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एस्ट्रोजन में उतार-चढ़ाव आने के कारण प्रेगनेंसी में गर्मी लग सकती है। वहीं मेटाबोलिज्म बढ़ने के कारण शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है जिससे गर्मी महसूस होने लगती है। शरीर में पानी की कमी के कारण भी हॉट फ्लैशेज की शिकायत हो सकती है।
गर्भवती महिलाओं को कई तरह के बदलावों और समस्याओं से गुजरना पड़ता है जिसमें गर्मी लगना भी शामिल है। वैसे तो सभी महिलाओं को प्रेगनेंसी में हॉट फ्लैशेज नहीं होता है लेकिन कुछ कारणों प्रेगनेंट महिलाओं को ऐसा महसूस हो सकता है।
गर्भावस्था में ज्यादा गर्मी लगने को न करें अनदेखा
गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान महिलाओं के शरीर को बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इस दौरान थकान होना, सिर चकराना, बेहोशी या गर्मी महसूस हो सकती है। प्रेगनेंट महिला को थकान लगने या सिर चकराने जैसा महसूस होना आम बात है लेकिन हॉट फ्लैशेज यानी गर्मी लगने जैसी शिकायत कम ही देखी जाती है।
एस्ट्रोजन में उतार-चढ़ाव आने के कारण प्रेगनेंसी में गर्मी लग सकती है। वहीं मेटाबोलिज्म बढ़ने के कारण शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है जिससे गर्मी महसूस होने लगती है। शरीर में पानी की कमी के कारण भी हॉट फ्लैशेज की शिकायत हो सकती है।
अक्सर रजोनिवृत्ति में महिलाओं को हॉट फ्लैशेज होते हैं लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान भी महिलाओं को ऐसा महसूस हो सकता है।
प्रेगनेंसी में गर्मी कब लगती है
गर्भावस्था की पहली तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस और मूड स्विंग्स के साथ हॉट फ्लैशेज हो सकते हैं। प्रेगनेंसी के पहले महीने में ऐसा कम ही होता है। वहीं बाद के महीनों में भी हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं को ज्यादा गर्मी लग सकती है।
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