नरम कपड़े से ढक दें। अगर आप हीटिंग पैड का इस्तेमाल करना चाहें, तो पहले सबसे कम तापमान सेटिंग से शुरुआत करें, और धीरे-धीरे तापमान बढ़ाएं।
मालिश करवाएं। गर्भावस्था में प्रशिक्षित थैरेपिस्ट से मालिश करवाने से आपको राहत व आराम मिल सकता है।
आरामदेह जूते पहनें और सुनिश्चित करें कि जूतों में अच्छा आर्च सपोर्ट हो। अपनी ऊंची एड़ी के फुटवियर पहनना अब बंद कर दें। ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे-जैसे आपका पेट बढ़ता है और आपका संतुलत बदलता है, तो ऊंची एड़ी के फुटवियर से आपकी अवस्था और बिगड़ेगी और आपके गिरने या लड़खड़ाने का खतरा बढ़ जाता है।
ऐसे क्रियाकलाप न करें जिनसे कूल्हों का दर्द और बढ़ जाए। जोड़ों पर दबाव कम करने के लिए कुछ समय बर्थ बॉल पर या अपने हाथों व घुटनों के बल रहने का प्रयास करें। इससे आपके कूल्हों पर से वजन हट जाता है।
पालथी मारकर बैठने की कोशिश न करें। जब आप आराम कर रही हों या टीवी देख रही हों, तो सुनिश्चित करें कि आप एकदम सीधी बैठी हों। एक छोटा मोड़ा हुआ कुशन या तौलिया सहारे के लिए पीठ में नीचे की तरफ लगा लें।
बेहतर है कि आप भारी वजन वाली चीजों को उठाएं या खिसकाए नहीं। कोई चीज उठाने के लिए जोड़ों पर दबाव पड़ने से पीठ और श्रोणि में समस्या हो सकती है।

हमेशा अपने शरीर के संकेतों पर ध्यान दें, और ऐसा कुछ न करें जिससे आपको दर्द हो। ऐसे चेतावनी संकेतों पर ध्यान दें जो बताते हों ​कि आप क्षमता से ज्यादा कर रही हैं या समस्या पर डॉक्टर को दिखाने की जरुरत है। निम्नांकित स्थितियों में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं:

आपको चलने में मुश्किल हो रही है।
प्रभावित हिस्से की तरफ से आप वजन नहीं ले पा रही हैं।
दर्द बहुत तेज है या अचानक से उठता है और साथ में ऐंठन या रक्तस्त्राव भी है।

अगर जरुरत हो तो डॉक्टर आपको फिजियोथेरेपिस्ट को दिखाने की सलाह भी दे सकती हैं। वे आपकी स्थिति को देखते हुए आपके लिए सही उपचार बता सकते हैं।

वे आपको पेट को सहारा देने वाली बेल्ट पहनने की सलाह भी दे सकती हैं। वे आपकी मालिश करना या हल्के से हड्डी बिठाने का प्रयास भी कर सकती हैं। वे आपको घर पर ही कुछ व्यायाम करने के बारे में बता सकती हैं, जिससे मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी और आपका श्रोणि क्षेत्र स्थिर रहेगा। कुछ मामलों में कई महिलाओं को सहारा लेकर चलने की जरुरत पड़ती है। फिजियोथैरेपिस्ट आपको कोहनी वाली बैसाखी इस्तेमाल करने के लिए कह सकती हैं, ताकि कूल्हों से दबाव हट सके।

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