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गर्भावस्था की शुरुआत में पेट के बल सोने में कोई दिक्कत नहीं है। इस चरण में, आपका गर्भाशय अभी भी पुरोनितंबस्थि (प्यूबिक बोन) के पीछे की तरफ बसा होता है, इसलिए आपका शिशु पूरी तरह सुरक्षित होता है। हालांकि, संवेदनशील स्तन होने की वजह से आपको पेट के बल लेटने पर उनमें दर्द महसूस हो सकता है, मगर स्तनों के नीचे तकिया लगाने से शायद आपको आराम मिलेगा।
गर्भावस्था के अंतिम चरण में बढ़ते पेट की वजह से उल्टा सो पाना मुश्किल हो सकता है। आप शायद खुद असहज महसूस करेंगी, और इससे पहले कि आपके शिशु को परेशानी हो आप खुद अपने सोने की अवस्था बदल लेंगी।
विशेषज्ञ गर्भावस्था में सामान्यत: करवट लेकर सोने की सलाह देते हैं (खासकर कि बाईं तरफ)। यह अवस्था आपके शिशु के लिए सबसे बेहतर है, क्योंकि यह अपरा (प्लेसेंटा) तक खून और पोषक तत्वों का प्रवाह बनाए रखने में मदद करती है।
यह अपशिष्ट उत्पादों और तरल पदार्थों को शरीर से निकालने में आपके गुर्दों की सहायता करती है। इससे यदि आपके टखनों, पैरों और हाथों में सूजन हो, तो उसे कम करने में मदद मिलती है।
16 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद पीठ के बल सोना सही नहीं रहता। ऐसा इसलिए क्योंकि आपका शिशु उस नस पर दबाव डालता है, जो कि आपके शरीर के निचले हिस्से से ह्दय तक रक्त वापस पहुंचाती है।
बहरहाल, अपरा और आपके शिशु तक रक्त का प्रवाह तभी प्रभावित हो सकता है, जब आप बहुत लंबे समय तक पीठ के बल लेटी रहें। गर्भावस्था के अंतिम चरण में आपको पीठ के बल लेटे रहने के बाद बेहोशी या उनींदापन सा महसूस हो सकता है।
साथ ही, पीठ के बल सोने से आपके बढ़ते गर्भाशय का वजन पीठ पर पड़ता है। यदि आपको सांस की कमी या एसिडिटी जैसी समस्या हों, खासकर कि तीसरी तिमाही में, तो तकिये लगाकर खुद को थोड़ा ऊंचा करके सोना फायदेमंद हो सकता है।
अलग-अलग अवस्थाओं में आरामपूर्वक सोने के सुझाव:
बाईं तरफ करवट लेकर अपनी टांगों को मोड़ते हुए या उन्हें सीधा करके सोते समय टांगों के बीच तकिया लगा लें।
कूल्हे की हड्डी के नीचे एक तकिया लगा लें और दूसरा तकिया अपनी छाती के नीचे लगाएं, इस तरह अपने पेट और शिशु को दोनों तकियों के बीच पालने की तरह झुलाने वाली स्थिति में रखें। इससे आपके पेट और अजन्मे शिशु पर से दबाव हटाने में मदद मिलती है।
आप अपनी एक साइड में तकिया लगाकर अपनी टांग उसपर रखकर सो सकती हैं, ताकि आपके पेट पर से थोड़ा दबाव कम हो।
लंबे समय तक करवट लेकर सोने से आपके कूल्हों पर दबाव पड़ सकता है। अधिक आराम के लिए मुलायम फोम की छोटी शीट अपने गद्दे के ऊपर और चादर के नीचे बिछा लें।
निस्संदेह, हम सभी रात में सोते समय अपनी मुद्रा बदलते रहते हैं। आपको इन अलग-अलग अवस्थाओं का आदि होने में भी समय लग सकता है। इसलिए यदि आप रात में उठें और खुद को पीठ या पेट के बल सोता हुआ पाएं, तो चिंतित न हों। फिर से करवट लेकर लेट जाएं, और दोबारा सोने से पहले जितना हो सके उतना आरामदेह स्थिति में आ जाएं।
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