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गर्भावस्था में त्वचा में बदलाव
गर्भावस्था के दौरान त्वचा से जुड़ी समस्याएं होना आम है। आपको त्वचा की रंगत में बदलाव या चकत्ते, खुजलाहट, स्ट्रेच मार्क्स, काले धब्बे और मुहांसे भी हो सकते हैं। प्रेगनेंसी में ये आमतौर पर हार्मोनों, त्वचा की ग्रंथियों, चयापचय (मेटाबोलिज्म) और रोग प्रतिरोधक प्रणाली में आने वाले बदलावों की वजह से होते हैं। इनमें से कुछ से आप बच नहीं सकतीं, मगर पर्याप्त और स्वस्थ आहार के सेवन से, सनस्क्रीन और मॉइस्चराइजर लगाने से और कुछ एहतियात बरतने से त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। त्वचा की अधिकांश समस्याएं सामान्य हैं और शिशु के जन्म के बाद अपने आप ठीक हो जाती हैं। मगर त्वचा में बदलावों को लेकर आप चिंतित हैं तो अपनी डॉक्टर से बात करें।
क्या गर्भावस्था में त्वचा में होने वाले बदलाव नुकसानदेह होते हैं?
गर्भावस्था के दौरान त्वचा में होने वाले आम बदलाव आपके या गर्भस्थ शिशु के लिए नुकसानदेह नहीं होते। त्वचा की रंगत में बदलाव अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से भी हो सकता है, जरुरी नहीं है कि इसका कारण गर्भावस्था से जुड़ा हो। कभी-कभार त्वचा की समस्याएं किसी गंभीर स्थिति का संकेत हो सकते हैं, जिसमें चिकित्सकीय उपचार की जरुरत होती है।
सामान्यत: निम्न स्थितियों में डॉक्टर से बात करें:
गर्भावस्था के दौरान त्वचा में कोई नई समस्या सामने आना
आपकी त्वचा की समस्या और बढ़ती ही जा रही हो।
आपको बुखार के साथ चकत्ते भी हो रहे हों।
आपको बहुत ज्यादा खुजली हो रही हो विशेषकर हाथों और पैरों में मगर चकत्ते न हो रहे हों।
आपके तिल-मस्से या जन्मचिन्ह के रंग या माप में बदलाव लगे।
गर्भावस्था से संबंधी कोई अन्य परेशानी या चिंताजनक लक्षण।
आपकी डॉक्टर त्वचा की जांच करने के बाद संभावित समस्या का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट करवाने के लिए कह सकती हैं। अगर जरुरी हुआ तो वे आपको त्वचा के डॉक्टर के पास डर्मोटोलॉजिस्ट जाने के लिए कह सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान मेरी त्वचा काली क्यों पड़ रही है?
प्रेगनेंसी के दौरान त्वचा की रंगत गहरी होना और धब्बे या निशान होना आम है। इस स्थिति को मेलास्मा या क्लोएस्मा कहा जाता है।
मेलास्मा तब होता है जब आपका शरीर अतिरिक्त मेलानिन बनाता है। मेलानिन एक रंजक (पिग्मेंट) है जो त्वचा को अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाता है। ऐसा गर्भावस्था के हॉर्मोनों की वजह से होता है मगर पारिवारिक इतिहास की भी इसमें भूमिका हो सकती है।
मेलास्मा को कई बाद प्रेगनेंसी का मास्क भी कहा जाता है क्योंकि काले धब्बे आमतौर पर होंठ के ऊपर, नाक, गाल की हड्डी (चीकबोन्स) और माथे पर उभरते हैं, मास्क के आकार में।
आपको गालों पर जॉलाइन के पास या अग्रबाजू और अन्य हिस्से जो धूप के संपर्क में आते हैं वहां भी गहरे रंग के धब्बे हो सकते हैं।
