जन्म के बाद पेशाब करते समय दर्द कैसे कम करें?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

प्रसव के बाद मूत्र असंयमितता

मैं अक्सर पेशाब के प्रवाह पर नियंत्रण क्यों नहीं रख पाती?
आपके गर्भाशय, आंतों और मूत्राशय को सहारा देने वाले ऊत्तक और मांसपेशियां गर्भावस्था के दौरान अधिक लचीले ​हो सकते हैं। ऐसा गर्भावस्था के हॉर्मोन और गर्भ में बढ़ते शिशु के वजन की वजह से होता है। इन मांसपेशियों और उत्तकों को श्रोणि की मांसपेशियां (पेल्विक फ्लोर) कहा जाता है।

जब आपने शिशु को जन्म दिया, तो आपकी श्रोणि मांसपेशियां और अधिक फैल गईं होंगी, जिससे ये और ज्यादा कमजोर हो गई होंगी।

श्रोणि मांसपेशियां कमजोर होने से मूत्राशय के नीचे की मांसपेशियों और अवरोधिनी मांसपेशियों को भींचना मुश्किल हो जाता है। इसका मतलब यह है कि पेशाब करते हुए आपको उसे नियंत्रित करने में परेशानी हो सकती है।

हो सकता है कि खांसते हुए, छींकते हुए, हसंते हुए या तेजी से हिलने-डुलने पर आपका थोड़ा पेशाब निकल जाए। चीजों को उठाने पर भी पेशाब का रिसाव हो सकता है। हो सकता है यह रिसाव केवल कुछ बूंदों का ही हो या फिर इतना अधिक हो कि आपके कपड़े गीले हो जाएं।

कई बार मूत्राशय भी अतिसक्रिय हो जाता है, खासकर कि गर्भावस्था के दौरान। ऐसा हॉर्मोन की वजह से होता है। इसका मतलब यह है कि आपको दिन और रात में बहुत बार पेशाब जाना पड़ता है और जब पेशाब आता है, तो उसे रोक पाना मुश्किल हो जाता है। हो सकता है शौचालय पहुंचने से पहले ही आपका थोड़ा पेशाब निकल जाए। मगर, शिशु के जन्म के बाद ऐसा होना बंद हो जाना चाहिए।
शिशु के जन्म के बाद क्या बहुत सी माँओं को पेशाब के नियंत्रण में मुश्किल होती है?
आकस्मिक पेशाब निकल जाना मूत्र असयंमितता कहलाता है। ऐसा अक्सर हंसते, छींकते, खांसते या व्यायाम करते समय होता है। नई माँओं को होने वाली यह एक बहुत आम समस्या है।

शिशु के जन्म के बाद शुरुआती कुछ दिनों में यदि आपका थोड़ा-बहुत पेशाब निकल भी जाता है, तो चिंता न करें। आपका सैनिटरी पैड इसे सोख लेगा। पतले व अत्याधिक अवशोषी पैड की बजाय मोटे सैनिटरी पैड इस्तेमाल करें, क्योंकि ये पेशाब को बेहतर तरीके से सोख पाते हैं। जब आपका रक्तस्त्राव बंद हो जाए, तो मूत्राशय की कमजोरी के दौरान पहने जाने वाले विशेष पैड आपके लिए सही रहेंगे।
मुझे मूत्र असंयमितता होने की संभावना ज्यादा क्यों हो सकती है?
अगर आपको गर्भावस्था के दौरान, विशेषकर पहली या दूसरी तिमाही में, मूत्राशय पर नियंत्रण रख पाने में मुश्किल हुई थी, तो आपको मूत्र असयंमितता होने की संभावना ज्यादा रहती है।

कई बार शिशु को जन्म देने के लिए काफी समय तक जोर लगाना पड़ता है और प्रसव के लिए प्रसूति चिमटी (फॉरसेप्स) की जरुरत पड़ती है। ऐसी स्थिति में भी पेशाब के रिसाव से जुड़ी समस्याएं होने की संभावना ज्यादा रहती है।

