गर्भावस्था के शुरुआती तीन माह के दौरान क्या करना महत्वपूर्ण है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:34

मां बनना एक महिला के जीवन का बहुत महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। पूरे नौ माह अपने भीतर एक जीवन को पनपते हुए महसूस करना बहुत ही अद्भुत और रोचक एहसास होता है। प्रकृति की इस सृजन प्रक्रिया में एक महिला का शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर स्वस्थ होना सबसे जरूरी बात होती है। खासकर गर्भावस्था के पहले तीन माह कई तरह से मां और शिशु दोनों के लिए खास होते हैं। शिशु के शुरुआती विकास के साथ ही इस समय मां के शरीर में भी कई परिवर्तन हो रहे होते हैं, जिनको लेकर ध्यान रखना आवश्यक होता है। केवल पौष्टिक खानपान ही नहीं बल्कि अच्छी मानसिक सेहत के लिए उपाय करना भी जरूरी होता है। साथ ही समय पर टीकाकरण और आयरन-कैल्शियम सप्लीमेंट्स का सेवन भी इस दौरान नियमित करना होता है। जानिए विशेषज्ञ से क्यों होता है फर्स्ट ट्राइमेस्टर या पहला तीन माह खास और किन बातों का रखना होता है इस समय ख्याल?
अगर आप पहली बार मां बन रही हैं तो भी और पहले मां बन चुकी हैं तो भी ये पहले तीन महीने आपके लिए नया अनुभव होगा, क्योंकि हर प्रेग्नेंसी अलग होती है। इसलिए किसी से भी अपनी प्रेग्नेंसी की तुलना करने की बजाय अपने डॉक्टर पर भरोसा करें।
डॉक्टर ऐसा चुनें जो आपके घर से ज्यादा दूर न हो और जहां आप डिलीवरी करवाने का सोच रही हों, वहां वह डॉक्टर सेवाएं देता हो। अगर आप किसी छोटे कस्बे या गांव में रहती हैं तो आशा दीदी या प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में जाकर अपना नाम दर्ज करवाएं और उनकी सलाह का पालन करें।

सबसे पहले डॉक्टर की सलाह से अपनी डाइट (खानपान), नींद और एक्सरसाइज का रूटीन बनाएं। ये तीनों ही चीजें बच्चे और आप, दोनों की सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
डॉक्टर आपकी जांच के बाद आपको फॉलिक एसिड और कैल्शियम जैसे सप्लीमेंट्स देंगे। इनका सेवन कैसे करना है, इसकी जानकारी लें। फॉलिक एसिड का सेवन गर्भावस्था के तीन महीने पूर्व से करें। इसके लिए आप बेबी प्लान करते समय डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं। इससे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स से बच्चे को बचाने में मदद मिल सकती है। मतलब बच्चे को दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड संबंधी समस्याओं से बचाने में सहायता मिल सकती है।
वहीं आयरन व कैल्शियम आपके और बच्चे के हीमोग्लोबीन के सही स्तर और हड्डियों की अच्छी सेहत के लिए जरूरी होता है। इन दवाइयों का सेवन समय पर जरूर करें, क्योंकि हमारे देश मे अक्सर डिलीवरी के समय महिलाओं में हीमोग्लोबीन की कमी एक बड़े खतरे के रूप में सामने आती है।

उल्टी, जी घबराना, मॉर्निंग सिकनेस या कब्ज आदि प्रेग्नेंसी का एक हिस्सा हैं, लेकिन अगर आपको तकलीफ ज्यादा है तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, ताकि वह शरीर में पानी और पोषण बनाए रखने के हिसाब से आपको पर्याप्त विकल्प दे सकें। इन समस्याओं को डाइट के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है।
पेट के निचले हिस्से में दर्द, स्पॉटिंग (हल्की ब्लीडिंग या खून दिखना) या तेज कमर दर्द हो तो तुरंत सतर्क हो जाएं और डॉक्टर से संपर्क करें।


प्रेग्नेंसी के दौरान अपनी मर्जी से कोई भी दवाई (ओवर द काउंटर मेडिसिन) लेने से बचें। इससे आपको और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है।
करवट के बल लेटने/सोने की आदत डालें।
बहुत ज्यादा कॉफी, मीठा या कोल्डड्रिंक्स का प्रयोग न करें। साथ ही अगर सिगरेट, अल्कोहल आदि का प्रयोग करती हैं तो उसे तुरंत रोक दें।

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