क्या स्ट्रेस प्रेगनेंसी में स्पॉटिंग का कारण बन सकता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 21st Oct 2022 : 15:40

प्रेग्‍नेंसी के शुरुआती दिन बहुत नाजुक होते हैं और इस समय मिसकैरेज होने का भी खतरा सबसे ज्‍यादा रहता है। इस समय गर्भवती महिलाओं को हल्‍की ब्‍लीडिंग या स्‍पॉटिंग हो सकती है। कंसीव करने के बाद ब्‍लीडिंग होने पर, अक्‍सर महिलाएं घबरा जाती हैं क्‍योंकि ब्‍लीडिंग को मिसकैरेज का संकेत माना जाता है।

गर्भावस्‍था के शुरुआती दिनों में ब्‍लीडिंग या स्‍पॉटिंग होना, हमेशा किसी परेशानी का संकेत नहीं होता है। ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्‍हें प्रेग्‍नेंसी के शुरुआती दिनों में ब्‍ल‍ीडिंग या स्‍पॉटिंग होने के बाद नॉर्मल प्रेग्‍नेंसी रहती है और स्‍वस्‍थ शिशु को जन्‍म देती हैं।

​ब्‍लीडिंग या स्‍पॉटिंग के कारण

अगर एक या दो दिन ब्‍लीडिंग हो रही है, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। लेकिन कई बार कुछ गंभीर कारणों से गर्भवती महिला को शुरुआती दिनों में ब्‍लीडिंग या स्‍पॉटिंग हो सकती है।
इस समय महिलाओं को इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग, सर्विकल पोलिप, सेक्‍स, मिसकैरेज, जुड़वा या तीन बच्‍चे, एक्‍टोपिक प्रेग्‍नेंसी, मोलर प्रेग्‍नेंसी की वजह से ब्‍लीडिंग या स्‍पॉटिंग हो सकती है।

स्पॉटिंग होने के कारण

मोटापा, बहुत ज़्यादा कसरत, और तनाव ये कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे ब्लीडिंग में अनियमितता हो सकती है। स्पॉटिंग होने के पीछे कई और भी कारण हो सकते हैं। प्रोजेस्ट्रोन एक ऐसा फ़ीमेल सेक्स हॉर्मोन है जो मेंस्ट्रुअल साइकिल के लिए ज़िम्मेदार होता है। प्रोजेस्ट्रोन के लेवल कम होने से एब्नॉर्मल यूटेरिन ब्लीडिंग होती है, जिसे पीरियड के पहले होने वाली स्पॉटिंग कहते हैं। इसके अलावा जो आम कारण हैं, वो हैं:

अगर आप हॉर्मोन से जुड़ी गर्भ निरोधक गोलियाँ ले रहीं हैं तो शुरुआती तीन महीनों में स्पॉटिंग होना बहुत आम बात है। मेडिककल की भाषा में इसे ‘ब्रेकथ्रू ब्लीडिंग’ कहा जाता है।
गोनोरिया या क्लेमाइडिया जैसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ (STD) से यूटेरस में सूजन आती है।
ब्लड क्लॉटिंग से जुड़ी परेशानियाँ, लिवर, किडनी की बिमारी या श्रोणि से जुड़े अंगों/पेल्विक ऑर्गन में संक्रमण
फाइब्रॉइड या पॉलिप्स का बनना। ये नॉन-कैंसरस ट्यूमर हैं जो यूटेरस लाइनिंग पर बन जाते हैं।
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOD) ओवरी/अंडाशय के काम में रुकावट पैदा करता है। हर महीना जिस तरह से होना चाहिए वैसे एग नहीं निकाले जाते हैं, और फ्लूइड से भरे फॉलिकल एग को घेर लेते हैं, जिसकी वजह से अनियमित पीरियड और स्पॉटिंग होती है।
इंट्रायूटेरिन डिवाइस (IUD) से स्पॉटिंग होने या हैवी पीरियड होने की संभावना बढ़ जाती है।
पेरीमेनोपॉज़ भी एक कंडीशन है जोकि तब उत्पन्न होती है जब आप मेनोपॉज़ के करीब होती हैं। इससे यूटेरस की लाइनिंग मोटी हो जाती है और पीरियड अनियमित हो जाते हैं, जिससे स्पॉटिंग भी हो सकती है।
मेनोपॉज़ एक स्त्री के जीवन की वह अवस्था है जब पीरियड पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। मेनोपॉज़ से जुड़े बदलाव आगे चलकर हैवी पीरियड का कारण बनते हैं, जिससे धीरे-धीरे अनियमित स्पॉटिंग होने लगती है।
प्रेगनेंसी की शुरुआत में भी स्पॉटिंग देखने को मिलती है। यह एक इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग है जो फर्टिलाइज़्ड एग के यूटेरस लाइनिंग से जुड़ने के बाद होती है।

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