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ठंडमें बच्चों को सर्दी, खांसी होने पर तुरंत एंटीबायोटिक देने की जरूरत नहीं होती है। यदि पांच रोज बाद भी स्थिति बरकरार रहे या सांस तेज चलने लगे, सांस लेने में दिक्कत हो या फिर बच्चा कहरने लगे तो एंटीबायोटिक की जरूरत होती है। दो-तीन दिन की सर्दी-खांसी में एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं होती है।
बच्चों को दमा भी इस मौसम में परेशान करता है। छोटे बच्चों को ठंड के मौसम में बार-बार बाहर नहीं निकलना चाहिए। तेल लगाने के लिए बार-बार कपड़ा खोलने पर बच्चा कोल्ड स्ट्रेस में चला जाता है। ध्यान रहे कि बच्चे का पैर, हाथ और सिर खुला नहीं रहना चाहिए। मां यदि बच्चे को सीने लगा कर रखे तो बहुत बढ़िया। इससे बच्चे को गर्माहट मिलती है और बेहतर तरीके से फीड भी करता है। बहुत कम वजन के बच्चे को कंगारू मातृ सेवा बहुत लाभदायक होता है। इसमें मां बच्चे को सीने से लगाकर रखती है। जिस घर में बच्चा सोता है उस घर में बोरसी (धुआं वाला) आदि नहीं जलाए। यह बच्चे को नुकसान करता है।
ठंड में बच्चों का हाथ, पैर और सिर गर्म रहना चाहिए। क्योंकि इन्हीं तीन जगह से बच्चों को ठंड लगने की संभावना रहती है। यह ध्यान रहना चाहिए कि बच्चा कमरे से बाहर बेवजह बार-बार नहीं निकले या फिर छोटे बच्चे को बाहर नहीं निकालना चाहिए। बच्चा नवजात है तो उसे रात में देखते रहना चाहिए। यदि वह बिस्तर गिला किया तो तुरंत उसे ठीक कर देना चाहिए। नहीं इससे भी बच्चे को ठंड लगने की संभावना रहती है।
बच्चों को बुखार में कौन सी एंटीबायोटिक देनी चाहिए?
बुखार होने पर पारासिटामोल का उपयोग करें। कोई एंटीबायोटिक्स देने की जरूरत नहीं है।
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