गर्भाशय में ट्यूमर के लिए घर उपचार?pregnancytips.in

Posted on Wed 28th Nov 2018 : 08:54

ट्यूमर से बचाव ही बेहतर
महिलाएं अपनी शारीरिक संरचना और वर्तमान जीवनशैली के चलते कई बार ऐसी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं, जो उन्हें जीवन भर परेशान करती हैं। एन्डोमेट्रीओसिस एक ऐसी ही बीमारी...
ट्यूमर से बचाव ही बेहतर

महिलाएं अपनी शारीरिक संरचना और वर्तमान जीवनशैली के चलते कई बार ऐसी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं, जो उन्हें जीवन भर परेशान करती हैं। एन्डोमेट्रीओसिस एक ऐसी ही बीमारी है। यह एक ऐसा ट्यूमर है, जिसमें यूट्रस के आसपास की कोशिकाएं सेल्स की तरह का व्यवहार करने लगती हैं और शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैलने लगती हैं। यूट्रस में होने वाला यह ट्यूमर कई बार महिलाओं के लिए जानलेवा भी साबित होता है। महिलाएं अक्सर इसके लक्षणों की अनदेखी करती रहती हैं, जिससे इस बीमारी को बढ़ने में मदद मिलती है। आइए जानें इस बीमारी के कारण, लक्षण, इसके घातक परिणाम और इलाज के बारे में सिलसिलेवार तरीके से

महिलाओं को अपना शिकार बनाने वाली बीमारियों के बारे में हम अकसर चर्चा करते हैं। इन बीमारियों में एन्डोमेट्रीओसिस के बारे में लोगों को कम जानकारी है, पर हर साल यह बीमारी पूरे विश्व में 25 से 30 आयु वर्ग की 08 करोड़ 90 लाख महिलाओं को अपना शिकार बनाती है। इस बीमारी को चॉकलेट सिस्ट के नाम से भी जाना जाता है।

क्या है कारण

अबॉर्शन- कई बार अनचाहा गर्भ या किन्हीं कारणों से अबॉर्शन करवाने के बाद इस ट्यूमर का खतरा हो सकता है।

बिनाइन प्रॉलीफरेशन- इंज्यूरी के समय जब यूट्रस की कोशिकाएं बढ़ती हैं, तो कई बार वे ओवर ग्रो कर जाती हैं, जिससे ये ट्यूमर होने के खतरे बढ़ जाते हैं।

इंफेक्शन- यूट्रस में इंफेक्शन के कारण भी यह ट्यूमर हो सकता है।

ट्यूबवैक्टनी- कई बार महिलाएं प्रेग्नेंसी रोकने के लिए ट्यूबवैक्टनी करवाती हैं, जो कि एन्डोमेट्रीओसिस का कारण बन सकता है।

ओवरी इंफेक्शन- कई बार ओवरी में इंफेक्शन भी इस ट्यूमर का कारण बनता है।

ऑर्गन्स को नुकसान- ऑर्गन्स में इंफेक्शन या किसी तरह के जख्म होने से भी ये ट्यूमर हो सकता है।

ऐसे पहचानें इस बीमारी को

. आमतौर पर यह कुंआरी युवतियों और 30 से 50 वर्ष तक की उन महिलाओं को होता है, जो मां नहीं बन सकतीं। यह ट्यूमर होने पर महिलाओं को पीरियड शुरू होने से 5 से 7 दिन पहले शरीर के निचले हिस्से(अब्डोमनल) में बहुत दर्द होता है। पीरियड्स के दौरान भी बहुत दर्द रहता है और पीरियड्स के बाद भी 2 से 3 दिन तक ये दर्द रहता है।

. यदि कोई महिला ट्यूमर होने के बाद शारीरिक संबंध बनाती है तो वह बहुत दर्दनाक होता है।

. जो महिलाएं शादी के दो-तीन साल तक भी प्रेग्नेंट नहीं होतीं, सामान्यत: उन्हीं महिलाओं को भी ये ट्यूमर होने का खतरा रहता है।

. इस ट्यूमर के दौरान महिलाओं को हर पीरियड्स के आसपास कमरदर्द की खासी शिकायत रहती है।

. यूट्रस और ओवरी में दर्द की शिकायत रहती है।

. पीरियड्स के दौरान कई बार बुखार भी होता है।

. पीरियड्स कई बार बहुत कम या फिर बहुत ज्यादा होता है। पीरियड कभी समय पर आता है और कभी नहीं और चलने-फिरने में भी खासी दिक्कत होने लगती है।

. यूरिन में भी खून आने लगता है।

कितनी घातक है यह बीमारी

. इस ट्यूमर का इलाज बहुत ही धीमा होता है। कई बार इस ट्यूमर को सही होने में महीनों या सालों भी लग जाते है।

. इस बीमारी के बाद महिलाओं/युवतियों को गर्भ धारण करने में दिक्कत आती है।

. कई बार लापरवाही या अन्य कारणों से ट्यूमर फट भी जाता है।

. कब्ज की शिकायत अकसर रहने लगती है।

. कई बार ये ट्यूमर एडीनोकारसीनोमा नामक कैंसर में भी बदल जाता है।

. यदि ट्यूमर का पता लगाने के बाद भी इलाज न कराया जाए तो इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

. पीरियड्स के दौरान जिन लड़कियों को अक्सर दर्द रहता है, वे इसे आम बात समझ पेन किलर खाकर काम चला लेती हैं, जिससे ये ट्यूमर बढ़ने का खतरा बना रहता है।

. ट्यूमर के शुरुआती दौर में ही असहनीय दर्द होता है। यह दर्द शरीर के निचले हिस्से से शुरू होता है और कई बार पूरे पेट में दर्द रहता है।

. युवतियों को इस ट्यूमर के होने से शादी के बाद तो दिक्कतें आती ही हैं। शादी से पहले वे शारीरिक रूप से कमजोर हो जाती हैं। दिमागी रूप से काफी तनाव रहने लगता है। आपातकाल की स्थिति में कई दिक्कतें आ सकती हैं। उनका न सिर्फ समय बर्बाद होता है, बल्कि वे कहीं बाहर काम करने नहीं जा सकतीं। इस दौरान हैवी ब्लीडिंग भी होती है।

क्या है इलाज

इस ट्यूमर का आमतौर पर एक ही तरह का इलाज किया जाता है, वह है हार्मोनल थेरेपी के माध्यम से। इसके अलावा महिलाओं को यदि एन्डोमेट्रीओसिस का कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और पूरा इलाज कराना चाहिए। ध्यान रखिए, यह एक गंभीर बीमारी है, इसलिए इसके इलाज में लापरवाही ना बरतें। इस बीमारी का इलाज करवाना ही सबसे बेहतर है। इसलिए सजग रहें, नियमित जांच करवाएं और इस बीमारी से दूर रहें।

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