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बच्चों को दही खिलाने के फायदे, सावधानियां व रेसिपीज | Curd For Babies In Hindi
IN THIS ARTICLE
बच्चे दही कब खाना शुरू कर सकते हैं?
बच्चों के लिए दही के फायदे
दही की न्यूट्रिशनल वैल्यू
प्रोबायोटिक्स क्या है और यह बच्चों के लिए क्यों अच्छा होता है?
शिशु को यदि दूध से एलर्जी है या लैक्टोज इनटॉलेरेंस है तो क्या करें?
शिशुओं के लिए गाय का दूध क्यों अनुशंसित नहीं है, लेकिन दही है?
बच्चों के लिए सही दही का चुनाव कैसे करें
शिशु के लिए बिना फ्लेवर्ड या सादा दही अच्छा क्यों है?
सादे दही का स्वाद कैसे बेहतर बनाया जा सकता है?
बच्चों को दही देते समय बरती जाने वाली सावधानियां
बच्चों के लिए दही से बनने वाली टेस्टी रेसिपीज
शिशुओं के आहार को चुनना माता-पिता के लिए किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं होता। खासतौर से जब उन्हें ठोस आहार देने की उम्र हो जाती है। ऐसे में माता-पिता को चिंता सताती है कि कौन-सी चीज उनके शिशु के लिए फायदेमंद है और कौन-सी नहीं। वैसे देखा जाए तो बच्चों के लिए पौष्टिक आहारों की कमी नहीं है। इन सब में एक नाम दही का भी है। शिशुओं के लिए दही किसी सुपरफूड से कम नहीं होता है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बताने वाले हैं बच्चों के लिए दही के फायदे क्या हो सकते हैं। साथ ही आप पढ़ेंगे बच्चों को दही देने से जुड़ी अन्य कई जरूरी जानकारियां भी।
चलिए सबसे पहले जानते हैं कि बच्चों को कौन-सी आयु में दही खिला सकते हैं।
बच्चे दही कब खाना शुरू कर सकते हैं?
बच्चों के लिए दही के फायदों को जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि शिशुओं को दही कौन-सी उम्र से खिलाना शुरू कर देना चाहिए। सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार जब बच्चे 7 से 8 महीने के हो जाएं तो उनके स्वस्थ विकास के लिए उन्हें अलग-अलग विटामिन्स और मिनरल्स युक्त आहार दिए जा सकते हैं। इसी लिस्ट में दही का नाम भी शामिल है (1)। वहीं, डब्ल्यूएचओ (World Health Organization) के अनुसार बच्चे के 6 महीने की उम्र के बाद दही का सेवन कराने की सलाह दी गई है (2)। आगे हम बच्चों के लिए दही के लाभ से जुड़ी जरूरी जानकारियां विस्तार से दे रहे हैं।
अब लेख के इस भाग में जानिए बच्चों के लिए दही के क्या-क्या लाभ हो सकते हैं।
बच्चों के लिए दही के फायदे
शिशुओं के लिए दही खिलाने के एक या दो नहीं, बल्कि 10 से भी ज्यादा फायदे हैं। ऐसे में लेख इस भाग में हम शिशुओं को दही खिलाने के फायदे विस्तार से साझा कर रहे हैं। तो शिशुओं के लिए दही के फायदे कुछ इस प्रकार हैं –
1. दस्त की समस्या से राहत
दही का सेवन शिशुओं में दस्त की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि 6 से 24 महीने के शिशुओं को दही का सेवन कराने के बाद उनके दस्त की समस्या में कुछ हद तक सुधार देखा गया है (3)। इस आधार पर मान सकते हैं कि दही दस्त से बचाव या कुछ हद तक राहत दिलाने में सहायक हो सकता है। हालांकि, ध्यान रहे कि अगर बच्चे में दस्त की परेशानी अधिक हो तो डॉक्टरी इलाज को प्राथमिकता दें।
2. गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लिए
शोध बताते हैं कि एक वर्ष तक के बच्चों को दही का सेवन कराने से उनमें गैस्ट्रोएंटेराइटिस (Gastroenteritis) के जोखिमों को किया जा सकता है (4)। बता दें कि, गैस्ट्रोएंटेराइटिस आंतों में होने वाला एक प्रकार का सूजन है जो वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी के कारण हो सकता है। इसमें पेट दर्द, दस्त, सिरदर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं (5)।