अगर, आपने एपीड्यूरल या रीढ़ की हड्डी में एनेस्थीसिया लगवाया था, तो मूत्राशय और इसके आसपास अनुभूति को नियंत्रण करने वाली नसें सुन्न महसूस हो सकती हैं।

प्रसवोपरांत पहले कुछ दिनों तक हो सकता है कि आप न समझ पाएं कि आपको कब पेशाब जाने की जरुरत है। शिशु के जन्म के तुरंत बाद आपकी डॉक्टर या नर्स आपको याद दिलाएंगी कि आपको पेशाब के लिए कब जाना है।

अगर, आपको एपिड्यूरल दिया गया था, तो पेशाब निकालने के लिए आपके मूत्राशय में नलिका (कैथेटर) डाली गई होगी। इस वजह से आपको पेशाब करते हुए, इसे नियंत्रित करने में मुश्किल हो सकती है। मगर, यह कुछ दिनों बाद स्वत: ठीक हो जाना चाहिए।
शिशु के जन्म के बाद कितने समय तक यह अयंममितता बनी रहती है?
यह अलग-अलग महिलाओं के लिए अलग-अलग होता है। कुछ को यह परेशानी शिशु के जन्म के बाद केवल कुछ हफ्तों तक ही रहती है। वहीं कुछ अन्य को महीनों तक इसका सामना करना पड़ता है या यह दीर्घकालीन समस्या बन जाती है।

शिशु के जन्म के छह हफ्तों बाद प्रसवोत्तर जांच के समय तक भी आपको पेशाब के रिसाव की समस्या हो रही हो, तो इस बारे में अपनी डॉक्टर को बताएं। मूत्र असंयमितता को शिशु के जन्म के बाद आने वाले बदलावों का हिस्सा नहीं मानें। यह शिशु के जन्म के बाद रहने वाली स्थाई समस्या नहीं है।
शिशु के जन्म के बाद मूत्राशय पर नियंत्रण के लिए मैं क्या कर सकती हूं?
श्राणि की मांसपेशियों के नियमित व्यायाम से आप मूत्राशय पर दोबारा नियंत्रण पा सकती हैं। यह असंयमितता को रोकने और इसके उपचार के लिए प्रमाणित और प्रभावी तरीका है।

आपको तीन महीनों तक रोजाना कम से तीन बार श्रोणि मांसपेशीय व्यायाम करने की आवश्यकता है। कुछ समय बाद इन व्यायामों को करना आपकी आदत में शामिल हो जाना चाहिए।

श्रोणि मांसपेशियों के व्यायामों को आपको अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना लेना चाहिए। कम से कम सप्ताह में दो या तीन बार इन्हें करें। अगर, आप ये व्यायाम करना बंद कर देंगी, तो आपकी मांसपेशिया कमजोर हो सकती हैं। हो सकता है आप पाएं कि आपकी मूत्राशय के नियंत्रण की समस्या फिर से शुरु हो गई हैं।

ये व्यायाम करने से आपके शरीर को प्रसव से उबरने में मदद मिलेगी, इसलिए ऐसा न सोचें कि प्रसवोपरांत इतनी जल्दी आप व्यायाम करें या नहीं। श्रोणि की मांसपेशियों को मजबूत करने से टांकों और अंदरुनी खरोंचों की वजह से हुई सूजन कुछ कम हो सकेगी। इसलिए जितनी जल्दी आप व्यायाम शुरु कर सकें, उतना ही बेहतर है।
मैं श्रोणि मांसपेशीय व्यायाम कैसे करुं?
सुनिश्चित करें कि आप आराम से सांस लें, और श्वास अंदर लेते समय आपका पेट बाहर की तरफ निकले। सांस छोड़ते समय पेट अंदर की तरफ जाना चाहिए।

