जन्म के समय शिशु का भार कितना होता है?pregnancytips.in

Posted on Sat 29th Feb 2020 : 00:36

डिलीवरी के टाइम इससे कम हुआ बच्‍चे का वजन, तो एनआईसीयू में रख देते हैं डॉक्‍टर

जन्‍म के समय शिशु का वजन बहुत मायने रखता है। इस समय वजन कम या ज्‍यादा होने से कोई प्रॉब्‍लम हो सकती है।
जन्‍म के तुरंत बाद बच्‍चे का वजन चैक किया जाता है। इससे डॉक्‍टर को बच्‍चे की सेहत और डेवलपमेंट के बारे में पता चलता है। जन्‍म के समय बच्‍चों के सही वजन को जानने के लिए एक स्‍केल बनाया गया है। जिन बच्‍चों का वजन इसके बीच में आता है, उन्‍हें हेल्‍दी माना जाता है।

अगर आप भी प्रेगनेंट हैं या आपकी डिलीवरी नजदीक है या आप कंसीव करने की कोशिश कर रही हैं, तो आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि जन्‍म के समय बच्‍चे का कितना वजन होना चाहिए।

​कितना होना चाहिए वेट

जन्‍म के समय शिशु का नॉर्मल वेट 2.5 से 3.5 किलो के बीच होना चाहिए। नौ महीने यानि फुल टर्म में पैदा हुए 80 पर्सेंट बच्‍चों का वजन इतना ही होता है।

इससे कम या ज्‍यादा वजन वाले बच्‍चे नॉर्मल होते हैं लेकिन डिलीवरी के बाद नर्स और डॉक्‍टर को बारीकी से यह देखना होता है कि इन बच्‍चों में कहीं कोई प्रॉब्‍लम तो नहीं है।

ऐसी कई चीजें हैं जो शिशु के वजन को प्रभावित कर सकती हैं। इसमें प्रेग्‍नेंसी के महीने भी महत्‍वूपर्ण होते हैं। ड्यू डेट के आसपास या इसके बाद पैदा हुए बच्‍चों के इससे पहले पैदा होने वाले बच्‍चों की तुलना में साइज बड़ा ही देखा जाता है।
​कैसे बनता है शिशु का वजन

ऐसे कुछ कारक हैं जो शिशु के जन्‍म के समय के वजन को प्रभावित कर सकते हैं :

यदि बच्‍चा ड्यू डेट पर या इसके बाद पैदा होता है, तो उसका साइज बड़ा हो सकता है। इससे पहले पैदा होने वाले शिशु यानि प्रीटर्म बेबी छोटे हो सकते हैं।
अगर पिता लंबे हैं तो बच्‍चा भी उन पर जा सकता है। वहीं अगर पिता की हाइट कम है, तो जन्‍म के समय बच्‍चे की लंबाई भी छोटी हो सकती है।
जन्‍म के समय लड़कों की तुलना में लड़कियां थोड़ी छोटी होती हैं।
अगर मां को प्रेग्‍नेंसी के दौरान हाई ब्‍लड प्रेशर या हार्ट प्रॉब्‍लम रही है तो बच्‍चे का वजन कम हो सकता है। यदि आपको डायबिटीज या मोटापा है, तो बच्‍चे का साइज बड़ा हो सकता है।

​प्रीमैच्‍योर बेबी में क्‍या होता है

आमतौर पर प्रीमैच्‍योर बेबी छोटे होते हैं और बाकी नवजात शिशुओं से इनका वजन कम होता है। प्रीमैच्‍योर बेबी का वजन इस बात पर निर्भर करता है कि उसका जन्‍म कितनी जल्‍दी हुआ है। शिशु गर्भ में रह कर विकास करता है और अगर वो जल्‍दी पैदा हो जाए तो उसकी विकास के कुछ बिंदु छूट जाते हैं।
लो बर्थ वेट
प्रीटर्म बेबी को लो बर्थ वेट या वैरी लो बर्थ वेट में रखा जाता है। लो बर्थ वेट का मतलब है कि जन्‍म के समय शिशु का वजन 2.5 किलो से कम होगा। वहीं वैरी लो बर्थ वेट में शिशु का वजन डेढ़ किलो से भी कम होता है।
ऐसे ज्‍यादातर बच्‍चे प्रीमैच्‍योर होते हैं। इन बच्‍चों को जन्‍म के तुरंत बाद मेडिकल केयर दी जाती है जैसे कि निओनटोलॉजिस्‍ट। बच्‍चों को जन्‍म के बाद कुछ समय के लिए एनआईसीयू में रखा जाता है। जब बच्‍चा स्‍वस्‍थ हो जाता है तो उसे पैरेंट्स को सौंप दिया जाता है।

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