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मिसकैरेज के बाद महिलाओं को होता है ऐसा दर्द, प्रेग्नेंसी होते ही बरतें ये सावधानी
मिसकैरेज एक ऐसा शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ तो सब जानते हैं लेकिन इसका असली मतलब सिर्फ वो औरतें जानती है जो इसका दर्द झेल चुकी हैं।32 साल की चंद्रप्रभा मिसकैरेज का दर्द अच्छी तरह समझती हैं।"मैंने अपने बच्चे का नाम सोच लिया था। उसकी किक भी महसूस करने लगी थी, उससे घंटों बातें करती थी। सोचा था ज़िंदगी में ख़ुशियां आने वाली हैं लेकिन..." उनकी मीठी आवाज में अपने अजन्मे बच्चे को खोने की कड़वाहट साफ झलकती है।शादी के छह साल बाद ये उनकी पहली प्रेग्नेंसी थी। उनके पेट में जुड़वां बच्चे पल रहे थे मगर वो सही-सलामत इस दुनिया में नहीं आ पाए।
चंद्रप्रभा ऑफिस के काम से छुट्टी लेकर सारा वक़्त ख़ुद की देखभाल करने में लगा रही थीं। वो बताती हैं, "सब ठीक चल रहा था। देखते-देखते तीसरा महीना आ गया था। एक दिन मैं यूं ही लेटी हुई थी कि अचानक मुझे अपने शरीर का निचला हिस्सा भींगता हुआ सा लगा। मैं तुरंत उठकर वॉशरूम में गई और देखा कि मुझे ब्लीडिंग हो रही है। आनन-फानन में मुझे अस्पताल ले जाया गया।" अस्पताल में चंद्रप्रभा को पता चला कि उनका एक बच्चा अबॉर्ट हो चुका है। उन्होंने ख़ुद को समझाया कि एक बच्चा चला गया तो क्या हुआ, दूसरा बच्चा उनके पास है।
वो बताती हैं, "अस्पताल से लौटकर मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी जिंदगी का एक ही मकसद है- अपने दूसरे बच्चे को बचाना। मुझे लगने लगा था कि अब जिंदगी में कुछ नहीं बचा है। बस मेरा एक बच्चा है और मुझे इसे बचाना है।" अगले अल्ट्रासाउंड में सारी रिपोर्ट्स ठीक आईं। चंद्रप्रभा बहुत ख़ुश थीं। लगा था, सब ठीक होने वाला है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक रात अचानक उनके पेट में दर्द हुआ।
वो याद करती हैं, "मुझे लगा गैस की प्रॉबल्म है लेकिन दर्द बढ़ता गया। मैं एक बार फिर अस्पताल की इमर्जेंसी में पहुंची। वहां पता चला, मेरा दूसरा बच्चा भी मर चुका है।"वो कहती हैं, "मेरे मन में अब भी बहुत से ख्याल आते हैं। कई बार लगता है कि काश मैं उस दिन ज़्यादा न चली होती, उस दिन दोस्त से मिलने न गई होती। सब कहते हैं, मेरी कोई गलती नहीं है लेकिन दिल पर एक बोझ है, एक अजीब तरह का गिल्ट है।" उन्होंने कहा, ''मैंने तो अपनी तरफ से पूरी सावधानी बरती थी। जब प्रेग्नेंट थी तो लोगों ने कहा काला धागा बांधो, रात में बाहर मत निकलो। मैंने सब किया। इन सब बातों पर भरोसा नहीं करती, फिर भी किया। अपने बच्चे को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी। फिर भी उसे नहीं बचा पाई।"
34 साल की धरा पांडेय की कहानी भी चंद्रप्रभा से बहुत अलग नहीं है। फर्क बस इतना है कि वो उस वक़्त प्रेग्नेंट हुईं जब वो मानसिक तौर पर मां बनने के लिए तैयार नहीं थीं। वो कहती हैं, "मुझे तो बच्चा चाहिए ही नहीं था इसके बावजूद मिसकैरेज के बाद मुझे इतना दुख हुआ कि मैं बता नहीं सकती। आज चार साल के बाद भी जब मुझे वो सब याद आता है तो रोना नहीं रुकता। धरा याद करती हैं, "उस दौरान मैं इतनी व्यस्त थी कि मुझे ये ध्यान नहीं रहा कि मेरे पीरियड्स मिस हो गए हैं। लेकिन जब उल्टियां होने लगीं और खाना गले से नीचे उतरना बंद हो गया तो डॉक्टर पास के गई और पता चला कि मैं आठ हफ़्ते से प्रेग्नेंट थी और मिसकैरेज भी हो चुका था।"
मिसकैरेज के बाद धरा को 25 दिनों तक लगातार ब्लीडिंग हुई और भयंकर दर्द हुआ। उन्होंने बताया, "इसके बाद मैं तकरीबन तीन-चार महीने तक भयंकर डिप्रेशन में रही। दिन भर रोती रहती थी, बड़बड़ाती रहती थी। सब पर चीखती रहती थी। ऐसा लगता था कि कोई मेरा साथ नहीं दे रहा है"। धरा को आज भी ये सोचकर ये हैरानी होती है कि जब उन्हें बच्चा चाहिए ही नहीं था तो उसे खोने के बाद इतना दुख क्यों हुआ। उन्होंने बताया, "मुझे ऐसा लगता था जैसे मैं ही दोषी हूं। मैं अपनी सास से भी नाराज रहने लगी, मुझे लगता था कि उन्होंने मेरी मदद नहीं की। कई बार लोग भी इशारों-इशारों में आपको दोषी ठहरा देते हैं। ऐसे में ये दर्द और बढ़ जाता है।"
मिसकैरिज के बाद ख़ुद को कैसे संभालें?