3. एक्जिमा के लिए
दही के सेवन से बच्चों को एटोपिक डर्मेटाइटिस (Atopic dermatitis) की समस्या से भी निजात मिल सकता है (6)। दरअसल, एटोपिक डर्मेटाइटिस एक प्रकार का एक्जिमा है, जिसमें त्वचा लाल हो जाती है और उसमें सूजन एवं खुजली होने लगती है। यह समस्या लंबे समय तक रह सकती है और नवजात शिशुओं में यह बेहद आम माना जाता है (7)।
4. हड्डियों के लिए
दही बच्चों में कैल्शियम की कमी को भी पूरा कर सकता है, जो बच्चों में हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए लाभकारी माना गया है (8)। दरअसल, कैल्शियम शरीर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर में कैल्शियम का 99 प्रतिशत से अधिक भाग दांतों और हड्डियों में संग्रहित होता है, जो इन्हें मजबूत बनाने में सहायक हो सकता है (9)। तो बढ़ते बच्चों के हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए कैल्शियम युक्त दही लाभकारी हो सकता है।
5. दांतों के लिए
हड्डियों के साथ-साथ दही में मौजूद कैल्शियम का बच्चों की दांतों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस पर हुए अध्ययनों के मुताबिक, दही का सेवन दांतों की क्षरण (Tooth erosion) की समस्या को कम करने या उससे बचाव में प्रभावी साबित हो सकता है (8)। ऐसे में मान सकते हैं कि बच्चे के स्वस्थ दांतों के लिए दही उपयोगी हो सकता है।
6. पेट के लिए
बच्चों को दही खिलाने के फायदों में पेट की सुरक्षा भी शामिल है। दही पेट संबंधी समस्याओं से बचाव के लिए उपयोगी हो सकता है। हमने पहले ही जानकारी दी है कि यह बच्चों में दस्त की समस्या में लाभकारी पाया गया है (10)। साथ ही पेट के कैंसर (Colon Cancer) से बचाव के लिए भी दही का सेवन एक आसान और अच्छा विकल्प हो सकता है (11)। वहीं, अगर किसी बच्चे को लैक्टोज इनटॉलेरेंस है तो उसके आहार में भी दही को शामिल किया जा सकता है (12)।
7. कॉलिक के लिए
शिशुओं में कॉलिक की समस्या के उपचार के लिए भी दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स को मददगार माना गया है (13)। दरअसल, कॉलिक एक स्थिति है, जिसमें बच्चा बिना किसी कारण घंटों रोता रहता है या चिड़चिड़ा रहता है। वहीं, शोध के मुताबिक लगभग 20 प्रतिशत बच्चों को कॉलिक प्रभावित कर सकता है (14)। वहीं, अगर बच्चा एक दिन में तीन घंटे से ज्यादा रोता है, तो हो सकता है वो कॉलिक की समस्या से प्रभावित हो (15)।
8. एनीमिया से बचाव के लिए
दही का सेवन बच्चों में खून की कमी की समस्या के खतरे को भी कम कर सकता है। बता दें कि, कुछ स्थितियों में फोलेट की कमी भी एनीमिया का कारण हो सकता है। फोलेट रेड ब्लड सेल के निर्माण में सहायक हो सकता है, जिससे एनीमिया की समस्या का जोखिम कम हो सकता है (16)। वहीं, दही में फोलेट मौजूद होता है (17)। ऐसे में इस आधार पर माना जा सकता है कि एनीमिया से बचाव के लिए दही उपयोगी हो सकता है।
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9. इम्यूनिटी के लिए
बड़ों के मुकाबलों बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है (18)। इस कारण बच्चों के जल्दी बीमार होने का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में दही का सेवन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए भी फायदेमंद माना जा सकता है (8)।
