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प्रेगनेंसी में आयुर्वेदिक गर्भ संस्कार का महत्व, पढ़ें इसे करने की विधि
गर्भावस्था, प्रसव के दौरान और जब तक आपका बच्चा दो वर्ष का नहीं हो जाता है, तब तक आपको अपने बच्चे के बारे में सबकुछ जानने की जरूरत है। प्राचीन शास्त्र और आयुर्वेद में गर्भवती महिला के आहार, योग और नियमित शरीर की देखभाल के नुस्खे के साथ-साथ पठन सामग्री और संगीत को सुनने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं और इसे गर्भसंस्कार कहा गया है। तो चलिए आज हम आपको गर्भसंस्कार और उसके लाभों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
गर्भसंस्कार क्या है?
हर माता-पिता अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा चाहते हैं। बच्चे के जन्म के बाद भी स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ गर्भावस्था आवश्यक है। गर्भसंस्कार ने शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास में योगदान के रूप में लोकप्रियता प्राप्त की है। गर्भसंस्कार के बारे में प्राचीन शास्त्रों के लिखा गया है और इसे आयुर्वेद में भी शामिल किया गया है। संस्कृत में गर्भ शब्द गर्भ में भ्रूण को संदर्भित करता है, और संस्कार का अर्थ है मन की शिक्षा। तो, गर्भ संस्कार का अर्थ हुआ अजन्मे बच्चे के दिमाग को शिक्षित करने की प्रक्रिया।पारंपरिक रूप से यह माना जाता है कि गर्भ में बच्चे का मानसिक और व्यवहारिक विकास शुरू हो जाता है क्योंकि वह मां की भावनात्मक स्थिति से प्रभावित होता है। आदिकाल से ही यह प्रथा हिन्दू परंपरा का हिस्सा रही है और उदाहरण के तौर पर देखे तो गर्भसंस्कार का असर अभिमन्यु, अष्टक्रा और प्रह्लाद जैसे पौराणिक चरित्रों पर बहुत सकारात्मक रूप में पड़ा था, जैसा की कहानियों में स्पष्ट किया गया है की ये अपनी माता के गर्भ से ही ज्ञान अर्जित कर के आये थे।गर्भसंस्कार को बच्चे को लाभ पहुंचाने के लिए माना जाता है, बल्कि यह केवल बच्चे पर केंद्रित नहीं है। ये अभ्यास सुनिश्चित करते हैं कि मां स्वस्थ रहे और मन की स्थिति सकारात्मक हो। गर्भसंस्कार के अभ्यास के जरिए गर्भवती महिलाओं के आहार और जीवन शैली में परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया जाता है।गर्भवती होने पर गर्भ संस्कार कब शुरू करें
गर्भ संस्कार केवल गर्भावस्था के दौरान की जाने वाली देखभाल के बारे में नहीं है, बल्कि गर्भ-धारण से कम से कम एक वर्ष पहले तैयारी शुरू करने के विषय में है। ‘गर्भ संस्कार’ सिर्फ गर्भधारण और गर्भावस्था से संबंधित नहीं है बल्कि इसमें स्तनपान का चरण भी शामिल है, माता-पिता को इसका पालन तब तक करना होता है जब तक बच्चा लगभग 2 वर्ष का नहीं हो जाता।
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