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गर्भ ठहरने की आयुर्वेदिक दवाएं - Ayurvedic medicine for pregnancy in Hindi
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प्रेग्नेंट होना हर महिला का सपना होता है और जब ये सपना सपना पूरा नहीं होता, तो चिंता हो जाती है. यूं तो इनफर्टिलिटी के कई इलाज मौजूद हैं, लेकिन गर्भ ठहरने के लिए देसी दवा सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है. गर्भ ठहरने की देसी दवा के तौर पर डॉक्टर की सलाह पर अशोकारिष्ट, कंचनार गुग्गुल व पुष्यनुगा चूर्ण का सेवन किया जा सकता है.
आज इस लेख में आप जानेंगे कि गर्भ ठहरने के लिए कौन-कौन सी देसी दवाओं का सेवन किया जा सकता है -
गर्भधारण में फायदेमंद देसी दवाएं
पुष्यानुग चूर्ण
कुमारी असावा
फल घृत
अशोकारिष्ट
कंचनार गुग्गुल
सारांश
गर्भ ठहरने की आयुर्वेदिक दवाएं के डॉक्टर
गर्भधारण में फायदेमंद देसी दवाएं
गर्भ ठहरने के इलाज के लिए हमेशा एलोपैथिक दवाइयां ही नहीं, बल्कि देसी दवा भी सहायक होती हैं. गर्भ ठहरने की देसी दवा के तौर पर अशोकारिष्ट, कंचनार गुग्गुल व पुष्यनुगा चूर्ण के सेवन से प्रेग्नेंट होने में मदद मिली है. ये दवाएं मुख्य रूप से महिलाओं में बांझपन की समस्या को कम करने का प्रयास करती हैं. साथ ही शरीर को गर्भावस्था के लिए तैयार करती हैं. इन दवाओं के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है, लेकिन उससे पहले हम स्पष्ट कर दें कि सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही इनका सेवन करना चाहिए. आइए, इन दवाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं -
पुष्यानुग चूर्ण
यह चूर्ण योनि दोष पर काम करता है. इस चूर्ण को लेने से यूट्रस में आए किसी भी प्रकार के डिसऑर्डर को ठीक किया जाता है, ताकि यूट्रस तक स्पर्म आसानी से पहुंच सकें और गर्भ ठहरने की संभावना बढ़ सके. यह चूर्ण मासिक धर्म के डिसऑर्डर को भी दुरुस्त करने में मदद कर सके.
कुमारी असावा:
यह देसी दवा ओवेरियन डिस्फंक्शन को ठीक करने के काम आती है. यह मासिक धर्म को नियमित करने के साथ-साथ जननांग अंगों में रक्त को प्रवाह को बेहतर करती है. इससे महिला के गर्भवती होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.
फल घृत:
फल घृत को त्रिफला, मुस्ता, हरिद्रा और नींबू के रस को गाय के देसी घी में मिक्स करके तैयार किया जाता है. इसमें 13 अन्य जड़ी-बूटियां भी मिलाई जाती हैं, इसके बाद ही इस देसी दवा का इस्तेमाल गर्भ ठहरने के इलाज के तौर पर किया जाता है. इस संबंध में हुए शोध के अनुसार, इस दवा को खास डिजाइन किए गए वस्ती यंत्र द्वारा तीन महीने तक कुल 9 दिन तक लगाने के लिए कहा जाता है. इस प्रक्रिया को उत्तरा बस्ती कहा जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान महिला पर नजर रखी जाती कि कहीं उसे दर्द या किसी भी तरह का असहज तो महसूस नहीं हो रहा. यह पीसीओडी को भी ठीक करने में मददगार है, जो इनफर्टिलिटी का एक मुख्य कारण है.
अशोकारिष्ट:
अशोकारिष्ट दवा वात व पित्त दोषों को संतुलित करने का काम करती है. यह शरीर से खतरनाक टॉक्सिन को बाहर निकालकर यूट्रस की कार्यप्रणाली को ठीक करने में मदद करती है. मुख्य रूप से यह दवा गर्भाशय की लाइनिंग यानी एंडोमेट्रियम को सही करने का काम करती है, ताकि गर्भ ठहरने में किसी तरह की परेशानी न आए.
कंचनार गुग्गुल:
कंचनार गुग्गुल के सेवन से मासिक धर्म नियमित हो सकते हैं. साथ ही अगर किसी तरह का हार्मोन असंतुलन है, तो वह भी ठीक हो सकता है और गर्भवती होने के लिए इन दोनों चीजों का सही होना जरूरी है. यह सिस्ट के साइज को भी कम करता है, फॉलिक्यूलर के विकास में भी मदद करता है, ताकि अधिक अंडों का निर्माण हो सके. इसके अलावा, ये दवा ओवुलेशन को भी दुरुस्त करने का काम करती है.
सारांश:
प्रेगनेंसी में होने वाली दिक्कत को ठीक करने में देसी दवा मददगार है. फल घृत, पुष्यानुग चूर्ण, अशोकारिष्ट व कंचनार गुग्गुल जैसी देसी दवा के सेवन से गर्भ ठहरने में मदद मिल सकती है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि एक ही देसी दवा का असर सब पर बराबर हो. इसलिए, बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा का सेवन गर्भ ठहरने के इलाज के तौर पर नहीं करना चाहिए.
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