गरुड़ पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के उपाय?pregnancytips.in

Posted on Fri 8th Jan 2021 : 20:44

गरुड़ पुराण: अगला जन्म कहां लेना है, आप ऐसे निर्धारित कर सकते हैं
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ की विनती पर उन्हें जीवन, मरण, आत्मा और बंधन से जुड़े गूढ़ रहस्य बताएं हैं। इसी में श्रीहरि ने स्वयं अपने मुख से यह भी बताया है कि हम किस घर में जन्म लेंगे यह निर्धारित करना भी हमारे ही हाथ में होता है। साथ ही हमारे घर में किन गुणों और मनोभावों वाली संतान उत्पन्न हो, यह भी हमारे ही हाथ में है...

वैसे ही भाव के बच्चे का जन्म होता है
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वैसे ही भाव के बच्चे का जन्म होता है

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि गर्भाधान के समय स्त्री और पुरुष के मन में जिस तरह के भाव और विचार परोक्ष रूप से चल रहे होंगे, वैसे ही स्वभाव वाले जीव का प्रवेश गर्भ में होता है। इसलिए जरूरी है कि अपने विचारों में किसी तरह का छल न रखें।



ऐसे मिलता है कुलीन घर में जन्म
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ऐसे मिलता है कुलीन घर में जन्म

श्रीहरि कहते हैं कि पुण्यात्मा प्राणी पवित्र श्रीमान के घर में जन्म लेता है। अर्थात जो लोग अपने इस जन्म में अच्छे कर्म करते हैं, अपना आचरण सही रखते हैं और अपने कारण निर्दोष लोगों को कष्ट नहीं पहुंचने देते, ऐसी आत्माएं अगला जन्म बहुत ही सज्जन और संपन्न परिवार में लेती हैं।


इस समय पति-पत्नी का मिलन संतान के लिए ठीक नहीं
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इस समय पति-पत्नी का मिलन संतान के लिए ठीक नहीं

गरुड़ पुराण के अनसुार, ऋतुकाल शुरू होने के बाद 4 दिन के अंदर होनेवाला गर्भधान अच्छी संतान का कारक नहीं होता। इस समय पति-पत्नी को संयोग करने से बचना चाहिए वैसे आज कल चिकित्सा विज्ञान इन चीजों को नहीं मानता है। लेकिन जहां तक पुराणों का कथन है ऋतुकाल के 7 दिन छोड़कर आठवें दिन गर्भाधान हो जाए तो संतान दीर्घायु और योग्य होती है।

भाग्यवान संतान की प्राप्ति का दिन
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भाग्यवान संतान की प्राप्ति का दिन

गरुड़ पुराण के अनुसार, ऋतुकाल को 16 रात्रियों का माना जाता है। इस क्रम में 14वीं रात्रि को यदि गर्भाधान हो तो भाग्यवान, गुणवान, धर्म का पालन करनेवाली संतान उत्पन्न होती है।

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ऐसे समय पर होता है पुण्यात्मा का जन्म
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ऐसे समय पर होता है पुण्यात्मा का जन्म

मानव जीवन पर प्रभाव डालनेवाले शुभ ग्रह, जब अपनी उच्च स्थिति में होते हैं, उस समय यदि गर्भाधान हो जाए तो इससे उत्पन्न होनेवाली संतान एक पुण्यात्मा होती है। जो विनयशील, गुणवान और कुल का मान बढ़ानेवाली होती है।

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