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गर्भ में ही देना चाहती हैं शिशु को अच्छे संस्कार, तो प्रेग्नेंसी में जरूर पढ़ें ये किताबें
गर्भावस्था में ही मां अपने शिशु में अच्छे संस्कार डालने की नींव रख सकती हैं। इसमें कई किताबों की मदद ली जा सकती है।
गर्भ में ही देना चाहती हैं शिशु को अच्छे संस्कार, तो प्रेग्नेंसी में जरूर पढ़ें ये किताबें
हर माता-पिता अपने बच्चे को अच्छे गुण और सीख देना चाहते हैं। छोटी उम्र से ही पेरेंट्स अपने बच्चे में अच्छे गुण डालने की कोशिश करते हैं जबकि आप यह काम गर्भ से ही शुरू कर सकते हैं।
जी हां, गर्भ संस्कार के बारे में तो आपने सुना ही होगा। गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान ही अपने शिशु में अच्छे संस्कार डालने की कोशिश कर सकती हैं। इस काम में कुछ किताबें भी आपकी मदद कर सकती हैं। जी हां, आप प्रेग्नेंसी में किताबें पढ़कर भी अपने गर्भस्थ शिशु का गर्भ संस्कार कर सकती हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसी किताबों के नाम बता रहे हैं जो शिशु के गर्भ संस्कार के लिए अच्छी होती हैं।
कब शुरू कर सकती हैं गर्भ संस्कार
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही की शुरुआत से ही गर्भस्थ शिशु का मनोविज्ञान आकार लेने लगता है और गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में बच्चे के मस्तिष्क का काफी विकास हो चुका होता है। मां की मानसिक स्थिति शिशु तक पहुंचती है इसलिए इस समय अच्छी किताबें पढ़ने से किसी भी तरह की एंग्जायटी, स्ट्रेस और दुख की भावना से बचा जा सकता है।
आइए अब जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में शिशु के गर्भ संस्कार के लिए कौन-सी किताबें पढ़नी चाहिए।
यदि आप हिंदू धर्म को मानते हैं तो भागवद् गीता के बारे में तो जानते ही होंगे। अन्य धर्म के लोग अपने धार्मिक ग्रंथ को पढ़ सकते हैं। भागवद् गीता पढ़ने से गर्भ में पल रहे शिशु के विकास और पालन-पोषण में मदद मिलती है। धार्मिक किताबों से बच्चों को पौराणिक कथा और ईश्वर के प्रति विश्वास बढ़ता है।
रामायण
भागवद् गीता की तरह रामायण और हरिवंश पुराण जैसी पौराणिक किताबें भी गर्भ संस्कार के लिए अच्छी होती हैं। इन्हें पढ़ने से मानसिक स्थिति संतुलित रहती है और ईश्वर के बनाए गए मूल्यों का ज्ञान होता है। प्रेगनेंट महिलाएं रामायण या अपने धर्म के किसी भी ग्रंथ को पढ़कर अपने बच्चे में संस्कार डालने की शुरुआत कर सकती हैं।
आप बच्चों की किताबें जैसे कि पंचतंत्र या एनिड ब्लाइटन भी पढ़ सकती हैं। इनमें बच्चों के लिए छोटी-छोटी कहानियां हैं और बड़ों को भी इन्हें पढ़ने से मजा आएगा। इन किताबों की मदद से आप गर्भस्थ शिशु को कहानियां सुनने और समझने की प्रवृत्ति दे सकती हैं।
भगवान गणेश के ग्रंथ
प्रेग्नेंसी के दौरान भगवान गणेश की किताबें पढ़ना भी अच्छा रहता है। चक्र विज्ञान के भगवान गणेश 'मूलाधार चक्र' के स्वामी हैं जो कि स्पाइन के नीचे स्थित होता है और यह शिशु के जन्म से संबंधित अंगों की जरूरतों पर जोर देता है। इसलिए गणेश अथर्वशीर्ष पढ़ने से मानसिक रूप से मजबूती मिलती है और माना जाता है कि यह अंग मजबूत होते हैं।
इसका मां और बच्चे दोनों के दिमाग पर शांतिमय प्रभाव पड़ता है और शिशु को बहुत अच्छी नींद आती है।
शिशु संगीत और किसी वाद्य यंत्र की आवाज, ऊं के उच्चारण पर भी प्रतिक्रिया देता है। इन तरीकों से गर्भ संस्कार करने से बहुत लाभ मिलता है।
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