गर्भवती महिला को 9 महीने में क्या खाना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

प्रेग्‍नेंट महिलाएं 1 से 9वें महीने तक क्‍या खाएं? आयुर्वेद में ये है परफेक्‍ट डाइट
प्रेग्‍नेंसी में पहले महीने से नौवें महीने तक क्‍या खाएं महिलाएं.
आयुर्वेद के अनुसार भोजन स्‍वस्‍थ जीवन जीने की महत्‍वपूर्ण जरूरत है. एक प्रेग्‍नेंट महिला का खान-पान ही गर्भ में मौजूद बच्‍चे के विकास और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए जिम्‍मेदार है, इसलिए प्रेग्‍नेंसी के दौरान आयुर्वेद की सिफारिशों को अपनाना काफी लाभदायक हो सकता है.

मां बनने का सपना देखने से लेकर मां बनने तक की यात्रा एक महिला के लिए काफी रोमांचक, भावुक कर देने वाली होने के साथ ही जिम्‍मेदारी भरी भी होती है. इस दौरान शरीर में होने वाले बदलावों से लेकर आने वाली नई जिंदगी के लिए बेहतर जीवन की कल्‍पना भी साथ चलती है. मां के स्‍वास्‍थ्‍य और बच्‍चे के विकास के लिए गर्भधारण (Pregnancy) से लेकर नौवें महीने तक गर्भवती महिला के खान-पान का बेहद ध्‍यान रखा जाता है क्‍योंकि यही उसके होने वाले बच्‍चे को पोषण (Nutrition) प्रदान करता है. हालांकि कई बार अलग-अलग जगहों पर खान-पान की अलग-अलग मान्‍यताओं, बड़े बुजुर्गों के अनुभवों, चिकित्‍सकों की सलाहों और खुद प्रेग्‍नेंट महिला (Pregnant Woman) की पसंद-नापसंद के चलते सही और पोषणयुक्‍त भोजन का चुनाव करना काफी कठिन हो जाता है. ऐसे में आयुर्वेद की ओर से प्रेग्‍नेंट महिलाओं के लिए तय की गई ये पोषणयुक्‍त डाइट काफी फायदेमंद हो सकती है.

मिनिस्‍ट्री ऑफ आयुष के तहत नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडियन मेडिकल हेरिटेज (सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज) की ओर से जारी की गई गाइड न्‍यूट्रीशनल एडवोकेसी इन आयुर्वेद (Ayurveda) में खान-पान को लेकर विस्‍तार से बताया गया है. इसमें प्रेग्‍नेंट महिलाएं पहले महीने से लेकर नौवें महीने तक क्‍या खाएं, इसे भी बताया गया है. आयुर्वेद हमेशा से ही स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर बनाने और बीमारियों से बचाकर दुरुस्‍त रखने के लिए पोषणयुक्‍त खान-पान पर जोर देता रहा है. आयुर्वेद के अनुसार भोजन स्‍वस्‍थ जीवन जीने की महत्‍वपूर्ण जरूरत है. एक प्रेग्‍नेंट महिला का खान-पान ही गर्भ में मौजूद बच्‍चे के विकास और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए जिम्‍मेदार है, इसलिए आयुर्वेद की इन सिफारिशों को अपनाना काफी लाभदायक हो सकता है.

गर्भवती महिलाओं के लिए डाइट
पहला महीना– पहले महीने में महिलाएं ठंडा दूध और पोषणयुक्‍त खाना खाएं. जिसमें फल, सब्‍जी, दाल आदि ले सकते हैं.

दूसरा महीना– इस महीने में प्रेग्‍नेंट महिलाएं मौसमी फल, सब्‍जी, दूध, दही, रोटी खाने के साथ ही आयुर्वेदिक औषधि शतावरी को दूध (Milk) के साथ ले सकती हैं. शतावरी प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के साथ ही विटामिन की कमी को पूरी करती है. इसके अलावा बाला यानि सीदा कॉर्डिफोलिया भी ले सकती हैं. ये शरीर में ताकत, ऊर्जा, हड्डियों और जोड़ों की मजबूती को बढ़ाने वाली औषधि है.

तीसरा महीना– इस महीने में महिलाएं दूध और दूध से बने पदार्थ जरूर लें. जिनमें दही, पनीर, छाछ, घी शामिल है. इसके अलावा इस महीने से शहद लेना शुरू करें. रोजाना ठंडे दूध में शहद लें. यह माता और बच्‍चे दोनों के लिए लाभकारी है. पोषणयुक्‍त भोजन करें.

चौथा महीना– चौथे महीने में दूध लेने के साथ ही मक्‍खन खाना बेहद लाभदायक रहता है. छाछ भी पीना फायदेमंद है. मौसमी फल, सब्जियां, सलाद, जूस भी लेते रहें.

पांचवा महीना– पांचवे महीने की प्रेग्‍नेंसी में दूध और घी प्रचुर मात्रा में लें.

छठा महीना– इस महीने में दूध, घी, मीठी चीजें, मीठे फल, अनाज आद‍ि का सेवन करें.

सातवां महीना– सातवें महीने में दूध प्रचुर मात्रा में पीएं. इसके साथ ही दूध में घी डालकर भी ले सकती हैं. इस महीने में घी का सेवन करें.

आठवां महीना- इस महीने में गर्भ में भ्रूण का वजन बढ़ना शुरू होता है. इस महीने में दूध का दलिया घी डालकर खाएं. दलिया गेंहू या जौ का हो सकता है.

नौवां महीना– इस महीने में पके हुए चावल घी के साथ खाएं जा सकते हैं. अगर कोई मांसाहारी है तो वह घी डालकर मीट सूप भी पी सकती हैं.

डिलिवरी के बाद खिलाएं ये चीजें
आयुर्वेद की ओर से बताया गया है कि प्रसव या डिलिवरी हो जाने के तुरंत बाद महिला को बिना दूध वाला और औषधियुक्‍त या दूध वाला दलिया दिया जा सकता है. इसमें जौ या गेंहू का दलिया हो सकता है. इसके अलावा चने की दाल या जौ डालकर चावल भी दिए जा सकते हैं. हालांकि ये चीजें पचाने की शक्ति के आधार पर ही दी जाएं. महिला को मूंग की दाल का पानी, चने की दाल, जौ या गेंहू का दलिया, पर्याप्‍त मात्रा में घी और तेल दिया जाना चाहिए. इनका खाना जीरा , सोंठ, कालीमिर्च और पीपल डालकर बनाया जाए. आठ दिन का प्रसव हो जाने के बाद महिला को सामान्‍य भोजन दिया जा सकता है. हालांकि इसके साथ ही मेथी के लड्डू या सोंठ के लड्डू भी बनाए जा सकते हैं ताकि बच्‍चे के लिए दूध की पर्याप्‍त मात्रा आने के साथ ही मां को भी पोषण मिल सके.

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