दही को इम्यून पावर बेहतर करने के खाद्य पदार्थों के लिस्ट में जगह दी गई है। दरअसल, दही कई पोषक तत्वों का स्रोत है, इससे पेट के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। यह आंत के बैक्टीरिया को नियंत्रित करने के साथ-साथ प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य को बेहतर करने और शरीर में सूजन की समस्या को कम करने में सहायक हो सकता है (19)। इस आधार पर दही को बच्चों के लिए स्वस्थ खाद्य पदार्थ मान सकते हैं।
10. प्रोटीन से भरपूर
दही शिशुओं के लिए इसलिए भी लाभकारी माना जा सकता है, क्योंकि यह प्रोटीन से भी भरपूर होता है (17)। बताया जाता है कि प्रोटीन बच्चों के विकास और वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है (20)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अन्य खाद्य पदार्थों के साथ दही का सेवन बच्चों में प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकता है।
11. ब्लड इंफेक्शन से बचाव के लिए
खून में संक्रमण यानी सेप्सिस की समस्या से भी बच्चों को बचाने के लिए दही लाभकारी साबित हो सकता है। इसके पीछे दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स को जिम्मेदार बताया गया है (13)। सेप्सिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर बैक्टीरिया या अन्य कीटाणुओं को पनपने का मौका देता है (21)। हालांकि, हम यह स्पष्ट कर दें कि सेप्सिस एक गंभीर समस्या है और दही को इसका इलाज समझने की भूल न करें। अगर किसी बच्चे को यह बीमारी है तो डॉक्टरी इलाज को प्राथमिकता दें। दही का सेवन सिर्फ सेप्सिस के जोखिम को कम कर सकता है।
12. हृदय के लिए
बच्चों में हृदय रोग की रोकथाम के लिए भी दही का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे जुड़े एक रिसर्च में इस बात का जिक्र मिलता है कि स्वस्थ आहार के रूप में दही का सेवन बच्चों में वजन को नियंत्रित कर हृदय रोग के जोखिमों को कम कर सकता है (22)। इसके अलावा, एक अन्य शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि उच्च रक्तचाप से पीड़ित पुरुषों और महिलाओं ने जब दही का सेवन किया तो उनमें हृदय रोग का जोखिम कम पाया गया (23)। तो ऐसे में दही के सेवन से न सिर्फ हृदय स्वस्थ हो सकता है, बल्कि बच्चे में उच्च रक्तचाप का जोखिम भी कम हो सकता है।
लेख के इस हिस्से में जानिए दही में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में।
दही की न्यूट्रिशनल वैल्यू
यहां हम 100 ग्राम दही में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार है (17) –
100 ग्राम दही में 85.07 ग्राम पानी, 63 किलो कैलोरी एनर्जी, 5.25 ग्राम प्रोटीन, 1.55 ग्राम फैट, 7.04 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 7.04 ग्राम शुगर मौजूद होता है।
इसके अलावा, 100 ग्राम दही में 183 एमजी कैल्शियम, 0.08 एमजी आयरन, 17 एमजी मैग्नीशियम, 114 एमजी फास्फोरस, 234 एमजी पोटाशियम, 70 एमजी सोडियम और 0.89 एमजी जिंक मौजूद होता है।
यही नहीं, इसमें 0.013 एमजी कॉपर, 0.004 एमजी मैंगनीज, 3.3 µg (माइक्रोग्राम) सेलेनियम, 12 µg फ्लोराइड, 0.8 एमजी विटामिन-सी, 0.044 एमजी थियामिन, 0.214 एमजी राइबोफ्लेविन, 0.114 एमजी नियासिन, और 0.591 एमजी पैंटोथैनिक एसिड मौजूद होते हैं।
वहीं, 100 ग्राम दही 0.049 एमजी विटामिन बी-6, 11 µg फोलेट, 15.2 एमजी कोलिन, 0.56 µg विटामिन-बी12, और 14 µg विटामिन-ए होता है।
यहां हम प्रोबायोटिक्स का मतलब और बच्चों के लिए इसके लाभों को समझाएंगे।
प्रोबायोटिक्स क्या है और यह बच्चों के लिए क्यों अच्छा होता है?
