क्या लेट लेट प्लेसेंटा के लिए बेड रेस्ट जरूरी है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:26

बेड रेस्ट का क्या मतलब है?

बेड रेस्ट का मतलब होता है शारीरिक गतिविधियां करने से बचना, जो दो तरह से हो सकता है। एक साधारण बेड रेस्ट, जिसमें ऐसी किसी शारीरिक गतिविधि करने से बचने की सलाह दी जाती है, जिसमें मांसपेशियों पर दबाव पड़े जैसे वजन उठाना व जिम जाना आदि। दूसरा होता है एंटीपार्टम बेड रेस्ट (antepartum bed rest)। इस दौरान, बिस्तर से उठ कर सिर्फ बाथरूम का उपयोग करने तक की शारीरिक गतिविधि करने के लिए ही कहा जाता है। ऐसा सिर्फ गंभीर परिस्थितियों में डॉक्टरी परामर्श पर ही किया जाता है और इस बात पर कोई शोध उपलब्ध नहीं है कि यह कितना प्रभावशाली होगा (2)।

नोट : ऐसी आम धारणा है कि गर्भावस्था के दौरान बिस्तर पर आराम करने से कई समस्याएं दूर हो जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं है। इस बारे में कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है, जो यह पुष्टि कर सके कि गर्भावस्था के दौरान पूर्ण आराम करने से महिला और होने वाले शिशु को फायदा होगा। बेड रेस्ट सिर्फ गंभीर परिस्थितियों में डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। ऐसे कई शोध हैं, जो गर्भावस्था के दौरान बेड रेस्ट करने से होने वाले इसके दुष्प्रभाव के बारे में बताते हैं।

प्रेगनेंसी में बिस्तर पर आराम करने की सलाह डॉक्टर आपको कब देते हैं?

गर्भावस्था के शुरूआती दिनों से ही डॉक्टर कुछ सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं, लेकिन कुछ परिस्थितियों में गर्भवती के स्वास्थ्य को देखते हुए डॉक्टर पूरी तरह बेड रेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं। वो परिस्थितियां कुछ इस प्रकार हो सकती हैं:

प्लेसेंटा प्रिविया : इस समस्या में जरायु या खराई जिसे प्लेसेंटा भी कहते हैं, गर्भाशय के निचले हिस्से की तरफ बढ़ने लगता है और गर्भाशय ग्रीवा (cervix) को कवर कर लेता है। इसे प्लेसेंटा प्रिविया कहा जाता है। गर्भाशय ग्रीवा के पूरी तरह ढक जाने से गर्भवती को नॉर्मल प्रसव में समस्या आ सकती है और सी-सेक्शन प्रसव करने की जरूरत पड़ सकती है। साथ ही यह गर्भावस्था में दर्द व रक्तस्राव का भी कारण बन सकता है (4)।

प्रीएक्लेम्पसिया : गर्भावस्था के लगभग 20वें हफ्ते के आसपास होने वाले उच्च रक्तचाप को प्रीएक्लेम्पसिया कहा जाता है। इस दौरान गर्भवती की यूरिन में प्रोटीन आने लगता है और इससे महिला का लिवर व किडनी प्रभावित हो सकते हैं। प्रीएक्लेम्पसिया के कारण महिला का समय से पहले प्रसव (प्रीमैच्योर डिलीवरी) भी हो सकता है (5)।

गर्भाशय ग्रीवा की अपर्याप्तता (Cervical Insufficiency) : इस समस्या में प्रसव के निर्धारित समय से पहले ही गर्भाशय ग्रीवा अपने आप खुलने लगती है, जिस वजह से गर्भपात हो सकता है। यह गर्भावस्था के 13वें से 24वें हफ्ते के बीच हो सकता है। ऐसे में बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी जा सकती है ताकि अतिरिक्त भार से गर्भाशय ग्रीवा को बचाया जा सके (6)।

योनी से रक्तस्राव: गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण में योनी से हल्का रक्तस्राव होना आम है, लेकिन बाद में यह गर्भपात का कारण बन सकता है। ऐसे में गर्भवती को बेड रेस्ट करने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि बेड रेस्ट योनी से रक्तस्राव कम करने में मदद कर सकता है (7)।

ओलिगोहीदृम्निओस (Oligohydramnios): गर्भाशय में भ्रूण के आसपास एक पीला तरल पदार्थ होता है, जिसे एमनियोटिक द्रव कहा जाता है। यह भ्रूण को सुरक्षित रखता है और उसके शारीरिक विकास में मदद करता है। गर्भाशय में इस एमनियोटिक द्रव की कमी को ओलिगोहीदृम्निओस कहा जाता है। इस स्थिति में डॉक्टर बेड रेस्ट की सलाह दे सकते हैं (8)।

एक से ज्यादा गर्भ : जिन महिलाओं के गर्भ में जुड़वां या उससे ज्यादा भ्रूण होते हैं, उन्हें सामान्य से ज्यादा जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में उन्हें ज्यादा बेड रेस्ट करने की सलाह दी जा सकती है। हालांकि, बेड रेस्ट इन जटिलताओं को कम करने में कितना लाभकारी हो सकता है, इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ कहना मुश्किल है। इसलिए, उन्हें एंटीपार्टम बेड रेस्ट की जगह सामान्य बेड रेस्ट करने का सुझाव दिया जा सकता है (9)।

प्रीमेच्योर डिलीवरी : जब महिला का प्रसव समय से पूर्व हो जाता है, तो उसे प्रीमेच्योर डिलीवरी कहते हैं। जिन महिलाओं को प्रसव समय से पहले हो जाता है, उन्हें भविष्य में कई प्रकार की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, प्रीमेच्योर डिलीवरी के खतरे को कम करने के लिए सबसे पहले बेड रेस्ट करने का सुझाव दिया जा सकता है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह कितना लाभकारी होगा (10)।

क्या गर्भावस्था के दौरान बिस्तर पर आराम करने का कोई जोखिम है?

अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान जरूरत से ज्यादा समय बिस्तर पर बिता रही है, तो उसे निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है (2):

मांसपेशियों में अकड़न

ऑस्टियोपोरोसिस (कमजोर हड्डियां)

गर्भवती के वजन में कमी

जन्म के समय शिशु के वजन में कमी

मनोवैज्ञानिक समस्याएं (अवसाद, एंग्जायटी, स्ट्रेस)

थ्रोमबाउसिस (नसों में खून के थक्के)

आगे जानिये कि बेड रेस्ट करना एक गर्भवती के जीवन को किस तरह प्रभावित कर सकता है।
बिस्तर पर पूर्ण आराम आपके जीवन को कैसे प्रभावित करेगा?

एक महिला की गर्भावस्था के पहले और गर्भावस्था के दौरान की जीवनशैली में बहुत फर्क होता है। इस दौरान कई आदतें छोड़नी पड़ती हैं और कुछ नई आदतों को अपनाना पड़ता है, जिस वजह से जीवन प्रभावित होता है। ऐसे में, बिस्तर पर पूर्ण आराम भी गर्भवती महिला के जीवन पर कुछ असर डाल सकता है। शारीरिक प्रभाव के अलावा, यह प्रभाव मनोवैज्ञानिक भी हो सकता है, जैसे (2):

अधिक समय बिस्तर पर बिताने से आपको बोरियत महसूस हो सकती है।

ऐसे में आपको अपने परिवार का ठीक तरह से ध्यान न रख पाने की चिंता होने लगती है।

खाली समय में अपनी गर्भावस्था के बारे में ज्यादा सोचना और होने वाले शिशु की चिंता करना।

बीमार होने की भावना आना।

जीवन पर अनियंत्रण की भावना आना।

प्रेगनेंसी में बेड रेस्ट के लिए मैं अपने आप को कैसे तैयार करूं?

जब डॉक्टर आपको बेड रेस्ट करने की सलाह देते हैं, तो आपके पास शारीरिक गतिविधियों के ज्यादा विकल्प नहीं होते है। ऐसे में आप ऐसे काम कर सकती हैं, जिनमें आपके शरीर व गर्भाशय पर दबाव न पड़े, जैसे:

स्वयं को तैयार करें : सबसे पहले स्वयं को मानसिक रूप से तैयार करें कि आप अपना दिन कैसे बिताना पसंद करेंगी। साथ ही इस बात का भी पता लगाएं कि आपको क्या करने की अनुमति है और क्या करने की नहीं और उस हिसाब से अपने दिन का प्लान बनाएं।

घर के दैनिक काम : इस दौरान, आपको ज्यादातर घर के काम करने की अनुमति नहीं होगी। इसलिए, अपनी मदद के लिए आप मेड ढूंढ लें, ताकि आपको घर के कामों की ज्यादा चिंता न हो। साथ ही, अगर आपको घर से ऑफिस का काम करने की अनुमति हो, तो आप वह भी कर सकती हैं।

अपने मनपसंद काम करें : इसमें आप किताब पढ़ सकती हैं, फिल्म देख सकती हैं या कोई भी ऐसा काम जो आपको पसंद हो और उसे करने में ज्यादा मेहनत न लगे। ऐसे में आपको बोरियत नहीं होगी और आप इस समय का भरपूर आनंद ले पाएंगी।

आपातकालीन स्थितियों की तैयारी : ध्यान रखें कि आपातकालीन स्थितियों के लिए कोई न कोई हमेशा आपके पास रहे। इसमें आपके पति, परिवार के लोग व मित्र आदि कोई भी हो सकता है। साथ ही हमेशा अपने फोन को चार्ज रखें और उसमें परिवार व मित्रों के साथ सभी जरूरी लोग जैसे डॉक्टर, एम्बुलेंस, केमिस्ट शॉप व मेड आदि के नंबर रखें।

शिशु के लिए प्लानिंग : घर में बैठे-बैठे आप अपने होने वाले शिशु के लिए खरीददारी कर सकती हैं। आप उसके लिए कपड़े, खिलौने और बाकी जरूरत का सामान खरीद सकती हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन विडियो और लेख की मदद से आप यह भी सीख सकती हैं कि नवजात का ध्यान कैसे रखा जाए और उसके लिए आवश्यक चीजें क्या हैं।

बेड रेस्ट के कारण होने वाली बेचैनी से कैसे निपटें?

ज्यादा समय तक लेटे रहने से मांसपेशियां अकड़ने लगती हैं। इससे आपको थकान का भी अहसास हो सकता है और कमजोर हड्डियों की वजह से जोड़ों में दर्द शुरू हो सकती है। ऐसे में आप पलंग पर लेटकर 15 से 20 मिनट तक कुछ एक्सरसाइज कर सकती हैं, जिससे आपकी शारीरिक गतिविधियां भी होगी और आपके गर्भाशय पर दबाव भी नहीं पड़ेगा (12)।

गर्दन और कंधों के लिए : इस एक्सरसाइज को बैठ कर और लेट कर, दोनों तरह से किया जा सकता है। अगर डॉक्टर ने आपको बैठने से मना किया है, तो आप यह एक्सरसाइज लेट कर भी कर सकती हैं। इसे कुछ इस से किया जाएगा :

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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