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एक नहीं कई तरह का होता है मिसकैरेज, समझें और फिर करवाएं इलाज
किसी भी महिला के लिए मिसकैरेज होना शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ादायक होता है। हर महिला को अलग कारण से गर्भपात हो सकता है।
types of miscarriage in hindi
एक नहीं कई तरह का होता है मिसकैरेज, समझें और फिर करवाएं इलाज
गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में भ्रूण का मर जाना मिसकैरेज कहलाता है। प्रेग्नेंसी के 20वें हफ्ते से पहले भ्रूण के नष्ट होने को मिसकैरेज का नाम दिया जाता है। मिसकैरेज होने पर पेट में तेज दर्द, ऐंठन, धीरे-धीरे वैजाइनल ब्लीडिंग का बढ़ना, बुखार, कमर में दर्द और बेवजह कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
ऐसा जरूरी नहीं है कि हर महिला का एक ही वजह से मिसकैरेज हो और इसके प्रकार भी अलग-अलग होते हैं। आज हम आपको मिसकैरेज के प्रकार के बारे में बता रहे हैं।
थ्रेटेंड और इनएविटेबल मिसकैरेज
प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही के दौरान वैजाइनल ब्लीडिंग के लिए थ्रेटेंड मिसकैरेज की टर्म इस्तेमाल की जाती है। इसमें गर्भाशय ग्रीवा बंद ही रहती है। वैजाइनल ब्लीडिंग के साथ-साथ इसमें पेट में तेज दर्द और कमर के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता है।
प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में योनि से अधिक ब्लीडिंग होना और पेट में तेज ऐंठन उठने को इनएविटेबल मिसकैरेज कहते हैं। इसमें गर्भ नलिका चौड़ी हो जाती है। इससे पता चलता है कि शरीर प्रेग्नेंसी को खत्म करने के लिए तैयार हो रहा है।
कंप्लीट और इनकंप्लीट मिसकैरेज
जब सभी प्रेग्नेंसी टिश्यू गर्भाशय से निकल जाते हैं तो इसे कंप्लीट मिसकैरेज कहा जाता है। इसमें पेट में तेज दर्द, योनि से अधिक ब्लीडिंग होता है।
इनकंप्लीट मिसकैरेज में भी योनि से अधिक ब्लीडिंग और तेज दर्द होता है। इसमें भी गर्भाशय ग्रीवा खुला रहता है। हालांकि, सारे प्रेग्नेंसी टिश्यू बाहर नहीं आते हैं और इसका पता अल्ट्रासाउंड से चलता है।
मिस्ड मिसकैरेज
जब गर्भावस्था में बहुत पहले ही भ्रूण मर जाता है और मां के पेट में ऊतक रह जाते हैं तो इसे मिस्ड मिसकैरेज कहते हैं। यदि प्लेसेंटा से जरूरी हार्मोंस रिलीज होते रहें, तो महिला को प्रेग्नेंसी के लक्षण महसूस हो सकते हैं लेकिन धीरे-धीरे इनमें कमी आती रहती है। कुछ महिलाओं में इस तरह का मिसकैरेज होने पर योनि से डिस्चार्ज और ऐंठन हो सकती है।
इसके अलावा तीन या इससे ज्यादा बार मिसकैरेज होने काे रिकरंट मिसकैरेज कहा जाता है। बहुत कम महिलाओं के साथ ऐसा होता है।
ब्लाइटेड ओवम और केमिकल मिसकैरेज
इस प्रकार के मिसकैरेज में फर्टिलाइज एग गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है लेकिन भ्रूण के रूप में विकसित नहीं हो पाता है। ब्लाइटेड ओवम के दौरान जेस्टेशनल सैक खाली रहता है और डीएंडसी से उसे निकालने की जरूरत पड़ती है।
गर्भधारण करने के बाद बहुत जल्दी ही यह मिसकैरेज हो जाता है। आमतौर पर यह प्रेग्नेंसी के चौथे या पांचवे हफ्ते में होता है। अल्ट्रासाउंड में प्रेग्नेंसी का पता चलने से पहले ही यह मिसकैरेज हो जाता है। शुक्राणु से एग फर्टिलाइज तो हो जाता है लेकिन भ्रूण के रूप में विकसित नहीं होता है।
अन्य प्रकार के मिसकैरेज
जब भ्रूण गर्भाशय के बाहर इंप्लांट हो जाता है, तो एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होती है। इसमें भ्रूण जीवित नहीं रह पाता है। इस तरह के मिसकैरेज में योनि से ब्लीडिंग और उल्टी होती है।
इसके अलावा जब प्रेग्नेंसी टिश्यू गर्भायाय के अंदर असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं, तो इस स्थिति को मोलर प्रेग्नेंसी कहते हैं। इसमें सर्जरी की मदद से तुरंत ऊतकों को हटाया जाता है।
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