प्रोबायोटिक्स एक प्रकार के जीवित सूक्ष्म जीव होते हैं, जो शरीर के लिए अच्छे बैक्टीरिया के रूप में जाने जाते हैं। ये बैक्टीरिया शरीर में जाने के बाद कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ पहुंचा सकते हैं। आंत के रोगों की रोकथाम, प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार, उच्च रक्तचाप से बचाव आदि के लिए ये फायदेमंद हो सकते हैं। ये दही जैसे अन्य फर्मेंटेड खाद्य पदार्थों और पूरक आहार में पाए जाते हैं (24)।
अब जानते हैं कि, प्रोबायोटिक्स बच्चों के लिए क्यों अच्छा होता है। बता दें कि प्रोबायोटिक्स शिशुओं को कई प्रकार से लाभ पहुंचा सकते हैं। इन्हीं फायदों के लिए ये बच्चों के लिए उपयोगी माने जा सकते हैं। प्रोबायोटिक्स के लाभ कुछ इस प्रकार हैं (13)–
प्रोबायोटिक्स शिशुओं में दस्त का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर दस्त की रोकथाम के लिए कारगर साबित हो सकते हैं।
प्रोबायोटिक्स, शिशुओं में कॉलिक (उदरशूल) के उपचार में भी मददगार हो सकते हैं।
पेरियोडोंटल (मसूड़ों सेसंबंधित) समस्या के उपचार के लिए भी प्रोबायोटिक्स मददगार माने जाते हैं।
अल्सरेटिव कोलाइटिस (आंत में सूजन होना) से राहत दिलाने के लिए भी प्रोबायोटिक्स को लाभकारी माना जा सकता है।
यहां हम बताएंगे कि बच्चों को अगर दूध से एलर्जी है या लैक्टोज इनटॉलेरेंस है तो क्या करना चाहिए।
शिशु को यदि दूध से एलर्जी है या लैक्टोज इनटॉलेरेंस है तो क्या करें?
अगर किसी बच्चे को दूध से एलर्जी या फिर लैक्टोज इनटॉलेरेंस है तो ऐसे बच्चों को दही का सेवन करा सकते हैं। दरअसल, दही में अन्य दूध के उत्पादों के मुकाबले कम लैक्टोज (एक प्रकार का प्रोटीन)होता है (12)। वहीं, अगर बच्चे को दही या फिर किसी अन्य दूध उत्पाद से एलर्जी है या नहीं इसकी पुष्टि करनी है तो ऐसे में बच्चों को पहली बार दही का सेवन कराने के बाद कम से कम तीन दिन तक इंतजार करें। इससे बच्चों में एलर्जी के कारण का पता लगाने में आसानी हो सकती है।
अब जरा ये भी समझ लीजिए कि बच्चों को गाय का दूध देने के बजाय दही का सेवन कराने की सलाह क्यों दी जाती है।
शिशुओं के लिए गाय का दूध क्यों अनुशंसित नहीं है, लेकिन दही है?