सांस बाहर छोड़ते समय अपनी योनि और गुदा की मांसपेशियों को अंदर की तरफ भींचें। आपको गुदा या योनि के आसपास कसाव महसूस होना चाहिए। कोशिश करें कि आप अपने कूल्हों या पेट के ऊपर की तरफ की मांसपेशियों को न कसें। और ध्यान रखें कि इस दौरान आपने सांस न रोकी हुई हो।

अगर, आप शुरुआत में ज्यादा लंबे समय तक मांसपेशियां सिकोड़ कर न रख सकें, तो भी परेशान न हों। श्रोणि की मांसपेशियों को भींचने का समय धीरे-धीरे बढ़ाएं। शुरुआत में दो या तीन सैकंड के लिए करें और बाद में इसे बढ़ाकर चार या पांच सैंकड़ कर दें।

नियमित रूप से अभ्यास करने पर आप सामान्य तरीके से सांस लेते हुए 10 सैंकड तक मांसपेशियां भींच कर रख पाएंगी। एक बार करने के बाद 10 सैकंड तक आराम करें और फिर अगला व्यायाम करें।

एक दिन में तीन बार आठ से 10 बार तक भींच कर रखने का यह व्यायाम करें।
मूत्राशय पर नियंत्रण पाने का और क्या तरीका है?
श्रोणि की मांसपेशियों के व्यायाम करने से आप अपने मूत्राशय पर दोबारा नियंत्रण पा सकती हैं।

हो सकता है आपको लगे कि कम पानी पीने से कम बार पेशाब जाना पड़ेगा। मगर वास्वत में, आपको काफी मात्रा में पानी पीना चाहिए, विशेषकर यदि आप स्तनपान करवा रही हैं तो। क्योंकि स्तनपान करवाने से आपको अधिक प्यास लग सकती है।

गर्भावस्था के अंतिम चरणों में आपका मूत्राशय शिशु के वजन की वजह से अधिक दब जाता है। इसका मतलब यह है कि आपके मूत्राशय को कम पेशाब धारित कर पाने की आदत हो जाती है।

अब जब आपका शिशु जन्म ले चुका है, तो आपको फिर से मूत्राशय में अधिक पेशाब रखने की आदत डालनी होगी। आपको रोजाना बिना कैफीनयुक्त कम से कम आठ से 12 गिलास पेय लेने चाहिए।

शुरुआत में पेशाब करने की इच्छा होने पर उसे थोड़ी देर रोकने का प्रयास करें। अगर आपका मूत्राशय अत्याधिक सक्रिय या संवेदनशील है, तो आप केवल कुछ ही मिनटों के लिए पेशाब रोक पाएंगी। धीरे-धीरे पेशाब को रोकने का समय बढ़ाएं। आप आधे घंटे और एक घंटे के बीच तक पेशाब रोकने में सक्षम होनी चाहिए।

पेशाब को रोके रखने से मूत्राशय में पेशाब धारित करने की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही इस दौरान आप श्रोणि मांसपेशीय व्यायाम भी करती रहें। कैफीनयुक्त पेय न लें, क्योंकि ये मूत्राशय को उत्तेजित कर सकते हैं और आपके लिए पेशाब को रोके रख पाना और मुश्किल हो सकता है। याद रखें कि चाय, कॉफी, कोला और गर्म चॉकलेट, इन सभी में कैफीन होता है।

अगर, श्रोणि मांसपेशीय व्यायामों से मदद नहीं मिल रही है, तो डॉक्टर आपको किसी विशेषज्ञ से मिलने के लिए कह सकती हैं।

कई बार, पेशाब के प्रवाह पर नियंत्रण न रख पाना मूत्रमार्ग संक्रमण (यू.टी.आई.) की वजह से भी हो सकता है। अगर, आपको यह संक्रमण है, तो आपको निम्नांकित लक्षण भी हो सकते हैं:

पेशाब करते समय दर्द महसूस होना
धुंधला सा पेशाब आना
पेशाब से दुर्गंध आना
बुखार होना
बार-बार पेशाब जाना

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