मिसकैरिज के बाद ख़ुद को कैसे संभालें?
चंद्रप्रभा को लगता है कि आज जो लड़कियां मां बनना चाहती हैं, उन्हें अपना ख्याल ख़ुद ही रखना है, जागरूक होना है।
मिसकैरेज के बाद जितनी जल्दी हो सके काम पर लौटें और ख़ुद को व्यस्त रखने की कोशिश करें। अपनी सेहत का ख्याल रखना न भूलें। ज्यादा परेशानी हो तो काउंसलर से जरूर मिलें।
धरा मानती हैं कि आज भी लोग प्रेग्नेसी और मिसकैरेज के बारे में खुलकर बात नहीं करते और इसका खामियाजा औरतों को ही भुगतना पड़ता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के बारे में पढ़ें। डॉक्टरों और उन महिलाओं से बात करें जो पहले मां बन चुकी हैं।
क्या है मिसकैरेज?
क्या है मिसकैरेज?
मेडिकल साइंस की भाषा में इसे 'स्पॉन्टेनस अबॉर्शन' या 'प्रेग्नेंसी लॉस' भी कहते हैं। मिसकैरेज तब होता है जब भ्रूण की गर्भ में ही मौत हो जाती है। प्रेग्नेंसी के 20 हफ़्ते तक अगर भ्रूण की मौत होती तो इसे मिसकैरेज कहते हैं। इसके बाद भ्रूण की मौत को 'स्टिलबर्थ' कहा जाता है। अमरीकन सोसायटी फ़ॉर रिप्रोडक्विट हेल्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में कम से कम 30% प्रेग्नेंसी मिसकैरेज की वजह से खत्म हो जाती है।
मिसकैरेज के लक्षण
•ब्लीडिंग
•स्पॉटिंग (बहुत थोड़ा-थोड़ा ख़ून निकलना)
•पेट और कमर में दर्द
•ख़ून के साथ टिश्यू निकलना
हालांकि ये ज़रूरी नहीं कि प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग या स्पॉटिंग के बाद मिसकैरेज हो ही जाए लेकिन ऐसा होने के बाद सतर्क ज़रूर हो जाना चाहिए।
क्या प्रेग्नेंसी में सेक्स से परहेज करना चाहिए?
क्या प्रेग्नेंसी में सेक्स से परहेज करना चाहिए?
गाइनोकॉलजिस्ट डॉ. अनीता गुप्ता के मुताबिक मिसकैरेज दो स्थितियों में हो सकता है। पहला, जब भ्रूण ठीक हो लेकिन दूसरी वजहों से ब्लीडिंग हो जाए। दूसरी स्थिति में, अगर भ्रूण की गर्भ में मौत हो जाए तो अबॉर्शन करना जरूरी हो जाता है। कई बार बहुत मेहनत वाला काम करने, भारी वजन उठाने या झटका लगने से मिसकैरेज की आशंका बढ़ जाती है। डॉ. अनीता के मुताबिक 30 साल के बाद गर्भवती होने पर भी मिसकैरेज की आशंका थोड़ी बढ़ जाती है।डॉ. अनीता ने बताया कि कई बार नैचुरल मिसकैरेज के बाद भी महिला के शरीर में भ्रूण के कुछ हिस्से रह जाते हैं. उन्हें बाहर निकालना जरूरी होता है।
इसके लिए कई बार दवाइयों और कई बार 'सक्शन मेथड' यानी एक खास तरह की नली से खींचकर भ्रूण के अवशेषों को बाहर निकाला जाता है।जरूरत होने पर भ्रूण के अवशेषों को मेडिकल जांच के लिए भी भेजा जाता है।जैसे ही प्रेग्नेंसी का पता चले, एहतियात बरतें। ऐसे खाने से परहेज करें जिससे लूज मोशन की आशंका हो।
मिसकैरेज से जुड़े मिथक
कहा जाता है कि गर्भावस्था में पपीता और अनानास नहीं खाना चाहिए लेकिन डॉ. अनीता का कहना है कि ये पूरी तरह सच नहीं है। दरअसल कच्चे पपीते में एक एन्ज़ाइम होता है जिसकी ज़्यादा मात्रा शरीर में चले जाने पर मैसकैरेज हो सकता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप पपीता खा ही नहीं सकते।
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