शिशुओं के लिए गाय का दूध अनुशंसित नहीं है, लेकिन दही है। ऐसा इसलिए क्योंकि गाय के दूध से बच्चों को कुछ विशेष पोषक तत्व प्रदान नहीं होते हैं। इसके अलावा, शिशुओं के लिए गाय के दूध में मौजूद प्रोटीन और वसा को पचाना मुश्किल होता है। वहीं, गाय के दूध से बच्चे को एलर्जी का जोखिम भी हो सकता है। यही वजह है कि शिशुओं के लिए गाय का दूध सुरक्षित नहीं माना जाता है। हालांकि, एक वर्ष की आयु के बाद बच्चों को गाय का दूध दिए जाने की सलाह दी जा सकती है (25)।
वहीं, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में जिक्र मिलता है कि गाय के दूध से जब दही बनाया जाता है तो इस प्रक्रिया के दौरान दूध में मौजूद लैक्टोज की मात्रा में कमी आ जाती है। वहीं, इसमें लैक्टेज (Lactase- एक प्रकार का एंजाइम) में बढ़ोतरी हो जाती है (26)। बता दें लैक्टेज दूध या दूध युक्त खाद्य पदार्थों को पचाने में सहायक हो सकता है (12)। ऐसे में इस आधार पर मान सकते हैं कि बच्चे दूध के मुकाबले दही को आसानी से पचा पाते हैं।
अब बारी आती है दही के सही चुनाव के बारे में टिप्स जानने की।
बच्चों के लिए सही दही का चुनाव कैसे करें
बच्चों के लिए सही दही का चुनाव करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –
बच्चों के लिए हमेशा सादे दही का चुनाव करें।
दही का चुनाव करते समय उसके लेवल को चेक कर सकते हैं। इससे उसमें मौजूद पौष्टिक तत्वों की जानकारी मिल जाएगी।
अगर दही बाजार से खरीद रहे हैं तो हमेशा ताजी दही का ही चुनाव करें।
दही खरीदते समय पैकेजिंग पर लिखी गई एक्सपायरी डेट को जरूर चेक कर लें।
बच्चों के लिए हमेशा पाश्चुरीकृत (Pasteurized) दूध से बने दही का ही चुनाव करें। बिना पाश्चुरीकृत वाले दही में हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जो बच्चों के लिए हानिकारक हो सकते हैं (1)।
स्क्रॉल कर पढ़ें बच्चों के लिए सादा दही क्यों अच्छा माना जाता है।
शिशु के लिए बिना फ्लेवर्ड या सादा दही अच्छा क्यों है?
छोटे बच्चों को दही खिलाना तो फायदेमंद माना जा सकता है, लेकिन बच्चों को हमेशा सादा दही खिलाने की ही सलाह दी जाती है। सादा या नेचुरल दही या डेयरी प्रोडक्ट में चीनी की मात्रा कम होती है, जबकि फ्लेवर्ड दही या डेयरी प्रोडक्ट में चीनी मिली हुई होती है। ऐसे में से बच्चों को दांत में सड़न की समस्या हो सकती है। इसके अलावा बच्चों का वजन भी बढ़ सकता है। वहीं, कुछ अध्ययनों के मुताबिक, अन्य चीनी उत्पादों के की तुलना में लैक्टोज कम कारियोजेनिक (Cariogenic- दांतों में सड़न का कारण) होता है (8)। यही कारण है कि बच्चों को फ्लेवर्ड की जगह सादा दही खिलाने की सलाह दी जाती है। इसलिए बच्चे के खाने-पीने की आदतों में फ्लेवर्ड चीजों को दूर रखने की कोशिश करें।
लेख के इस भाग में जानिए सादे दही के स्वाद को बेहतर बनाने के टिप्स।
सादे दही का स्वाद कैसे बेहतर बनाया जा सकता है?