इसके अलावा जिस हिस्से की त्वचा में पहले से ही रंजकता ज्यादा हो - जैसे कि निप्पल और आसपास की त्वचा (एरियोला), झाइयां, निशान और जननांगों की त्वचा, वे गर्भावस्था के दौरान और ज्यादा गहरे रंग की हो सकती है। ऐसा अक्सर उन जगहों पर भी होता है जहां रगड़ ज्यादा लगती हो जैसे कि बगल (अंडरआर्म) और जांघों में अंदर की तरफ। अपने इन काले धब्बों को लेकर आपका चिंतित होना स्वाभाविक है, मगर डिलीवरी के एक साल के अंदर ये धब्बे हल्के पड़ जाते हैं।
कुछ महिलाएं पाती हैं कि गर्भावस्था के बाद हॉमोनल गर्भनिरोधक के इस्तेमाल से ये धब्बे हल्के नहीं पड़ते या और गहरे हो जाते हैं। अगर आपके साथ ऐसा हो, तो डॉक्टर आपको त्वचा पर लगाने के लिए उपचार बता सकती हैं।
गर्भावस्था में त्वचा को मेलास्मा से बचाने के उपाय
धूप में रहने से आपकी त्वचा के ये धब्बे और काले हो जाएंगे व ज्यादा दिखाई देंगे। इसलिए जब भी बाहर जाएं तो छाता लेकर या टोपी पहनकर जाएं और जितना हो सके छाया में रहने की कोशिश करें।
अपनी त्वचा के टाइप के आधार पर उचित सनस्क्रीन चुनें।
अपनी त्वचा की रंगत सुधारने के लिए कोई भी उत्पाद इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से पूछ लें। हो सकता हैं इन उत्पादों का इस्तेमाल गर्भावस्था में सुरक्षित न हो।
त्वचा की रंगत एक समान करने के लिए आप अपनी त्वचा के रंग के अनुसार उचित मॉइस्चराइजर, फांउडेशन और कंसीलर लगा सकती हैं।
बेहतर है कि आप वैक्सिंग न कराएं। त्वचा पर बाल हटाने के लिए वैक्स के इस्तेमाल से त्वचा में जलन व असहजता हो सकती है जिससे मेलास्मा की स्थिति बढ़ सकती है। खासतौर पर शरीर के उन हिस्सों में जहां रंजकता में बदलाव आ रहा है।
"प्रेगनेंसी ग्लो" क्या होता है?
"प्रेगनेंसी ग्लो" यानि गर्भावस्था का निखार केवल एक कहावत नहीं है। गर्भावस्था के दौरान आपकी त्वचा ज्यादा नमी बनाए रखती है, जिससे इसमें फुलावट या भरावट आती है। इस वजह से पतली रेखाएं और झुर्रीयां सपाट हो जाती हैं।
गुलाबी निखार जो आपके चेहरे पर रौनक लाता है, वह हॉर्मोनों के बढ़े हुए स्तर और शरीर में अतिरिक्त रक्त संचरण की वजह से होता है। हालांकि, रक्त संचरण में उतार-चढ़ाव रहेगा। इसलिए आपको कभी गर्माहट महसूस होगी और कई बार ठंडक लगेगी और रंगत भी फीकी लगेगी। सका एक नकारात्मक असर यह है कि जब आपका शरीर नमी को प्रतिधारित करता है, तो इससे आपकी एड़ियों और टांगों में सूजन आ सकती है। साथ ही त्वचा में रक्त के प्रवाह से चेहरे, गर्दन या छाती पर लाल निशान दिखाई दे सकते हैं। डिलीवरी के कुछ महीनों में ये अपने आप ठीक हो जाएंगे।
प्रेगनेंसी ग्लो सबसे ज्यादा दूसरी तिमाही में दिखाई देता है, हालांकि जरुरी नहीं है कि सभी गर्भवती महिलाओं के चेहरे पर यह निखार दिखाई दे।
यह बात ध्यान में रखें कि यदि आपके चेहरे पर निखार न लगे तो यह किसी गड़बड़ का संकेत कतई नहीं है। इसी तरह, प्रेगनेंसी ग्लो होना भी गर्भावस्था में किसी विशेष बात का प्रतीक नहीं होता (जैसे कि शिशु का लिंग आदि का)।
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