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Garbhavastha ki avasthae | गर्भावस्था की अवस्थाएं
by Manu RJ13
Garbhavastha-ki-avasthae
गर्भावस्था की अवस्थाएं ( Garbhavastha ki avasthae ) की यह पोस्ट बाल विकास की अति महत्वपूर्ण टॉपिक है, इस लेख में गर्भावस्था की अवस्थाए, गर्भावस्था की अवस्थाओं के चरण, गर्भावस्था को प्रभावित करने वाले कारक आदि का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है| यह लेख REET, CTET, UPTET, MTET, RPSC 1st GRADE,2nd GRADE आदि भर्ती परीक्षाओ की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए अति महत्वपूर्ण है| Garbhavastha ki avasthae
Contents [show]
Garbhavastha ki avasthae
गर्भावस्था ( गर्भधारण से जन्म तक )
गर्भावस्था को तीन चरणों में बांटा गया है
(1) बीजावस्था/ डिम्बावस्था/ रोपणावस्था
यह अवस्था 0 से 2 सप्ताह तक रहती है। इस अवस्था में बालक की आकृति एक बीज के समान और अण्डानुमा होती है, इसे युक्ता (Zygote) कहते है। योक नामक पदार्थ को बालक आहार के रूप में ग्रहण करता है, लगभग 15 दिन में योक एवं युक्ता समाप्त हो जाते हैं और वह गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है तथा माँ के शरीर से आहार ग्रहण करता है और बालक की भ्रूणावस्था प्रारम्भ हो जाती है।
(2) भ्रूणावस्था/ भ्रूणीय/ पिण्डावस्था
यह अवस्था 2 सप्ताह से लेकर दूसरे माह के अंत तक रहती है अर्थात् 8 सप्ताह तक रहती है। ध्यान रहे- यह अवस्था 8 सप्ताह तक रहती है, जिसमें शिशु का विकास सर्वाधिक तीव्र होता है और इसी अवस्था में शिशु की श्वसन नली की शाखाएँ, फेफड़े, यकृत, अग्नाशय, थायरॉइड ग्रंथि, लार ग्रंथि आदि का निर्माण शुरू हो जाता है।
इस अवस्था में तीन परतों के द्वारा बालक के शरीर का निर्माण होता है :-
(i) बर्हिस्तर :- इसे बाहरी परत भी कहते हैं एवं इसमें त्वचा, बाल 2, नाखून, दांत इत्यादि अंगों का निर्माण होता है।
(ii) मध्यस्तर :- इसमें बालक के शरीर के भीतरी भाग तथा मांसपेशियों का निर्माण होता है।
(iii) अन्तःस्तर :- इसमें बालक की पाचन प्रणाली, फेफड़े, लीवर, हृदय इत्यादि अंगों का निर्माण होता है।
(3) गर्भस्थ शिशु की अवस्था
यह अवस्था 8 सप्ताह से लेकर जन्म तक रहती हैं अर्थात् 2 माह से 9 माह तक रहती है। गर्भावस्था की अवधि सामान्यतया 270-280 दिन / 40 सप्ताह या 9 माह 10 दिन हो सकती है|
गर्भावस्था को प्रभावित करने वाले कारक
माँ का स्वास्थ्य (Mother’s Health)
गर्भावस्था के दौरान माँ अगर किसी संक्रामक रोग से पीड़ित होती है या कुनैन औषधि का प्रयोग अधिक करती है, तो जन्म के उपरांत शिशु अंधा, बहरा या मानसिक रूप से दुर्बल हो सकता है।
माँ का आहार (Mother’s Diet)
गर्भवती स्त्री को गर्भावस्था के दौरान अपने आहार में सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट आदि उचित मात्रा में आवश्यक रूप से लेना चाहिए।
माता-पिता की आयु (Parent’s Age)
हरलॉक ने माना है कि स्त्री की आयु कम से कम 21 वर्ष तथा अधिक से अधिक 28 वर्ष ही होनी चाहिए। इससे कम या अधिक आयु में स्त्री माँ बनती है, तो बालक की बुद्धि पर प्रभाव देखा जा सकता है।
स्त्री का शराब व तम्बाकू का सेवन करना (Womans Consumption of Alcohol and Tobacco)
गर्भावस्था के दौरान इनका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इससे शिशु की हृदय की धड़कन पर प्रभाव पड़ता है तथा शिशु पूर्ण परिपक्व होने से पहले ही जन्म ले लेता है।
पावलाव का प्रयोग
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मनोलैंगिक विकास सिद्धांत : सिग्मंड फ्रायड
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बाल्यावस्था की विशेषताएँ
शैशवावस्था की विशेषताएँ
बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक
अभिवृद्धि और विकास में अंतर
विकास के सिद्धांत
मनोविज्ञान के सिद्धांत PDF, सम्प्रदाय व उनके प्रवर्तक
कुसमयोजन
संकल्पना मानचित्र और संकल्पना मानचित्र के शैक्षिक महत्व
FAQ
प्रश्न 1. गर्भावस्था की अवधि सामान्यतया कितने दिन की होती है?
उत्तर : गर्भावस्था की अवधि सामान्यतया 270-280 दिन / 40 सप्ताह या 9 माह 10 दिन हो सकती है|
प्रश्न 2. गर्भावस्था को कितने चरणों में बांटा गया है?
उत्तर : गर्भावस्था को तीन चरणों में बांटा गया है
(1) बीजावस्था/ डिम्बावस्था/ रोपणावस्था (2) भ्रूणावस्था/ भ्रूणीय/ पिण्डावस्था (3) गर्भस्थ शिशु की अवस्था
प्रश्न 3. बीजावस्था/ डिम्बावस्था/ रोपणावस्था की अवधि कितने दिन की होती है?
उत्तर : बीजावस्था/ डिम्बावस्था/ रोपणावस्था की अवस्था 0 से 2 सप्ताह तक रहती है
प्रश्न 4. भ्रूणावस्था/ भ्रूणीय/ पिण्डावस्था की अवधि कितने दिन की होती है?
उत्तर : भ्रूणावस्था/ भ्रूणीय/ पिण्डावस्था अवस्था 2 सप्ताह से लेकर दूसरे माह के अंत तक रहती है
प्रश्न 5. गर्भावस्था को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से है?
उत्तर : गर्भावस्था को प्रभावित करने वाले कारक :- 1. माँ का स्वास्थ्य 2. माँ का आहार 3. माता-पिता की आयु 4. स्त्री का शराब व तम्बाकू का सेवन करना
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