यूं तो बच्चों को हमेशा सादा दही खिलाने की ही सलाह दी जाती है। वहीं, अगर कोई मां अपने बच्चों को खिलाने वाले दही में एक अलग स्वाद जोड़ना चाहती हैं, तो उसमें कुछ फलों जैसे – सेब, कीवी को छोटे टुकड़ों में काट कर मिला सकती हैं। इसके अलावा चाहें तो दही में ओट्स भी मिलाकर बच्चों को खिला सकते हैं। इस तरह से दही के स्वाद और पौष्टिकता को और बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि बच्चों के लिए सेब, कीवी और ओट्स तीनों को सुरक्षित माना गया है (27)।
आगे पढ़ें बच्चों को दही खिलाने के समय ध्यान रखने वाली बातों के बारे में।
बच्चों को दही देते समय बरती जाने वाली सावधानियां
शिशुओं को दही का सेवन कराते समय इन बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए-
बच्चों को हमेशा घर का बना दही ही देने की कोशिश करें।
डॉक्टर के परामर्श पर शिशुओं को फुल फैट दही दें।
बच्चों को दही देते समय उसमें चीनी या शहद न डालें। खासकर तब जब बच्चा एक साल से छोटा हो। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों को शहद देने पर इन्फेंट बॉटुलिज्म (Infant botulism – बैक्टीरिया के वजा से होने वाली गंभीर बीमारी) की समस्या हो सकती है (28)। वहीं, चीनी बच्चों की दांतों में सड़न का कारण बन सकता है (29)।
छोटे बच्चों को अधिक ठंडी दही का सेवन न कराएं।
दही का स्वाद बढ़ाने के लिए उसमें फलों को मिलाते वक्त ध्यान रखें कि फलों के टुकड़े छोटे हो। बड़े टुकड़े के कारण बच्चों में चोकिंग का खतरा बन सकता है।
बच्चों को रात में दही का सेवन न कराने से बचें।
लेख के अंत में जाने बच्चों के लिए दही के स्वादिष्ट रेसिपीज।
बच्चों के लिए दही से बनने वाली टेस्टी रेसिपीज
यहां हम बच्चों के लिए दही के कुछ स्वादिष्ट और पौष्टिक रेसिपीज साझा कर रहे हैं। माता-पिता आसानी से इन्हें बनाकर बच्चों को खिला सकते हैं। तो बच्चों के लिए दही से बनने वाली रेसिपीज कुछ इस प्रकार हैं:
1. दही चावल
Dahi Chawal
सामग्री :
1 कप चावल
1 कप दही
1 बाउल
बनाने की विधि :
दही चावल बनाने के लिए एक बर्तन में चावल को अच्छी तरह से धो लें।
फिर उसे प्रेशर कुकर में पानी के साथ डालकर पकने के लिए चढ़ा दें।
दूसरी तरफ एक बाउल में दही को अच्छी तरह से फेंट लें।
जब चावल पक जाए तो उसे थोड़ा ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
ठंडा होने के बाद दही में चावल को अच्छे से मिला लें और बच्चे को परोसें।
2. दही रायता
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सामग्री :
1 कप दही
1 चम्मच बूंदी (घर का बना हुआ)
बनाने की विधि :
सबसे पहले दही को एक बाउल में डालकर उसे अच्छे से फेंट लें।
अब इसमें घर का बना हुआ बूंदी मिलाएं।
फिर पराठे या रोटी के साथ इस रायता को बच्चों को दें।
चाहें तो बच्चे को फ्रूट रायता भी दे सकते हैं। करना बस इतना है कि दही में बूंदी की जगह फलों को छोटे टुकड़ों में मिला दें।
3. दही ओट्स
dahi-oats
सामग्री :
1 कप दही
आधा कप ओट्स
1 बाउल
बनाने की विधि:
दही ओट्स बनाने के लिए सबसे पहले दही को एक बाउल में अच्छे से फेंट लें।
अब इसमें ओट्स मिलाएं। अगर शिशु एक साल से छोटा है तो कोशिश करें कि बच्चों के लिए ओट्स पाउडर का इस्तेमाल करें।
इस तरह तैयार हो जाएगा, शिशुओं का भोजन दही ओट्स।
आशा करते हैं कि इस लेख को पढ़ने के बाद बच्चों को दही खिलाने के लाभ और उपयोग के बारे में आपको उचित जानकारी मिल गई होगी। इसके अलावा यहां हमने शिशुओं को दही खिलाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी बताया है। तो ऐसे में बच्चों को दही खिलाने के समय लेख में बताई गई बातों का ध्यान जरूर रखें। उम्मीद है हमारा यह लेख आपके लिए उपयोगी रहा होगा। शिशु स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही अन्य विषयों के बारे में जानने के लिए जुड़े रहिए मॉमजंक्शन से।
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