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प्रेगनेंसी में मालिश करवाने के दौरान रखें इन बातों का ध्यान
गर्भावस्था के दौरान पूरे शरीर में दर्द रह सकता है। किसी को कमर दर्द रहता है तो किसी को कूल्हों में दर्द महसूस होता है। प्रेगनेंसी में होने वाले दर्द से छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका और उपाय है मालिश।
perineal massage in pregnancy
आपने डिलीवरी के बाद मालिश करवाने के फायदों के बारे में तो सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि गर्भावस्था में भी मालिश करवाने से दर्द से राहत मिल सकती है।
डिलीवरी से पहले मांसपेशियों के दर्द को दूर करने के लिए कई महिलाएं मालिश का सहारा लेती हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बता रहे हैं कि प्रेगनेंसी में मालिश करवाने से क्या फायदे होते हैं और क्या गर्भावस्था में मालिश करवाना सुरक्षित होता है।
क्या प्रेगनेंसी में मालिश करवाना सही है?
कुछ मांओं को गर्भावस्था की दूसरी या तिमाही और कई बार प्रसव के दौरान भी लेबर पेन को कम करने के लिए मालिश दी जाती है। चूंकि, प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में मिसकैरेज का खतरा ज्यादा रहता है इसलिए इस समय मालिश नहीं की जा सकती है। इससे मतली भी हो सकती है।
अलग है प्रीनैटल मसाज
प्रीनैटल मसाज मतलब गर्भावस्था में होने वाली मालिश। इस समय मालिश में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है वरना गलत तरीके से मसाज करने पर कॉन्ट्रैक्शन उठ सकती है और नौ महीने पूरे होने से पहले ही लेबर पेन शुरू हो सकता है।
आम मालिश से प्रीनैटल मसाज अलग होती है। प्रीनैटल मालिश में पीठ और पेट की बहुत हल्के से मालिश की जाती है ताकि पेट की त्वचा में नमी और लचीलापन बढ़े। इससे स्ट्रेच मार्क्स कम होते हैं।
पेट के साथ-साथ एडियों, फुट और कमर के पीछे की तिकोनी हड्डी की मालिश नहीं की जाती है। इससे लेबर के लिए कॉन्ट्रैक्शन शुरू हो सकता है।
गर्भवती महिला की मालिश करने के लिए रोजमैरी और दालचीनी से बने तेल का इस्तेमाल करना सही नहीं होता है।
शिशु की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डीप टिश्यू प्रेशर नहीं लगाना चाहिए।
कब नहीं करवानी चाहिए प्रीनैटल मसाज
अगर आपको पीठे में चोट लगी है तो मालिश न करवाएं। इसके अलावा हाई रिस्क प्रेगनेंसी, प्रीमैच्योर लेबर के खतरे में होने, हाइपरटेंशन या प्रीक्लैंप्सिया, खून का थक्का बनने या हड्डी का फ्रैक्चर हुआ हो, घाव, स्किन के जलने या किसी भी तरह के स्किन इंफेक्शन होने पर मालिश नहीं करवानी चाहिए।
यदि मालिश की वजह से आपका सिर चकराता है या आपके सिरदर्द हो जाता है तो मालिश न करवाएं।
क्या मालिश से लेबर पेन हो सकता है
मालिश से शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन रिलीज होता है जो कि लेबर कॉन्ट्रैक्शन पैदा कर सकता है। लेबर के शुरुआती चरणों में मालिश करवाने से दर्द से राहत मिलती है।
मालिश के दौरान ध्यान रखें
गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में आपको पीठ के बल सीधा नहीं लेटना चाहिए। इससे ब्रीदिंग पर प्रेशर पड़ सकता है। बेहतर होगा कि आप मालिश के समय करवट लेकर लेटें।
गर्दन, कंधों, सिर और फिर हाथों और पैरों की मालिश करें। इस बात का ध्यान रखें कि गर्भवती महिला की बहुत हल्के हाथों से मालिश करनी है।
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