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गर्भ गीता के फायदे / गर्भ संस्कार मंत्र – गर्भ गीता में कितने अध्याय हैं
गर्भ गीता के फायदे / गर्भ संस्कार मंत्र – गर्भ गीता में कितने अध्याय हैं – गर्भ गीता को एक अनोखा ग्रंथ माना जाता हैं. यह ग्रंथ ऐसा ग्रंथ है. जिसमें संपूर्ण प्रकार का ज्ञान समाहित किया गया हैं. भगवान श्री कृष्ण का वचन है की जो भी गर्भ गीता का चिंतन और मनन श्रद्धा पूर्वक करता हैं. वह व्यक्ति फिर से गर्भ वास धारण नहीं करता हैं. अर्थात व्यक्ति की आत्मा को मरण तथा जन्म से छुटकारा मिल जाता हैं.
वह आत्मा फिर से कभी गर्भ धारण करके जन्म नहीं लेती हैं. उस आत्मा को भगवान के श्री चरणों में स्थान मिलता हैं. ऐसा माना जाता है की अगर कोई गर्भवती महिला गर्भ गीता का श्रवण करती हैं. तो उसके शिशु की उन्नति होती हैं. तथा संस्कारी शिशु की प्राप्ति होती हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गर्भ गीता के फायदे तथा गर्भ संस्कार मंत्र बताने वाले हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
विषयसूची:
गर्भ गीता के फायदे
गर्भ संस्कार मंत्र
मंत्र-1
मंत्र-2
मंत्र-3
मंत्र-4
गर्भ गीता में कितने अध्याय हैं
गर्भ गीता का पहला अध्याय कौनसा है
निष्कर्ष
गर्भ गीता के फायदे
गर्भ गीता के कुछ फायदे हमने नीचे बताए हैं.
जो जातक गर्भ गीता का पाठ करता हैं. उसे गर्भ वास से छुटकारा मिलता हैं.
गर्भ गीता पढने से जातक को जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिलती हैं.
गर्भ गीता का पाठ करने से मनुष्य को संपूर्ण जीवन का सार समझ में आ जाता हैं.
गर्भ गीता का पाठ करने से मनुष्य को भगवान के श्री चरणों में स्थान मिलता हैं.
गर्भ गीता गीता का ही एक पार्ट हैं. उस पार्ट को अगर गर्भवती महिला सुनती हैं. तो अच्छे तथा संस्कारी संतान की प्राप्ति होती हैं.
गर्भ गीता का पाठ करना या सुनना गर्भवती महिला के लिए अतिउत्तम माना जाता हैं. हर एक गर्भवती महिला को गर्भ गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए. इससे आपका संतान अच्छे विचारों वाला बनेगा.
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गर्भ संस्कार मंत्र
हमने नीचे कुछ गर्भ संस्कार मंत्र बताए हैं. जिसका जाप गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान करना चाहिए. इससे गुणी तथा संस्कारी संतान की प्राप्ति होती हैं.
मंत्र-1
ओम भुर भुवः स्वाः,
तत सवितुर वरेण्यम,
भारगो देवस्य धिमही,
धियो यो ना प्रचोदयात
मंत्र-2
मनो जावं मारुता तुल्या वेगम”
जितेंद्रियं बुद्धि मातम वरिष्ठ,
वात आत्मजं वानर युथा मुखिया:
श्री राम दुतम शरणंम प्रपद्ये
मंत्र-3
या कुंडेंदु तुषारहारा धवला या शुभ्रा वस्त्रवृता”
या वीणा वरदंड मन्दिताकार या श्वेता पद्मासन
या ब्रह्मच्युत शंकर प्रभृतिबिहि देवैः सदा पूजित
सा मम पट्टू सरवती भगवती निश्शेष जद्यपहा
मंत्र-4
शांता आकाराम भुजगा शयनं पद्म नाभम सुरा ईशम”
विश्व आधारम गगन सद्र्शं मेघा वर्ण शुभ अंगगम,
लक्ष्मी कणतम कमला नयनम योगीबीर ध्यान गम्यम
वंदे विष्णुम भव भाया हरम सर्व लोक एक नाथम
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गर्भ गीता में कितने अध्याय हैं
गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं. गर्भ गीता भी गीता का ही एक हिस्सा हैं. लेकिन गर्भ गीता में कोई भी अध्याय नहीं हैं. गर्भ गीता में सिर्फ भगवान श्री कृष्ण तथा अर्जुन के बीच संवाद बताया गया हैं.
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गर्भ गीता का पहला अध्याय कौनसा है
गर्भ गीता में कोई भी अध्याय नहीं हैं. गर्भ गीता में भगवान श्रीकृष्ण तथा अर्जुन के बीच के संवाद का उल्लेख किया गया हैं.
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निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गर्भ गीता के फायदे तथा गर्भ संस्कार मंत्र बताए हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं. हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह गर्भ गीता के फायदे / गर्भ संस्कार मंत्र – गर्भ गीता में कितने अध्याय हैं आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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