क्या हाई एमनियोटिक फ्लूइड से नॉर्मल डिलीवरी संभव है?pregnancytips.in

Posted on Fri 14th Oct 2022 : 16:45

गर्भ के अंदर शिशु को एम्निओटिक फ्लूइड सुरक्षा प्रदान करता है लेकिन अगर इसी की मात्रा बढ़ जाए तो मुश्किल आ सकती है।

पेट में शिशु का कवच बनने वाला फ्लूइड ही कैसे पहुंचा सकता है उसे नुकसान
गर्भ में शिशु को एक कुशन की तरह सुरक्षा देता है एम्‍निओटिक फ्लूइड। यह शिशु के फेफड़ों, पाचन मार्ग और मांसपेशियों के विकास में भी मदद करता है। यदि एम्निओटिक फ्लूइड कम या ज्‍यादा हो जाए तो इसकी वजह से कुछ कॉम्प्लिकेशंस आ सकती हैं।

पॉलीहाइड्रेमिनोस क्‍या होता है

जब गर्भस्‍थ शिशु के आसपास बहुत ज्‍यादा एम्निओटिक फ्लूइड बन जाता है तो इसे पॉलीहाइड्रेमिनोस कहते हैं। यूके की फीटल मेडिसिन फाउंडेशन के अनुसरी 100 में से एक मामले में पॉलीहाइड्रेमिनोस होता है।

आमतौर पर डॉक्‍टर अल्‍ट्रासाउंड की मदद से एम्निओटिक फ्लूइड के लेवल का पता लगाते हैं। एम्निओटिक फ्लूइड की नॉर्मल वैल्‍यू 500 से 1000 मिली के बीच होनी चाहिए। अगर इससे ज्‍यादा हो, तो इसकी वजह से प्रेग्‍नेंसी में कुछ मुश्किलें आ सकती हैं।
​पॉलीहाइड्रेमिनोस के कारण

रोचेस्‍टर मेडिकल सेंटर ऑफ यू‍निवर्सिटी के अनुसार जिन महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी से पहले डायबिटीज हो या जेस्‍टेशनल डायबिटीज हो, तो उन्‍हें पॉलीहाइड्रेमिनोस का खतरा रहता है।

जुड़वा बच्‍चे होने पर दोनों शिशु एक ही प्‍लेसेंटा शेयर करते हैं। इसमें हो सकता है कि एक बच्‍चे को कम एम्निओटिक फ्लूइड मिले और दूसरे को ज्‍यादा।

जन्‍मजात विकारों जैसे कि ड्योडेनल एट्रेसिया या हाइड्रॉप्‍स फेटालिस में भी पॉलीहाइड्रेमिनोस हो सकता है।

कुछ अन्‍य स्थितियों जैसे कि वायरल इंफेक्‍शन, फीटल एनीमिया और किडनी या हार्ट प्रॉब्‍लम में भी पॉलीहाइड्रेमिनोस हो सकता है।
​पॉलीहाइड्रेमिनोस के लक्षण

ज्‍यादा एम्निओटिक फ्लूइड के कारण गर्भाशय और आसपास के अंगों पर दबाव पड़ सकता है। इससे पेट में असहजता, सांस फूलना, ऐंठन, पेट की दीवारों और पैरों में सूजन, शिशु की पोजीशन में बदलाव, गर्भाशय का साइज प्रेग्‍नेंसी के हिसाब से ज्‍यादा बढ़ने जैसे लक्षण सामने आते हैं।
​जोखिम कारक क्‍या हैं

पॉलीहाइड्रेमिनोस हल्‍का, मध्‍यम या गंभीर हो सकता है। गंभीर मामलों में निम्‍न कॉम्‍प्‍लिकेशन हो सकती हैं :

ज्‍यादा फ्लूइड के कारण गर्भाशय फैल सकता है और इसकी वजह से प्रीटर्म लेबर हो सकता है।
एम्निओटिक थैली जल्‍दी फट सकती है।
एम्निओटिक फ्लूइड के लीक होने पर प्‍लेसेंटा एब्‍रप्‍शन हो सकता है।
अम्बिलिकल कॉर्ड योनि में गिर सकती है।
डिलीवरी के बाद ज्‍यादा ब्‍लीडिंग हो सकती है।
स्टिलबर्थ यानि पेट में ही बच्‍चे के मरने का खतरा होता है।
समय पर निदान से उपरोक्‍त‍ जटिलताओं को रोका जा सकता है।

​पॉलीहाइड्रेमिनोस का इलाज

दुर्लभ ही पॉलीहाइड्रेमिनोस में इलाज की जरूरत पड़ती है। हालांकि, एम्निओटिक फ्लूइड की मात्रा और शिशु की सेहत को मॉनिटर करने के लिए समय-समय पर अल्‍ट्रासाउंड किया जाता है।

कुछ दुर्लभ मामलों में सांस फूलने या प्रीटर्म डिलीवरी के जोखिम को कम करने के लिए एम्निओटिक फ्लूइड का लेवल कम भी किया जा सकता है। कारण, कंडीशन, लक्षण और प्रेग्‍नेंसी के महीने के हिसाब से ट्रीटमेंट की जाती है।
​तीन हैं इलाज

गर्भाशय में एम्निओटिक फ्लूइड ज्‍यादा होने पर डॉक्‍टर इसे कम करने के लिए दवा लिख सकते हैं। अगर फीटल कंडीशन के कारण यह स्थिति उत्‍पन्‍न हुई है तो दवा से इसे ठीक किया जाता है।

एम्निओरिडक्‍शन, इस प्रक्रिया में डॉक्‍टर गर्भाशय के अंदर एक सुई डालकर अतिरिक्‍त एम्निओटिक फ्लूइड को बाहर निकाल लेते हैं। इसके अलावा अगर प्रॉब्‍लम ज्‍यादा बढ़ जाए तो डिलीवरी भी करवानी पड़ सकती है।

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